ग्वालियर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट का ग्वालियर खंडपीठ के जस्टिस आनंद पाठक की बेंच ने आरोपियों को सजा सुनाने का आनोखा तरीका अपनाया है. जिसमे न सिर्फ सजायाफ्ता को अपने जीवन में पश्चताप करना है, बल्कि समाज और पर्यवारण सुधारने में भी सहयोग देना है. आरोपियों द्वारा अब तक लगभग पांच सौ पौधे रोपे जा चुके हैं.
दरअसल, किसी मामले में सजा मिलने के बाद अब तक जेल में रहकर अपराधी को अपना जीवन सुधारने का एक मौका न्यायालय की ओर से दिया जाता था, लेकिन मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच के जस्टिस आनंद पाठक का न्याय देने का तरीका अनोखा है. उनके द्वारा दी जाने वाली सजा में प्रकृति भी समृद्ध होती है.
उनके कोर्ट में लगने वाली याचिकाएं, राजीनामे और जमानत आवेदन पर निकलने वाले आदेश में सख्त लहजे में विनम्र कार्य के निर्देश होते हैं. किसी याचिकाकर्ता को पौधा लगाने और उसके रख-रखाव का आदेश मिलता है, तो किसी को अनाथालय या वृद्धाश्रम में सेवाकार्य दिया जाता है.
आदेश में कोर्ट का विचार स्पष्ट लिखा होता है- 'यह प्रश्न एक पौधा लगाने का नहीं, बल्कि एक विचार को पालने का है'. जस्टिस पाठक की बेंच ने डेढ़ साल में 100 से ज्यादा लोगों को ऐसी सजा दी है, जिसमें करीब 500 पौधे अब तक रोपे जा चुके हैं. न्यायाधीश की इस प्रक्रिया को न्याय व्यवस्था से जुड़े लोग एक अच्छी पहल बता रहे हैं.