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वृंदावन ही नहीं मध्यप्रदेश के इन दो शहरों में भी खेली गई लट्ठमार होली, पत्नी ने लट्ठ से तोड़ा पति का दांत

विश्व प्रसिद्ध वृंदावन की लठमार होली को देखने देश-विदेश से सैलानी माथुरा पहुंचे है लेकिन मध्यप्रदेश के खंडवा और श्योपुर की लठमार होली की अपनी अलग पहचान है.

लठमार
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Published : Mar 23, 2019, 5:08 AM IST

खंडवा/श्योपुर। वृंदावन की लट्ठमार होली के चर्चे पूरी दुनिया में मशहूर है. लेकिन मध्यप्रदेश के खंडवा और श्योपुर में भी लठमार होली का अपना अलग रुप है. यहां महिला और पुरूष मिलकर होली का अनोखा उत्सव मनाते है, जिसमें पुरुषों को प्राचीन परंपरा निभाते हुए महिलाओं के लट्ठ खानी पड़ती है.

खंडवा-श्योपुर

खंडवा के कावड़िया गांव में गोसाई समाज में एक अनोखी परम्परा हैं. जहां समाज की महिलाएं होली से एक दिन पहले पुरुषों को घर से बाहर निकल देती हैं. जिसमें यह शर्त रखी जाती है कि पुरुष घर में तभी प्रवेश कर सकते है जब वह महिलाओं द्वारा लगाया गया झंडा ना तोड़ दें. लेकिन इसके लिए पुरुषों को कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है. इस दौरान पूर्व सरपंच कचरू गिरी की पत्नी ने लठमार कर अपने ही पति का दांत तोड़ दिया. इस पर पूर्व सरपंच का कहना है कि ये हमारी परंपरा हैं. हम लोग ऐसे ही होली खेलते हैं. यहां होली खेलने के दौरान घायल शख्स पुलिस के पास नहीं जाता.

चंबल संभाग के श्योपुर जिले में लठमार होली का अपना अलग ही महत्व है. जहां गांव के लोग मंदिर के बाहर इमली की बड़ी डाली को काटकर जमीन में गाढ़ देते हैं और फिर टहनी पर गुड़ बांधा जाता है गांव के युवावस्था से लेकर बुजुर्ग वर्ग तक के हर पुरुष को इमली डाल पर बंधे गुड़ को लूटने और डाल को उखाड़ने के लिए कहा जाता है. उसके बाद रख वाली कर रही सभी महिलााएं पुरुषों पर टूट पड़ती है और जमकर डंडे बरसाती है. महिलाओं की पिटाई खाने वाले गांव के युवा, बुजुर्ग बताते है कि यह 200 साल पुरानी परंपरा है जिसे सभी लोग भाई चारे के साथ निभाते है.

खंडवा/श्योपुर। वृंदावन की लट्ठमार होली के चर्चे पूरी दुनिया में मशहूर है. लेकिन मध्यप्रदेश के खंडवा और श्योपुर में भी लठमार होली का अपना अलग रुप है. यहां महिला और पुरूष मिलकर होली का अनोखा उत्सव मनाते है, जिसमें पुरुषों को प्राचीन परंपरा निभाते हुए महिलाओं के लट्ठ खानी पड़ती है.

खंडवा-श्योपुर

खंडवा के कावड़िया गांव में गोसाई समाज में एक अनोखी परम्परा हैं. जहां समाज की महिलाएं होली से एक दिन पहले पुरुषों को घर से बाहर निकल देती हैं. जिसमें यह शर्त रखी जाती है कि पुरुष घर में तभी प्रवेश कर सकते है जब वह महिलाओं द्वारा लगाया गया झंडा ना तोड़ दें. लेकिन इसके लिए पुरुषों को कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है. इस दौरान पूर्व सरपंच कचरू गिरी की पत्नी ने लठमार कर अपने ही पति का दांत तोड़ दिया. इस पर पूर्व सरपंच का कहना है कि ये हमारी परंपरा हैं. हम लोग ऐसे ही होली खेलते हैं. यहां होली खेलने के दौरान घायल शख्स पुलिस के पास नहीं जाता.

