इंदौर। देश की हेरिटेज इमारतों को पर्यावरण के अनुकूल बनाने के लिए प्राचीन पद्धतियों का सहारा लिया जा रहा है. इसी के तहत स्मार्ट सिटी इंदौर के प्राचीन गोपाल मंदिर की छत मटकों से तैयार की जा रही है, जिससे भीषण गर्मी से भगवान को तपिश से बचाया जा सके.
स्मार्ट सिटी के हेरिटेज कंजर्वेशन प्रोजेक्ट के तहत इंदौर की ऐतिहासिक इमारतों का जीर्णोद्धार किया जा रहा है. इसके अंतर्गत प्राचीन गोपाल मंदिर सहित आसपास के पुरातात्विक महत्व रखने वाले भवनों को उनके पुरातात्विक स्वरूप में ही निखारा जा रहा है. इस बात को ध्यान में रखते हुए गोपाल मंदिर में दोमंजिला आर्ट गैलरी भी बनाई जा रही है. इस आर्ट गैलरी की छत बनाने के लिए स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के अधिकारियों द्वारा गुजरात और राजस्थान की ऐतिहासिक इमारतों के निर्माण में उपयोग की गई अनूठी प्राचीन निर्माण पद्धति का उपयोग किया जा रहा है.
गर्मियों के दिनों में मिलेगी ठडंक
निर्माण शैली की इस खास पद्धति के तहत मंदिर की छत को मटकों से तैयार किया जा रहा है. पहली बार मटकी से तैयार होने वाली छत की खासियत है कि यह गर्मियों के दिनों में हीट को कम और सर्दियों में गर्मी बनाए रखने में अपनी भूमिका निभाएगी, जो बाहर से आने वाली हवा को अंदर प्रवेश करने से रोकेगी और मंदिर में विराजे भगवान गोपाल की प्रतिमा को भी भीषण गर्मी में ठंडक का अहसास कराएगी. पुरातत्वविद प्रवीण श्रीवास्तव ने बताया कि प्राचीनकाल के गोपाल मंदिर की तरह ही लकड़ी का स्ट्रक्चर बनाकर उसमें गुजरात और राजस्थान की हेरिटेज इमारत निर्माण की प्रक्रिया अपनाई गई है.