ग्वालियर। जिंदगी से जंग कैसे जीती जाती है यह कोई अजीत सिंह से सीखे. महानगर ग्वालियर में रहने वाले अजीत सिंह का एक हाथ नहीं है इसके बावजूद होने जिंदगी से हार नहीं मानी. चीन में हुए ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करने पर अजीत सिंह देश के लिए गोल्ड लेकर आएं.
अजीत सिंह ने बताया कि हादसे के महज डेढ़ साल बाद उन्होंने वह कर दिखाया जो किसी सामान्य खिलाड़ी के लिए भी नामुमकिन हो सकता है. हाल ही में चीन के बीजिंग में आयोजित पैरा एथलेटिक्स ग्रेंड प्रिक्स प्रतियोगिता में ग्वालियर के अजीत सिंह ने जेवलिन थ्रो इवेंट में गोल्ड मेडल जीत कर इतिहास रच दिया.
यह पहला मौका था जब मध्यप्रदेश के किसी खिलाड़ी ने पैरा एथलेटिक्स मैया गोल्ड जीता हो. अजीत सिंह के मुताबिक गोल्ड लाना उनके लिए बहुत मुश्किल था लेकिन जरूरी भी था। सीनियर्स का सहयोग और दोस्तों के प्यार से यह संभव हो सका.
एलएनआईपीई के कुलपति का कहना है कि किसी भी खिलाड़ी के लिए बहुत कठिन समय होता है जब बड़े हादसे से गुजर जाए और फिर वापिस आए और विश्व में अपने देश का नाम रोशन कर दें. उन्होंने कहा कि मुझे इस खिलाड़ी पर बहुत गर्व है.
अजीत सिंह ने एलएनआईपीई से बीपीएड बाद में एमपीएड करने के बाद वह नौकरी की तलाश में जुट गए थे लेकिन 4 दिसंबर 2017 को जब वह अपने दोस्त की शादी से लौट रहे थे तब एक रेल हादसे में अजित को एक हाथ गंवाना पड़ा लेकिन अजित ने हर परिस्थिति से लड़ते हुए कभी हार नहीं मानी.