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विरोधियों से पहले अपनों से जीतना जरूरी, जीत के लिए मतभेदों की खाईं भरने में जुटे मुख्यमंत्री कमलनाथ

झाबुआ विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव की तैयारी में कांग्रेस जुट गयी है. इस सीट को लेकर कांग्रेस का अंदरूनी विवाद की स्थिति को सुलझाने के लिए खुद मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सामने आ गए हैं.

झाबुआ उपचुनाव
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Published : Jun 25, 2019, 8:48 PM IST

भोपाल। बीजेपी विधायक जीएस डामोर के सांसद बनने के बाद खाली हुई झाबुआ विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव की तैयारी में कांग्रेस जुट गयी है. सत्ताधारी कांग्रेस अपने खाते में अब एक सीट बढ़ाने का कोई मौका नहीं छोड़ना चाहती है. यही वजह है कि पार्टी इस विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव में एड़ी-चोटी का जोर लगा रही है. मुख्यमंत्री कमलनाथ अभी से इसकी तैयारियों में जुट गए हैं, लेकिन इस सीट को जीतने के लिए पहले कांग्रेस के कांतिलाल भूरिया और जेवियर मेढ़ा का विवाद सुलझाना जरूरी है.

झाबुआ उपचुनाव


कांग्रेस का अंदरूनी विवाद
इस सीट को लेकर कांग्रेस का अंदरूनी विवाद भी सामने आ रहा है. झाबुआ में कांतिलाल भूरिया और कांग्रेस के जेवियर मेढ़ा का विवाद कहीं न कहीं कांग्रेस की हार का कारण बना था. टिकट की दावेदारी कर रहे जेवियर मेढ़ा को टिकट नहीं मिला और कांतिलाल भूरिया के बेटे विक्रांत भूरिया को टिकट मिल गया. जिसके चलते जेवियर मेढ़ा निर्दलीय चुनाव लड़े और करीब 35 हजार वोट मिले. यही वजह थी कि कांग्रेस प्रत्याशी विक्रांत भूरिया बीजेपी के उम्मीदवार जीएस डामोर 10000 मतों से हार गए. बाद में जेवियर मेढ़ा की कांग्रेस में वापसी हो गई और लोकसभा चुनाव में उन्होंने कांतिलाल भूरिया के पक्ष में प्रचार भी किया. हालांकि, इसके बाद भी वे जीत हासिल नहीं कर सके.


कमलनाथ का झाबुआ दौरा
उपचुनाव की अधिसूचना जारी होने से पहले ही मुख्यमंत्री कमलनाथ यहां एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं. उन्होंने सोमवार को झाबुआ का दौरा भी किया. वे दिन भर झाबुआ में रहे और कई कार्यक्रमों में हिस्सा लिये. उन्होंने कार्यकर्ताओं और नेताओं से बातचीत भी की. कांतिलाल भूरिया और जेवियर मेढ़ा के बीच सुलह कराने के प्रयास भी किए, लेकिन कोई अंतिम निर्णय नहीं होने की स्थिति में मुख्यमंत्री ने दोनों नेताओं को बुधवार को भोपाल तलब किया है.


इस बार साथ जरूरी
लोकसभा चुनाव में भले ही दोनों साथ होने के बावजूद हारे हों, लेकिन विधानसभा चुनाव में ये साफ है कि अगर कांतिलाल भूरिया और जेवियर मेढ़ा साथ मिलकर झाबुआ विधानसभा उप चुनाव लड़ते हैं तो कांग्रेस के जीतने की उम्मीद बढ़ जाती है.


'नहीं है विवाद'
इस बारे में मध्यप्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष प्रकाश जैन का कहना है कि ये विवाद की बात बस हवा है. दोनों के बीच कोई विवाद नहीं है. अगर ऐसा कुछ होता तो जेवियर मेढ़ा लोकसभा चुनाव में कांतिलाल भूरिया की मदद क्यों करते. जहां तक चुनावी तैयारियों का सवाल है तो हर चुनाव के लिए तैयारी करनी पड़ती है, इसलिए हम तैयारी कर रहे हैं. बिना तैयारी के चुनाव नहीं लड़ सकते हैं.

