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धूमधाम से मनाई गई हनुमान जयंती, 11 फुट ऊंची हनुमान मूर्ति बनी लोगों की आस्था का केंद्र

दमोह के लक्ष्मण कुटी धाम में भगवान हनुमान की 11 फुट ऊंची मूर्ति लोगों की आस्था का केंद्र है. इस मंदिर की स्थापना पाकिस्तान के सिंध प्रांत से आए एक नागा जी महाराज लक्ष्मण दास ने कराई थी. वहीं अशोकनगर में हनुमान जन्मोत्सव पर पहलवानों ने हैरतअंगेज करतब दिखाए.

हनुमान जयंती
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Published : Apr 19, 2019, 3:15 PM IST

दमोह/अशोकनगर। प्रदेशभर में हनुमान जयंती का पर्व आज धूमधाम से मनाया जा रहा है. दमोह और अशोकनगर में भी कई धार्मिक आयोजन किए गए हैं. कई जगह भंडारे का भी आयोजन किया गया है.


दमोह में 11 फुट ऊंची हनुमान प्रतिमा को लेकर लोगों में श्रद्धा
जिला मुख्यालय से महज 11 किलोमीटर दूर लक्ष्मण कुटी धाम नाम का एक स्थान है. यहां पर भगवान हनुमान की 11 फुट ऊंची मूर्ति लोगों की आस्था का केंद्र है. लेकिन इस मंदिर की खास बात यह है कि इसकी स्थापना पाकिस्तान के सिंध प्रांत से आए एक नागा जी महाराज लक्ष्मण दास ने कराई थी.
देश की आजादी के पहले ही पाकिस्तान स्थित सिंध प्रांत से आए लक्ष्मण दास महाराज यानि नागा जी बाबा ने हनुमान भगवान की इस विशाल प्रतिमा की स्थापना की थी. नागा जी महाराज के करीबी माने जाने वाले भक्तों का कहना है कि वह 1934 में पाकिस्तान के सिंध प्रांत से भारत भ्रमण पर निकले साधुओं के संपर्क में आने के बाद वे साल 1934 में सागर पहुंचे. यहां पर उन्होंने हनुमान मंदिर की स्थापना की. इसके बाद 1946 में दमोह जिला मुख्यालय पर स्थित जटाशंकर धाम की एक पहाड़ी पर दत्तात्रेय मंदिर की स्थापना की.

हनुमान जयंती
वहीं उसके बाद देश को आजादी मिलने पर सन 1960 में नागा जी महाराज दमोह छोड़कर 11 किलोमीटर दूर इस स्थान पर कुटिया बनाकर रहने लगे. नागा जी महाराज का नाम लक्ष्मण दास होने के कारण लोग इस स्थान को लक्ष्मण कुटी के नाम से पहचानने लगे. वहीं उसके बाद उन्होंने 10 फीट के पत्थर पर जयपुर से कारीगर बुलाकर हनुमान जी की प्रतिमा बनवाई. भक्तों का दावा है कि 10 फीट के पत्थर पर 11 फीट के हनुमान जी की प्रतिमा बन कर तैयार हो गई. यह प्रतिमा पूरे बुंदेलखंड क्षेत्र में भक्तों की आस्था का केंद्र है.

अशोकनगर में पहलवानों ने दिखाए हैरतअंगेज करतब
जिले भर में हनुमान जन्मोत्सव बहुत ही धूमधाम से मनाया गया. सुबह से ही हनुमान मंदिरों में भक्तों का तांता लगा रहा. हनुमान जी महाराज को मनाने के लिए लोगों ने सुगंधित पुष्प, चोला सहित कई पूजा सामग्री अर्पित की. मंदिर से सुबह चल समारोह निकाला गया, जिसमें अखाड़े में उपस्थित पहलवानों ने हैरतअंगेज करतब दिखाए, जो लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बने हुए थे.

दमोह/अशोकनगर। प्रदेशभर में हनुमान जयंती का पर्व आज धूमधाम से मनाया जा रहा है. दमोह और अशोकनगर में भी कई धार्मिक आयोजन किए गए हैं. कई जगह भंडारे का भी आयोजन किया गया है.


