ETV Bharat / briefs

ग्वालियर के अजीत सिंह एक हाथ गंवाने के बाद भी नहीं मानी हार, जेवलिन थ्रो इवेंट में जीता गोल्ड मेडल

ग्वालियर के अजित सिंह अपना एक हाथ गंवाने के बाद भी अपनी उम्र की नौजावानों के लिए प्रेरणास्त्रोत बने हुए है. चीन के बीजिंग में आयोजित पैरा एथलेटिक्स ग्रेंड प्रिक्स प्रतियोगिता में अजीत ने जेबलिन थ्रो इवेंट में गोल्ड मेडल जीत कर इतिहास रच दिया है.

author img

By

Published : May 18, 2019, 11:58 PM IST

gwalior

ग्वालियर। जिंदगी से जंग कैसे जीती जाती है यह कोई अजीत सिंह से सीखे. महानगर ग्वालियर में रहने वाले अजीत सिंह का एक हाथ नहीं है इसके बावजूद होने जिंदगी से हार नहीं मानी. चीन में हुए ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करने पर अजीत सिंह देश के लिए गोल्ड लेकर आएं.

गोल्ड मेडिलिस्ट अजित सिंह

अजीत सिंह ने बताया कि हादसे के महज डेढ़ साल बाद उन्होंने वह कर दिखाया जो किसी सामान्य खिलाड़ी के लिए भी नामुमकिन हो सकता है. हाल ही में चीन के बीजिंग में आयोजित पैरा एथलेटिक्स ग्रेंड प्रिक्स प्रतियोगिता में ग्वालियर के अजीत सिंह ने जेवलिन थ्रो इवेंट में गोल्ड मेडल जीत कर इतिहास रच दिया.

यह पहला मौका था जब मध्यप्रदेश के किसी खिलाड़ी ने पैरा एथलेटिक्स मैया गोल्ड जीता हो. अजीत सिंह के मुताबिक गोल्ड लाना उनके लिए बहुत मुश्किल था लेकिन जरूरी भी था। सीनियर्स का सहयोग और दोस्तों के प्यार से यह संभव हो सका.

एलएनआईपीई के कुलपति का कहना है कि किसी भी खिलाड़ी के लिए बहुत कठिन समय होता है जब बड़े हादसे से गुजर जाए और फिर वापिस आए और विश्व में अपने देश का नाम रोशन कर दें. उन्होंने कहा कि मुझे इस खिलाड़ी पर बहुत गर्व है.

अजीत सिंह ने एलएनआईपीई से बीपीएड बाद में एमपीएड करने के बाद वह नौकरी की तलाश में जुट गए थे लेकिन 4 दिसंबर 2017 को जब वह अपने दोस्त की शादी से लौट रहे थे तब एक रेल हादसे में अजित को एक हाथ गंवाना पड़ा लेकिन अजित ने हर परिस्थिति से लड़ते हुए कभी हार नहीं मानी.

ग्वालियर। जिंदगी से जंग कैसे जीती जाती है यह कोई अजीत सिंह से सीखे. महानगर ग्वालियर में रहने वाले अजीत सिंह का एक हाथ नहीं है इसके बावजूद होने जिंदगी से हार नहीं मानी. चीन में हुए ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करने पर अजीत सिंह देश के लिए गोल्ड लेकर आएं.

गोल्ड मेडिलिस्ट अजित सिंह

अजीत सिंह ने बताया कि हादसे के महज डेढ़ साल बाद उन्होंने वह कर दिखाया जो किसी सामान्य खिलाड़ी के लिए भी नामुमकिन हो सकता है. हाल ही में चीन के बीजिंग में आयोजित पैरा एथलेटिक्स ग्रेंड प्रिक्स प्रतियोगिता में ग्वालियर के अजीत सिंह ने जेवलिन थ्रो इवेंट में गोल्ड मेडल जीत कर इतिहास रच दिया.

यह पहला मौका था जब मध्यप्रदेश के किसी खिलाड़ी ने पैरा एथलेटिक्स मैया गोल्ड जीता हो. अजीत सिंह के मुताबिक गोल्ड लाना उनके लिए बहुत मुश्किल था लेकिन जरूरी भी था। सीनियर्स का सहयोग और दोस्तों के प्यार से यह संभव हो सका.

एलएनआईपीई के कुलपति का कहना है कि किसी भी खिलाड़ी के लिए बहुत कठिन समय होता है जब बड़े हादसे से गुजर जाए और फिर वापिस आए और विश्व में अपने देश का नाम रोशन कर दें. उन्होंने कहा कि मुझे इस खिलाड़ी पर बहुत गर्व है.