भोपाल। बीजेपी विधायक जीएस डामोर के सांसद बनने के बाद खाली हुई झाबुआ विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव की तैयारी में कांग्रेस जुट गयी है. सत्ताधारी कांग्रेस अपने खाते में अब एक सीट बढ़ाने का कोई मौका नहीं छोड़ना चाहती है. यही वजह है कि पार्टी इस विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव में एड़ी-चोटी का जोर लगा रही है. मुख्यमंत्री कमलनाथ अभी से इसकी तैयारियों में जुट गए हैं, लेकिन इस सीट को जीतने के लिए पहले कांग्रेस के कांतिलाल भूरिया और जेवियर मेढ़ा का विवाद सुलझाना जरूरी है.

झाबुआ उपचुनाव


कांग्रेस का अंदरूनी विवाद
इस सीट को लेकर कांग्रेस का अंदरूनी विवाद भी सामने आ रहा है. झाबुआ में कांतिलाल भूरिया और कांग्रेस के जेवियर मेढ़ा का विवाद कहीं न कहीं कांग्रेस की हार का कारण बना था. टिकट की दावेदारी कर रहे जेवियर मेढ़ा को टिकट नहीं मिला और कांतिलाल भूरिया के बेटे विक्रांत भूरिया को टिकट मिल गया. जिसके चलते जेवियर मेढ़ा निर्दलीय चुनाव लड़े और करीब 35 हजार वोट मिले. यही वजह थी कि कांग्रेस प्रत्याशी विक्रांत भूरिया बीजेपी के उम्मीदवार जीएस डामोर 10000 मतों से हार गए. बाद में जेवियर मेढ़ा की कांग्रेस में वापसी हो गई और लोकसभा चुनाव में उन्होंने कांतिलाल भूरिया के पक्ष में प्रचार भी किया. हालांकि, इसके बाद भी वे जीत हासिल नहीं कर सके.


कमलनाथ का झाबुआ दौरा
उपचुनाव की अधिसूचना जारी होने से पहले ही मुख्यमंत्री कमलनाथ यहां एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं. उन्होंने सोमवार को झाबुआ का दौरा भी किया. वे दिन भर झाबुआ में रहे और कई कार्यक्रमों में हिस्सा लिये. उन्होंने कार्यकर्ताओं और नेताओं से बातचीत भी की. कांतिलाल भूरिया और जेवियर मेढ़ा के बीच सुलह कराने के प्रयास भी किए, लेकिन कोई अंतिम निर्णय नहीं होने की स्थिति में मुख्यमंत्री ने दोनों नेताओं को बुधवार को भोपाल तलब किया है.


इस बार साथ जरूरी
लोकसभा चुनाव में भले ही दोनों साथ होने के बावजूद हारे हों, लेकिन विधानसभा चुनाव में ये साफ है कि अगर कांतिलाल भूरिया और जेवियर मेढ़ा साथ मिलकर झाबुआ विधानसभा उप चुनाव लड़ते हैं तो कांग्रेस के जीतने की उम्मीद बढ़ जाती है.


'नहीं है विवाद'
इस बारे में मध्यप्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष प्रकाश जैन का कहना है कि ये विवाद की बात बस हवा है. दोनों के बीच कोई विवाद नहीं है. अगर ऐसा कुछ होता तो जेवियर मेढ़ा लोकसभा चुनाव में कांतिलाल भूरिया की मदद क्यों करते. जहां तक चुनावी तैयारियों का सवाल है तो हर चुनाव के लिए तैयारी करनी पड़ती है, इसलिए हम तैयारी कर रहे हैं. बिना तैयारी के चुनाव नहीं लड़ सकते हैं.

