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भोपाल संसदीय सीट: बीजेपी के लिए 'एक अनार सौ बीमार', कांग्रेस के लिए हाहाकार

सूबे की सियासत के केंद्र भोपाल की लोकसभा सीट को बीजेपी का गढ़ माना जाता है पिछले तीन दशक से इस सीट पर बीजेपी का कब्जा रहा है. लेकिन अब इस सीट की दावेदारी को लेकर एक अनार सौ बीमार जैसी स्थिति बनी हुई है.

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Published : Mar 17, 2019, 9:16 PM IST

भोपाल संसदीय सीट: बीजेपी के लिए 'एक अनार सौ बीमार', कांग्रेस के लिए हाहाकार

भोपाल। बाबूलाल गौर, नरेंद्र सिंह तोमर, आलोक संजर, उमाशंकर गुप्ता, भोपाल के महापौर आलोक शर्मा, बीजेपी प्रदेश उपाध्यक्ष बीडी शर्मा, जितेंद्र डागा, इन नामों को सुनकर ये बिल्कुल भी मत सोचिए कि हम आपको बीजेपी के दिग्गज नेताओं के नाम गिना रहे हैं, बल्कि ये वो नाम हैं जो भोपाल संसदीय सीट से लोकसभा चुनाव के लिए दावा ठोककर बीजेपी की मुश्किलें बढ़ा रहे हैं.

भोपाल संसदीय सीट: बीजेपी के लिए 'एक अनार सौ बीमार', कांग्रेस के लिए हाहाकार

वहीं कांग्रेस की बात की जाए तो हालत ऐसी है कि कांग्रेसी नेता इस सीट पर दावेदारी की बजाय एक-दूसरे का नाम उछालकर अपनी मुसीबत दूसरे के गले डालने की कोशिशों में लगे दिखते हैं.

कांग्रेस के कद्दावर नेता भी जहां भोपाल सीट पर लड़ने से कतरा रहे हैं तो वहीं बीजेपी के लिए यह सीट एक अनार सौ बीमार जैसी हो गई है. इसकी सबसे बड़ी वजह ये है कि यहां से पार्टी पिछले तीस सालों से अजेय है. आलम ये है कि 1989 से हुए चुनावों में पार्टी के कैंडिडेट बदलते रहे, लेकिन किसी को भी हार का मुंह नहीं देखना पड़ा. यहां तक कि नरेंद्र सिंह तोमर जैसे दिग्गज के भी भोपाल सीट से चुनाव लड़ने की चर्चा का यही कारण है कि उनकी ग्वालियर संसदीय सीट के तहत आने वाली 7 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस कब्जा जमा चुकी है.

भोपाल सीट से बीजेपी के मौजूदा सांसद आलोक संजर कहते हैं कि इस सीट से चेहरा नहीं, बीजेपी के विचार चुनाव लड़ते हैं. चेहरा जीतता या विचार इसका जवाब तो जनता ही दे सकती है, लेकिन इस सीट के पीछे बीजेपी नेताओं में हो रही रस्साकशी बता देती है कि यहां के चुनावी आंकड़े ही वो वजह हैं, जो पार्टी के हर चेहरे को यहां से चुनावी दांव आजमाने को मजबूर कर रहे हैं.

भोपाल। बाबूलाल गौर, नरेंद्र सिंह तोमर, आलोक संजर, उमाशंकर गुप्ता, भोपाल के महापौर आलोक शर्मा, बीजेपी प्रदेश उपाध्यक्ष बीडी शर्मा, जितेंद्र डागा, इन नामों को सुनकर ये बिल्कुल भी मत सोचिए कि हम आपको बीजेपी के दिग्गज नेताओं के नाम गिना रहे हैं, बल्कि ये वो नाम हैं जो भोपाल संसदीय सीट से लोकसभा चुनाव के लिए दावा ठोककर बीजेपी की मुश्किलें बढ़ा रहे हैं.