दमोह में 11 फुट ऊंची हनुमान प्रतिमा को लेकर लोगों में श्रद्धा
जिला मुख्यालय से महज 11 किलोमीटर दूर लक्ष्मण कुटी धाम नाम का एक स्थान है. यहां पर भगवान हनुमान की 11 फुट ऊंची मूर्ति लोगों की आस्था का केंद्र है. लेकिन इस मंदिर की खास बात यह है कि इसकी स्थापना पाकिस्तान के सिंध प्रांत से आए एक नागा जी महाराज लक्ष्मण दास ने कराई थी.
देश की आजादी के पहले ही पाकिस्तान स्थित सिंध प्रांत से आए लक्ष्मण दास महाराज यानि नागा जी बाबा ने हनुमान भगवान की इस विशाल प्रतिमा की स्थापना की थी. नागा जी महाराज के करीबी माने जाने वाले भक्तों का कहना है कि वह 1934 में पाकिस्तान के सिंध प्रांत से भारत भ्रमण पर निकले साधुओं के संपर्क में आने के बाद वे साल 1934 में सागर पहुंचे. यहां पर उन्होंने हनुमान मंदिर की स्थापना की. इसके बाद 1946 में दमोह जिला मुख्यालय पर स्थित जटाशंकर धाम की एक पहाड़ी पर दत्तात्रेय मंदिर की स्थापना की.

हनुमान जयंती
वहीं उसके बाद देश को आजादी मिलने पर सन 1960 में नागा जी महाराज दमोह छोड़कर 11 किलोमीटर दूर इस स्थान पर कुटिया बनाकर रहने लगे. नागा जी महाराज का नाम लक्ष्मण दास होने के कारण लोग इस स्थान को लक्ष्मण कुटी के नाम से पहचानने लगे. वहीं उसके बाद उन्होंने 10 फीट के पत्थर पर जयपुर से कारीगर बुलाकर हनुमान जी की प्रतिमा बनवाई. भक्तों का दावा है कि 10 फीट के पत्थर पर 11 फीट के हनुमान जी की प्रतिमा बन कर तैयार हो गई. यह प्रतिमा पूरे बुंदेलखंड क्षेत्र में भक्तों की आस्था का केंद्र है.

अशोकनगर में पहलवानों ने दिखाए हैरतअंगेज करतब
जिले भर में हनुमान जन्मोत्सव बहुत ही धूमधाम से मनाया गया. सुबह से ही हनुमान मंदिरों में भक्तों का तांता लगा रहा. हनुमान जी महाराज को मनाने के लिए लोगों ने सुगंधित पुष्प, चोला सहित कई पूजा सामग्री अर्पित की. मंदिर से सुबह चल समारोह निकाला गया, जिसमें अखाड़े में उपस्थित पहलवानों ने हैरतअंगेज करतब दिखाए, जो लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बने हुए थे.

Intro:पाकिस्तान के सिंध प्रांत से आए नागा जी महाराज ने दमोह के इस गांव में आकर की थी बड़े हनुमान जी की

नागा जी महाराज के नाम से ही इस गांव का नाम पड़ा लक्ष्मण कुटी धाम

10 फुट के पत्थर में 11 फुट की मूर्ति बनने के चमत्कार को आज भी याद रखते हैं यहां के लोग

नागा जी महाराज के ब्रह्मलीन होने के बाद यहां का महंत केवल 5 से 7 साल ही रहता है जीवित

Anchor. दमोह जिला मुख्यालय से महज 11 किलोमीटर दूर एक स्थान है, यह स्थान लक्ष्मण कुटी धाम के नाम से जाना जाता है. यहां पर भगवान हनुमान की 11 फुट की मूर्ति लोगों की आस्था का केंद्र है. लेकिन इस मंदिर की खास बात यह है कि इस मंदिर की स्थापना पाकिस्तान के सिंध प्रांत से आए एक नागा जी महाराज लक्ष्मण दास जी ने कराई थी. इस प्रतिमा की स्थापना के साथ ही यह प्रतिमा चमत्कार करती नजर आई और तब से लेकर अब तक यह बुंदेलखंड की सबसे बड़ी प्रतिमा के रूप में लोगों के बीच आस्था का केंद्र बनी हुई है.


