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प्राचीन पद्धति से संवरेगा इंदौर का गोपाल मंदिर, सर्दियों में रहेगा गर्म, गर्मियों में होगा ठंड का एहसास

देश की हेरिटेज इमारतों को पर्यावरण के अनुकूल बनाने के लिए प्राचीन पद्धतियों का सहारा लिया जा रहा है. इसी के तहत स्मार्ट सिटी इंदौर के प्राचीन गोपाल मंदिर की छत मटकों से तैयार की जा रही है, जिससे भीषण गर्मी से भगवान को तपिश से बचाया जा सके.

इंदौर
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Published : Mar 26, 2019, 11:00 PM IST

इंदौर। देश की हेरिटेज इमारतों को पर्यावरण के अनुकूल बनाने के लिए प्राचीन पद्धतियों का सहारा लिया जा रहा है. इसी के तहत स्मार्ट सिटी इंदौर के प्राचीन गोपाल मंदिर की छत मटकों से तैयार की जा रही है, जिससे भीषण गर्मी से भगवान को तपिश से बचाया जा सके.

मंदिर

स्मार्ट सिटी के हेरिटेज कंजर्वेशन प्रोजेक्ट के तहत इंदौर की ऐतिहासिक इमारतों का जीर्णोद्धार किया जा रहा है. इसके अंतर्गत प्राचीन गोपाल मंदिर सहित आसपास के पुरातात्विक महत्व रखने वाले भवनों को उनके पुरातात्विक स्वरूप में ही निखारा जा रहा है. इस बात को ध्यान में रखते हुए गोपाल मंदिर में दोमंजिला आर्ट गैलरी भी बनाई जा रही है. इस आर्ट गैलरी की छत बनाने के लिए स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के अधिकारियों द्वारा गुजरात और राजस्थान की ऐतिहासिक इमारतों के निर्माण में उपयोग की गई अनूठी प्राचीन निर्माण पद्धति का उपयोग किया जा रहा है.

गर्मियों के दिनों में मिलेगी ठडंक

निर्माण शैली की इस खास पद्धति के तहत मंदिर की छत को मटकों से तैयार किया जा रहा है. पहली बार मटकी से तैयार होने वाली छत की खासियत है कि यह गर्मियों के दिनों में हीट को कम और सर्दियों में गर्मी बनाए रखने में अपनी भूमिका निभाएगी, जो बाहर से आने वाली हवा को अंदर प्रवेश करने से रोकेगी और मंदिर में विराजे भगवान गोपाल की प्रतिमा को भी भीषण गर्मी में ठंडक का अहसास कराएगी. पुरातत्वविद प्रवीण श्रीवास्तव ने बताया कि प्राचीनकाल के गोपाल मंदिर की तरह ही लकड़ी का स्ट्रक्चर बनाकर उसमें गुजरात और राजस्थान की हेरिटेज इमारत निर्माण की प्रक्रिया अपनाई गई है.

इंदौर। देश की हेरिटेज इमारतों को पर्यावरण के अनुकूल बनाने के लिए प्राचीन पद्धतियों का सहारा लिया जा रहा है. इसी के तहत स्मार्ट सिटी इंदौर के प्राचीन गोपाल मंदिर की छत मटकों से तैयार की जा रही है, जिससे भीषण गर्मी से भगवान को तपिश से बचाया जा सके.

मंदिर

स्मार्ट सिटी के हेरिटेज कंजर्वेशन प्रोजेक्ट के तहत इंदौर की ऐतिहासिक इमारतों का जीर्णोद्धार किया जा रहा है. इसके अंतर्गत प्राचीन गोपाल मंदिर सहित आसपास के पुरातात्विक महत्व रखने वाले भवनों को उनके पुरातात्विक स्वरूप में ही निखारा जा रहा है. इस बात को ध्यान में रखते हुए गोपाल मंदिर में दोमंजिला आर्ट गैलरी भी बनाई जा रही है. इस आर्ट गैलरी की छत बनाने के लिए स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के अधिकारियों द्वारा गुजरात और राजस्थान की ऐतिहासिक इमारतों के निर्माण में उपयोग की गई अनूठी प्राचीन निर्माण पद्धति का उपयोग किया जा रहा है.