भोपाल संसदीय सीट: बीजेपी के लिए 'एक अनार सौ बीमार', कांग्रेस के लिए हाहाकार

वहीं कांग्रेस की बात की जाए तो हालत ऐसी है कि कांग्रेसी नेता इस सीट पर दावेदारी की बजाय एक-दूसरे का नाम उछालकर अपनी मुसीबत दूसरे के गले डालने की कोशिशों में लगे दिखते हैं.

कांग्रेस के कद्दावर नेता भी जहां भोपाल सीट पर लड़ने से कतरा रहे हैं तो वहीं बीजेपी के लिए यह सीट एक अनार सौ बीमार जैसी हो गई है. इसकी सबसे बड़ी वजह ये है कि यहां से पार्टी पिछले तीस सालों से अजेय है. आलम ये है कि 1989 से हुए चुनावों में पार्टी के कैंडिडेट बदलते रहे, लेकिन किसी को भी हार का मुंह नहीं देखना पड़ा. यहां तक कि नरेंद्र सिंह तोमर जैसे दिग्गज के भी भोपाल सीट से चुनाव लड़ने की चर्चा का यही कारण है कि उनकी ग्वालियर संसदीय सीट के तहत आने वाली 7 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस कब्जा जमा चुकी है.

भोपाल सीट से बीजेपी के मौजूदा सांसद आलोक संजर कहते हैं कि इस सीट से चेहरा नहीं, बीजेपी के विचार चुनाव लड़ते हैं. चेहरा जीतता या विचार इसका जवाब तो जनता ही दे सकती है, लेकिन इस सीट के पीछे बीजेपी नेताओं में हो रही रस्साकशी बता देती है कि यहां के चुनावी आंकड़े ही वो वजह हैं, जो पार्टी के हर चेहरे को यहां से चुनावी दांव आजमाने को मजबूर कर रहे हैं.

Intro:सूबे की सियासत के केंद्र भोपाल की लोकसभा सीट को बीजेपी का गढ़ माना जाता है पिछले तीन दशक से इस सीट पर बीजेपी का कब्जा रहा है यही वजह है कि भोपाल लोकसभा सीट पर जहां स्थानीय स्तर पर कई नेताओं की नजर है वही बाहरी उम्मीदवार भी इस सीट से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं बीजेपी के आधा दर्जन से ज्यादा नेता इस सीट से चुनाव लड़ने अपनी दावेदारी जता रहे हैं हालांकि कांग्रेस को इस सीट के लिए मजबूत कैंडिडेट की तलाश करनी पड़ रही है।