Body:Vo. देश की आजादी के पहले ही पाकिस्तान स्थित सिंध प्रांत से आए लक्ष्मण दास जी महाराज यानी नागा जी बाबा ने दमोह के इस गांव में हनुमान जी की इस विशाल प्रतिमा की स्थापना की थी. नागा जी महाराज के करीबी माने जाने वाले भक्तों का कहना है कि नागा जी महाराज 1934 में पाकिस्तान के सिंध प्रांत से भारत भ्रमण पर निकले साधुओं के संपर्क में आने के बाद वे सन् 1934 में सागर पहुंचे. जहां पर उन्होंने हनुमान मंदिर की स्थापना की. इसके बाद 1946 में दमोह जिला मुख्यालय पर स्थित जटाशंकर धाम के की एक पहाड़ी पर दत्तात्रेय मंदिर की स्थापना की. वहीं उसके बाद देश को आजादी मिलने पर सन 1960 में नागा जी महाराज दमोह छोड़कर 11 किलोमीटर दूर इस स्थान पर कुटिया बनाकर रहने लगे. नागा जी महाराज का नाम लक्ष्मण दास जी होने के कारण लोग इस स्थान को लक्ष्मण कुटी के नाम से पहचानने लगे. वहीं उसके बाद उन्होंने 10 फीट के पत्थर पर जयपुर से कारीगर बुलाकर हनुमान जी की प्रतिमा बनवाई. भक्तों का दावा है कि 10 फीट के पत्थर पर 11 फीट के हनुमान जी की प्रतिमा बन कर तैयार हो गई. यह प्रतिभा पूरे बुंदेलखंड क्षेत्र में जहां भक्तों की आस्था का केंद्र है. वही यह प्रतिमा सबसे विशाल प्रतिमा मानी जाती है. इस प्रतिमा से जुड़े अनेक चमत्कार भी यहां के भक्त बताते हैं.

बाइट राजेश कोरी स्थानीय भक्त

बाइट नत्थू राम पटेल नागा जी महाराज के पुराने भक्तों


Conclusion:Vo. लक्ष्मण कुटी धाम से एक और किवदंती जुड़ी हुई है. यहां के लोग बताते हैं कि नागा जी महाराज द्वारा स्थापित की गई 3 मढ़िया मंदिर के जीर्णोद्धार के समय तोड़ दी गई थी. जिसके बाद से यहां पर आने वाले नागा जी महाराज की परंपरा को चलाने वाले महंत केवल 5 से 7 साल ही जीवित रहते हैं. यहां के लोगों के मुताबिक नागा जी महाराज के सन 1994 में ब्रह्मलीन हो जाने के बाद बीते 25 सालों में 6 महंत लक्ष्मण कुटी धाम के बन चुके हैं. लेकिन सभी इसी समय काल में ब्रह्मलीन भी हो गए. नागा जी महाराज के ब्रह्मलीन होने के बाद महावीर गिरी जी महंत बने. उसके बाद भगवान गिरी जी, शांतिगिरी जी, पुजारी गिरी जी, सेवागिरी जी, नरेंद्र गिरी जी महाराज महंत बनाए गए. लेकिन यह सभी महंत भी 5 से 7 साल के बीच ब्रह्मलीन हो गए. वर्तमान में नारायण गिरी जी महाराज महंत के रूप में लक्ष्मण कुटी धाम का संचालन कर रहे हैं. वजह कुछ भी हो लेकिन भगवान हनुमान का यह स्थान चमत्कारों से परिपूर्ण है. हनुमान जयंती सहित अन्य अवसरों पर यहां पर दूर-दूर से भक्तों का आना लगा रहता है.

आशीष कुमार जैन
ईटीवी भारत दमोह
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