गर्मियों के दिनों में मिलेगी ठडंक

निर्माण शैली की इस खास पद्धति के तहत मंदिर की छत को मटकों से तैयार किया जा रहा है. पहली बार मटकी से तैयार होने वाली छत की खासियत है कि यह गर्मियों के दिनों में हीट को कम और सर्दियों में गर्मी बनाए रखने में अपनी भूमिका निभाएगी, जो बाहर से आने वाली हवा को अंदर प्रवेश करने से रोकेगी और मंदिर में विराजे भगवान गोपाल की प्रतिमा को भी भीषण गर्मी में ठंडक का अहसास कराएगी. पुरातत्वविद प्रवीण श्रीवास्तव ने बताया कि प्राचीनकाल के गोपाल मंदिर की तरह ही लकड़ी का स्ट्रक्चर बनाकर उसमें गुजरात और राजस्थान की हेरिटेज इमारत निर्माण की प्रक्रिया अपनाई गई है.

Intro:देश की हेरिटेज इमारतों को पर्यावरण के अनुकूल बनाने के लिए अब प्राचीन निर्माण पद्धतियों का प्रयोग किया जा रहा है इस क्रम में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत इंदौर के प्राचीन गोपाल मंदिर की छत पहली बार पानी पीने के काम आने वाली मटकी यों से तैयार हो रही है मंदिर की छत का नए सिरे से जीर्णोद्धार के बाद भीषण गर्मी के दिनों में भगवान गोपाल को भी मंदिर की छत के तपने से होने वाली गर्मी से बचाया जा सकेगा


Body:गौरतलब है स्मार्ट सिटी के हेरीटेज कंजर्वेशन प्रोजेक्ट के तहत इंदौर की ऐतिहासिक इमारतों का जीर्णोद्धार किया जा रहा है इसके अंतर्गत प्राचीन गोपाल मंदिर सहित आसपास के पुरातात्विक महत्व वाले भवनों को उनके पुरातात्विक स्वरूप में ही निखारा जा रहा है जिसके चलते गोपाल मंदिर में 2 मंजिला आर्ट गैलरी भी बनाई जा रही है इस आर्ट गैलरी की छत बनाने के लिए स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के अधिकारियों द्वारा गुजरात और राजस्थान की ऐतिहासिक इमारतों के निर्माण में उपयोग की गई अनूठी प्राचीन निर्माण पद्धति का उपयोग किया जा रहा है जिसमें दो मंजिलों का छत मटकी यों से तैयार किया जा रहा है पहली बार मटकी से तैयार होने वाली इस छत की खासियत यह है कि गर्मियों के मौसम में यह हीट को कम और सर्दियों में गर्मी बनाए रखने में सक्षम होती है दरअसल मटकिया एयर कंप्रेशर का काम करती हैं जो बाहर से आने वाली हवा को अंदर प्रवेश करने से रोकती हैं नतीजतन मंदिर में विराजे भगवान गोपाल की प्रतिमा को भी भीषण गर्मी के दिनों में ठंडक का अहसास कराया जा सकेगा उक्त जानकारी देते हुए पुरातत्व विद प्रवीण श्रीवास्तव ने बताया प्राचीन कालीन गोपाल मंदिर की तरह ही लकड़ी का स्ट्रक्चर बना कर उनमें गुजरात और राजस्थान की हेरिटेज इमारत निर्माण की प्रक्रिया अपनाई है जिसके तहत पहली मंजिल पर मटकी यों का बेस बनाया गया है और अब दूसरी मंजिल भी मक्खियों से ही तैयार हो रही है मटकी यों की जमावट के बाद सीमेंट कंक्रीट से भी मजबूत माना जाने वाला चना गुड़ सूजी रेत बिल्वपत्र और मेथी दाने समेत उड़द की दाल से बना पेस्ट बिछाया जाएगा जिसके लेप को मटकी यों को उल्टा रखने के बाद लेबल किया जाएगा इस निर्माण पद्धति में मटकिया एयर कंप्रेसर का काम करती हैं जो प्राचीन पद्धति से तैयार पेस्ट में जम जाने के बाद फूटती भी नहीं है इस पद्धति से किसी भी छत के निर्माण के बाद इस छत पर भी उतना ही बोझ रखा जा सकता है जितना सीमेंट कंक्रीट वाली छत पर रखा जा सकता है


Conclusion:विजुअल गोपाल मंदिर और छत में निर्माण में प्रयोग होती मटकिया
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