अजीत सिंह ने एलएनआईपीई से बीपीएड बाद में एमपीएड करने के बाद वह नौकरी की तलाश में जुट गए थे लेकिन 4 दिसंबर 2017 को जब वह अपने दोस्त की शादी से लौट रहे थे तब एक रेल हादसे में अजित को एक हाथ गंवाना पड़ा लेकिन अजित ने हर परिस्थिति से लड़ते हुए कभी हार नहीं मानी.

Intro:ग्वालियर- जिंदगी से जंग कैसे जीती जाती है यह कोई अजीत सिंह से सीखे.... ग्वालियर शहर के अजीत सिंह ने 2017 में रेल हादसे में उन्होंने अपना हाथ खो दिया लेकिन उसके बावजूद भी उनका अपने खेल के प्रति जज्बा कम नहीं हुआ हादसे के महज डेढ़ साल बाद उन्होंने वह कर दिखाया जो किसी सामान्य खिलाड़ी के लिए भी नामुमकिन हो सकता है। हाल ही में चीन के बीजिंग में आयोजित पैरा एथलेटिक्स ग्रेंड प्रिक्स प्रतियोगिता में ग्वालियर के अजीत सिंह ने जेबलिन थ्रो इवेंट में गोल्ड मेडल जीत कर इतिहास रच दिया है ।यह पहला मौका है जब मध्य प्रदेश के किसी खिलाड़ी ने पैरा एथलेटिक्स मैया गोल्ड जीता हो। अजीत सिंह की माने तो यह गोल्ड लाना उनके लिए बहुत मुश्किल था लेकिन जरूरी भी था। सीनियर्स का सहयोग और दोस्तों के प्यार से यह संभव हो सका है।


Body:दरअसल ग्वालियर के रहने वाले अजीत सिंह शुरू से ही स्पोर्ट में रहें उन्होंने ग्वालियर के एलएनआईपीई से बीपीएड बाद में एमपीएड किया और जिसके बाद वह नौकरी की तलाश में जुट गए। लेकिन 4 दिसंबर 2017 को जब वह अपने दोस्त की शादी से लौट रहे थे उसी समय उनके साथ एक रेल हादसा हो गया जिसमें अपना एक हाथ गंवाना पड़ा।लगभग एक साल तक वह रिकवरी करने के लिए घर पर आराम करते रहे और उनके दिमाग में बस यही बात थी कि आखिर एक हाथ से वह कैसे अपने देश के लिए गोल्ड ला सकते हैं ।उन्होंने अपने कॉलेज आकर सीनियर से बात की और कहा कि वह पैरा ओलंपिक एथलीट्स में हिस्सा लेना चाहते हैं पहले तो सभी को उनकी बात पर आश्चर्य हुआ लेकिन वे सभी ने उनकी मदद करने की ठान ली खुद अजीत सिंह बताते हैं सुबह और शाम तीन-तीन घंटे कड़ी मेहनत के बाद उनका चीन में होने वाली इस प्रतियोगिता के लिए चयन हुआ। जहां विभिन्न देशों के प्रतिभागियों के बीच उन्होंने भारत के लिए गोल्ड जीता है । उनका सपना है कि 20 में होने वाले ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करे और देश के लिए गोल्ड लेकर आएं।


Conclusion:वहीं एल एन आई पी ई के कुलपति का कहना है कि किसी भी खिलाड़ी के लिए बहुत कठिन समय होता है जब बड़े हादसे से गुजर जाए और फिर वापिस आये और विश्व में अपने देश का नाम रोशन कर दें। उन्हें इस खिलाड़ी पर बहुत गर्व है साथ ही उनका कहना है कि भविष्य में युवा खिलाड़ी को जिस तरह की जरूरत पड़ेगी वह हमेशा उसके साथ खड़े नजर आएंगे। वही जो लोग हादसे के बाद टूट जाते हैं और वापस अपने खेल को जारी नहीं रख पातेहैं उनके लिए अजीत सिंह एक मिसाल है और उन्होंने कहा कि परिस्थितियां कोई भी हो आपके अंदर हौसला होना चाहिए हर मुश्किल जो आपको आसान नजर आएगी। 

बाईट-अजीत सिंह,युवा खिलाड़ी 

बाईट-डॉ दिलीप दूरेहा,कुलपति,एलएनआईपी 

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.