चंबल संभाग के श्योपुर जिले में लठमार होली का अपना अलग ही महत्व है. जहां गांव के लोग मंदिर के बाहर इमली की बड़ी डाली को काटकर जमीन में गाढ़ देते हैं और फिर टहनी पर गुड़ बांधा जाता है गांव के युवावस्था से लेकर बुजुर्ग वर्ग तक के हर पुरुष को इमली डाल पर बंधे गुड़ को लूटने और डाल को उखाड़ने के लिए कहा जाता है. उसके बाद रख वाली कर रही सभी महिलााएं पुरुषों पर टूट पड़ती है और जमकर डंडे बरसाती है. महिलाओं की पिटाई खाने वाले गांव के युवा, बुजुर्ग बताते है कि यह 200 साल पुरानी परंपरा है जिसे सभी लोग भाई चारे के साथ निभाते है.

Intro:एंकर
श्योपुर-आपने महिलाओं को पुरुषों की मार खाते जरूर देखा और सुना होगा लेकिन कभी पुरुषों को महिलाओं की मार खाते शायद ही कही देखा और सुना होगा लेकिन एमपी के श्योपुर जिले में एक ऐसा गांव है जहां महिलाएं पूरे गांव के पुरुषों की डंडो से पीट पीट कर खैर खबर लेती है जिसे देखने गांव ही नही बल्कि आस पास के क्षेत्र के हजारों लोग देखने पहुंचते है देखिये ये रिपोर्ट.....


Body:वीओ-1

हम बात कर रहे है जिला मुख्यालय से 20 किलोमीटर दूर बसे राडेप गांव की जहां बीते 200 सालों से एक ऐसी परम्परा चलीआरही है जिसे पूरे गांव के लोग हंसी खुशी से निभा रहे है जिसके लिए वह हर साल होली की भाईदूज के दिन गांव के मंदिर के बाहर इमली की बड़ी डाली को काटकर जमीन में गाढ़ देते है।फिर इस टहनी पर गुड़ बांधा जाता है और रखबाली के लिए पूरे गांव की सजी धजी महिलाओं को हाथों में डंडे थमाकर खड़ा कर दिया जाता है फिर गांव के युवावस्था से लेकर बुजुर्ग वर्ग तक के हर पुरुष को इमली डाल पर बंधे गुड़ को लूटने और डाल को उखाड़ने के लिए कहा जाता है उसके बाद रखबाली पर डंडे लेकर खड़ी सभी महिलाये पुरुषो पर टूट पड़ती है और जमकर डंडे बरसाकर उन्हें खदेड़ती है यह शिलशिला दो घण्टे तक चलता रहता है पुरुष पिटाई खाते खाते गुड़ लूट लूट कर भागते रहते है फिर आखिर में इमली की डाल को उखाड़कर भाग जाते है जिसे आप भी इन तस्वीरों में साफ तौर पर देख सकते है कि किस तरह से भरी महफिल में पूरे गांव के पुरुषो पर डंडे बरसाकर गांव की महिलाएं खैर खबर ले रही है और पुरुष नाराज होने की वजाए आनंद से डंडे खा रहे है और भाग रहे है.....


Conclusion:वीओ-2

महिलाओं की पिटाई खाने बाके राडेप गांव के युवा, बुजुर्ग और महिलाओं से जब इस बारे में बात की गई तो वह इस 200 साल पुरानी परंपरा को अच्छी परम्परा बताते हुए इसे हर्ष उल्लास से मनाने और महिलाओं की पिटाई से आंनद मिलने की बात कहते नजर आए युवा,बुजुर्ग और महिलाओं का कहनाहै कि......

बाईट
रामवीर जाट युवा
रणवीर जाट बुजुर्ग
गीता बाई महिला

श्योपुर से दीपक डंडोतिया की रिपोर्ट....
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