Body:भोपाल लोकसभा सीट पर कांग्रेस करीब 30 सालों से जीत के लिए तरस रही है कांग्रेस ने इस सीट पर आखरी बार 1984 में जीत का स्वाद चखा था इसके बाद भोपाल लोकसभा सीट कभी कांग्रेस के हाथ नहीं आई। यही वजह है कि इस बार लोकसभा चुनाव में अपनी ग्वालियर स्वीट संकट में देख केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर भी भोपाल से चुनाव लड़ने की कोशिश कर रहे हैं ग्वालियर संसदीय सीट पर पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी को तगड़ा झटका लगा है कांग्रेस ने इस संसदीय सीट की 7 सीटों पर कब्जा जमा कर यहां से सांसद और केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की जड़े हिला दी हैं चुनाव में पूर्व सांसद अनूप मिश्रा और प्रदेश में मंत्री और सांसद रहे जयभान सिंह पवैया को भी मुंह की खानी पड़ी यही वजह है कि तोमर अब लोकसभा चुनाव में सुरक्षित सीट की तलाश कर रहे हैं और भोपाल लोकसभा सीट से बेहतर उन्हें कुछ दिखाई नहीं दे रहा उधर एबीवीपी संगठन के रास्ते बीजेपी की सक्रिय राजनीति में दाखिल हुए और मौजूदा प्रदेश उपाध्यक्ष बी डी शर्मा भी भोपाल सीट से अपनी दावेदारी जता रहे हैं हालांकि इसके साथ ही बीजेपी के स्थानीय नेताओं ने बाहरी वर्सेस स्थानी का मुद्दा छोड़ दिया है पूर्व मंत्री उमाशंकर गुप्ता पूर्व सीएम बाबूलाल गौर जितेंद्र डागा ने स्थानीय नेताओं को ही टिकट देने का मुद्दा उठाया है यह तीनों ही नेता भोपाल लोकसभा सीट से चुनाव के लिए दावेदारी कर रहे हैं हालांकि दावेदारों की सूची में मौजूदा सांसद आलोक संजर भी है लो प्रोफाइल माने जाने वाले आलोक संजर चुनाव लड़ने से इंकार नहीं करते हालांकि इस सवाल पर उनका कहना है कि पार्टी जिसको टिकट देगी बाकी नेता उस को जिताने के लिए काम करेंगे टिकट दावेदारों की फेहरिस्त में मौजूदा महापौर आलोक शर्मा भी शामिल है इन सभी नेताओं को लगता है कि भोपाल में बाहरी की एंट्री हुई तो उनका पत्ता कट जाएगा हालांकि इस मार्ग से कांग्रेस भी बाहर नहीं है विधानसभा चुनाव में मुंह की खाने वाले कांग्रेस के कोषाध्यक्ष गोविंद गोयल फिर टिकट के ख्वाब देख रहे हैं उनके समर्थकों ने पिछले दिनों बाहरी उम्मीदवार ना बनाए जाने के समर्थन में प्रदर्शन किया था वैसे कांग्रेस की हालत इस सीट पर बेहद कमजोर है कांग्रेस की तरकस में ऐसा कोई तीर नुमा नेता नहीं है जिसके भरोसे वह कांग्रेस में जीत का 100 फ़ीसदी दवा कर सके कांग्रेस पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह को जरूर दाव पर लगाने की तैयारी कर रहे हैं और दिग्विजय ने मंच पर अपनी सहमति दे रहे हैं।

क्या है भोपाल लोकसभा सीट का इतिहास

भारतीय जनता पार्टी ने भोपाल लोकसभा सीट पर हार का स्वाद पिछले 30 सालों से नहीं चखा वैसे 1952 से इस सीट पर कांग्रेस का दबदबा रहा था लेकिन 1984 के चुनाव के बाद कांग्रेस सीट पर कभी लौट कर वापस नहीं आ सकी कांग्रेस के लिए इस सीट से आखरी खुशी की खबर 1984 में किन प्रधान लेकर आए थे इसके बाद 1989 से 99 तक 4 बार बीजेपी के सुशील चंद्र वर्मा लगातार चार लोकसभा चुनाव जीते 1999 में फायर ब्रांड नेता उमा भारती भोपाल लोकसभा सीट से चुनाव लड़ी और जीती 2004 से 2014 तक दो बार पूर्व सीएम कैलाश जोशी सीट से चुनकर संसद पहुंचे और 2014 में मोदी लहर में अचानक संगठन से उठकर आलोक संजर संसद सदस्य बन गए।

1984 - केएन प्रधान (कांग्रेस)
1989 से 1999 - सुशील चंद्र वर्मा (बीजेपी)
1999- उमा भारती (बीजेपी)
2004 से 2014- कैलाश जोशी (बीजेपी)
2014 आलोक संजर (बीजेपी)

विधानसभा चुनाव के नतीजों से कांग्रेस को जागी उम्मीद

विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने भोपाल लोकसभा की 3 सीटों पर कब्जा जमाने में कामयाबी हासिल की है इसके पहले कांग्रेस कभी 1 सीट से आगे नहीं बढ़ पाई थी कांग्रेस ने लोकसभा की चुनावी रणनीति के तहत ही इस क्षेत्र से दो विधायकों को मंत्री पद से नवाजा था हालांकि अब देखना होगा कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस बीजेपी को किस हद तक चुनौती दे पाती है।


Conclusion:
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