Intro:भोपाल। झाबुआ विधानसभा सीट से विजयी हुए बीजेपी के जी एस डामोर लोकसभा चुनाव भी बीजेपी के टिकट पर लड़े थे। लोकसभा चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के दिग्गज नेता कांतिलाल भूरिया को पटखनी दी। खास बात यह है कि विधानसभा चुनाव में उन्होंने कांतिलाल भूरिया के बेटे विक्रांत भूरिया को करीब 10 मतों से हराया था। सांसद चुने जाने के बाद विधानसभा के सदस्य के पद से इस्तीफा दे दिया है। उम्मीद की जा रही है कि जल्दी झाबुआ विधानसभा उपचुनाव के लिए अधिसूचना जारी होगी ऐसे में उपचुनाव अपनी एक सीट बढ़ाने का मौका मानकर सत्ताधारी दल कांग्रेस कोई कसर नहीं छोड़ रहा है। इसी कड़ी में सोमवार को मुख्यमंत्री कमलनाथ दिनभर झाबुआ में रहे और उन्होंने कई कार्यक्रमों में हिस्सा लेने के अलावा झाबुआ उपचुनाव के लिए पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं से बातचीत की। दरअसल झाबुआ उपचुनाव के सारे समीकरण कांग्रेस के पक्ष में दिख रहे हैं। लेकिन झाबुआ में कांतिलाल भूरिया और कांग्रेस के जेवियर मेढ़ा का विवाद विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार का कारण बना था। टिकट की दावेदारी कर रहे जेवियर मेढ़ा को टिकट नहीं मिला और कांतिलाल भूरिया के बेटे विक्रांत भूरिया को टिकट मिला। तो जेवियर मेडा निर्दलीय चुनाव लड़ गए और करीब 35 हजार वोट हासिल की। जिसके कारण कांग्रेस प्रत्याशी विक्रांत भूरिया बीजेपी के उम्मीदवार जी एस डामोर 10000 मतों से हार गए। हालांकि बाद में जेवियर मीणा की कांग्रेसमें वापसी हो गई और लोकसभा चुनाव में उन्होंने कांतिलाल भूरिया के पक्ष में प्रचार भी किया। हालांकि कांतिलाल भूरिया चुनाव हार गए लेकिन झाबुआ रतलाम से झाबुआ विधानसभा सीट से सात हजार मतों से जीत हासिल हुई।


Body:इन सभी कारणों से साफ है कि अगर कांतिलाल भूरिया और जेवियर मेड़ा मिलकर झाबुआ विधानसभा उप चुनाव लड़ते हैं।तो कांग्रेस प्रत्याशी की जीत सुनिश्चित है।ऐसे में मुख्यमंत्री कमलनाथ खुद झाबुआ उपचुनाव के लिए अभी से तैयारियों में जुट गए हैं। 24 जून को उन्होंने झाबुआ में स्कूल चलो अभियान, सामूहिक विवाह सम्मेलन के अलावा कई कार्यक्रमों में हिस्सा लिया और झाबुआ के कांग्रेसजनों से मुलाकात कर उपचुनाव की तैयारी में जुट जाने के लिए कहा। यहां पर मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कांतिलाल भूरिया और जेवियर मेड़ा के बीच सुलह कराने के प्रयास किए। लेकिन कोई अंतिम निर्णय ना होने की स्थिति में मुख्यमंत्री कमलनाथ ने दोनों नेताओं को बुधवार को भोपाल तलब किया है। माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री की कोशिश यह होगी कि किसी तरह दोनों नेताओं में सामंजस्य कराया जाए।ताकि उपचुनाव में कांग्रेस आसानी से चुनाव जीत सके।


Conclusion:इस बारे में मध्य प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष प्रकाश जैन का कहना है कि कांतिलाल भूरिया और जेवियर मेडा के बीच जो विवाद की बात आ रही है। दरअसल इस विवाद की हवा उड़ाई जा रही है। दोनों के बीच कोई विवाद नहीं है। अगर विवाद होता तो जेवियर मेडा लोकसभा चुनाव में कांतिलाल भूरिया की मदद क्यों करते। जेवियर मेडा ने कांतिलाल भूरिया की भरपूर मदद की। उनके संबंध भी सामान्य हैं। इसलिए विवाद जैसी स्थिति नहीं है, दोनों ही अच्छे उम्मीदवार हो सकते हैं। जहां तक चुनाव तैयारियों का सवाल है। तो हर चुनाव के लिए तैयारी करनी पड़ती है। इसलिए हम तैयारी कर रहे हैं बिना तैयारी के चुनाव में नहीं जाएंगे। ऐसा नहीं है कि हम अकेले तैयारी कर रहे हैं। सामने वाले भी तैयारी कर रहे होंगे। चुनाव लड़ना है तो तैयारी करके जाना होगा,बिना तैयारी के चुनाव नहीं लड़ सकते हैं।
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