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बल्ले को मैदान में भारत की जीत का प्रतीक बनाइए, सड़कों पर प्रजातंत्र की हार का नहींः मुख्यमंत्री - एमपी न्यूज

बीजेपी विधायक आकाश विजयवर्गीय की हरकत के बाद सीएम कमलनाथ ने युवा जनप्रतिनिधियों को सलाह दी है. एक आर्टिकल लिखकर युवा नेताओं तक अपनी बात पहुंचाई है.

फाइल फोटो
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Published : Jun 28, 2019, 10:03 PM IST

भोपाल। बीजेपी विधायक आकाश विजयवर्गीय द्वारा बल्ले से निगम अधिकारी की पिटाई के मामले में मुख्यमंत्री कमलनाथ ने एक आर्टिकल लिखकर युवा जन प्रतिनिधियों को बड़ी नसीहत दी है. उन्होंने कहा कि बल्ले को मैदान में भारत की जीत का प्रतीक बनाइए, सड़कों पर प्रजातंत्र की हार का नहीं. सीएम ने लिखा कि आज चुने हुए युवा जनप्रतिनिधियों को आत्म मंथन और आत्म चिंतन करना चाहिए कि वह किस रास्ते पर भारत के भविष्य को ले जाना चाहते हैं.

आकाश विजयवर्गीय की हरकत के बाद सीएम कमलनाथ ने सलाह दी है

सीएम ने ब्लॉग में पंडित जवाहर लाल नेहरू के शब्दों को भी शामिल करते हुये लिखा कि एक रास्ता प्रजातंत्र की गौरवशाली विरासत की उम्मीदों को पूरा करने वाला है और दूसरा उन्मादी. दोस्तों उन्मादी व्यवहार सस्ता प्रचार तो दे सकता है, प्रजातंत्र को परिपक्वता नहीं दे सकता, आप पर दायित्व है सदन में कानून बनाने का, सड़कों में कानून हाथ में लेने का नहीं. आप अपनी बात दृढ़ता और मुखरता से रखें, लेकिन मर्यादा लांघकर नहीं.

भोपाल। बीजेपी विधायक आकाश विजयवर्गीय द्वारा बल्ले से निगम अधिकारी की पिटाई के मामले में मुख्यमंत्री कमलनाथ ने एक आर्टिकल लिखकर युवा जन प्रतिनिधियों को बड़ी नसीहत दी है. उन्होंने कहा कि बल्ले को मैदान में भारत की जीत का प्रतीक बनाइए, सड़कों पर प्रजातंत्र की हार का नहीं. सीएम ने लिखा कि आज चुने हुए युवा जनप्रतिनिधियों को आत्म मंथन और आत्म चिंतन करना चाहिए कि वह किस रास्ते पर भारत के भविष्य को ले जाना चाहते हैं.

आकाश विजयवर्गीय की हरकत के बाद सीएम कमलनाथ ने सलाह दी है

सीएम ने ब्लॉग में पंडित जवाहर लाल नेहरू के शब्दों को भी शामिल करते हुये लिखा कि एक रास्ता प्रजातंत्र की गौरवशाली विरासत की उम्मीदों को पूरा करने वाला है और दूसरा उन्मादी. दोस्तों उन्मादी व्यवहार सस्ता प्रचार तो दे सकता है, प्रजातंत्र को परिपक्वता नहीं दे सकता, आप पर दायित्व है सदन में कानून बनाने का, सड़कों में कानून हाथ में लेने का नहीं. आप अपनी बात दृढ़ता और मुखरता से रखें, लेकिन मर्यादा लांघकर नहीं.

Intro:भोपाल। बीजेपी के युवा विधायक आकाश विजयवर्गीय द्वारा बल्ले से निगमकर्मी की पिटाई के मामले में मुख्यमंत्री कमलनाथ ने एक ब्लॉग लिखकर युवा जनप्रतिनिधियों को बड़ी नसीहत दी है। उन्होंने कहा है कि बल्ले को मैदान में भारत की जीत का प्रतीक बनाइए, सड़कों पर प्रजातंत्र की हार का नहीं। आज हमारे चुने हुए युवा जनप्रतिनिधियों को आत्ममंथन और आत्मचिंतन करना चाहिए कि वह किस रास्ते पर भारत के भविष्य को ले जाना चाहते हैं। एक रास्ता प्रजातंत्र की गौरवशाली विरासत की उम्मीदों को पूरा करने वाला है और दूसरा उन्मादी।दोस्तों उन्मादी व्यवहार सस्ता प्रचार तो दे सकता है, प्रजातंत्र को परिपक्वता नहीं दे सकता है। आप पर दायित्व है सदन में कानून बनाने का, सड़कों में कानून हाथ में लेने का नहीं। आप अपनी बात दृढ़ता और मुखरता से रखें मर्यादा को लांघकर नहीं।


Body:मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अपने ब्लॉग के जरिए युवा साथियों को संबोधित करते हुए लिखा है कि प्रिय युवा साथियो...

हिंदुस्तान की दो बड़ी खूबियां हैं, एक तो यह विश्व का सबसे बड़ा प्रजातंत्र है और दूसरा विश्व में सर्वाधिक युवा देश। ऐसे में स्वाभाविक है कि चुने हुए युवा जनप्रतिनिधियों से देश की अपेक्षाएं भी अधिक होगी, और हो भी क्यों ना, हमारे पास अपने प्रजातंत्र की गौरवशाली विरासत जो है। भारतीय प्रजातंत्र का जो छायादार वृक्ष आज हमें दिखाई देता है, इसके त्याग और बलिदान का बीज बहुत गहरा बोया गया है और आज समूचे विश्व के लिए प्रेरणादायी है।

पंडित नेहरू कहते थे ' संस्कारवान युवा ही देश का भविष्य संवारेगा। आज हमारे चुने हुए युवा जनप्रतिनिधियों को आत्ममंथन- आत्मचिंतन करना चाहिए कि वह किस रास्ते पर भारत के भविष्य को ले जाना चाहते हैं। एक रास्ता प्रजातंत्र की गौरवशाली विरासत की उम्मीदों को पूरा करने वाला है, और दूसरा उन्मादी। दोस्तों उन्मादी व्यवहार सस्ता प्रचार तो दे सकता है, प्रजातंत्र को परिपक्वता नहीं दे सकता है।

युवा जनप्रतिनिधियों, आप पर दायित्व है सदन में कानून बनाने का, सड़कों पर कानून हाथ में लेने का नहीं। आप अपनी बात दृढ़ता और मुखरता से रखें, मर्यादा को लांघकर नहीं।

आज समूचे विश्व को हमारे बल्ले की चमक देखने मिल रही है। हमारी क्रिकेट टीम लगातार जीत हासिल कर रही है और हमें पूरी उम्मीद है कि हम विश्वकप में अपना परचम लहराएंगे। मगर बल्ले की यह जीत बगैर मेहनत के हासिल नहीं की जा सकती। खिलाड़ियों को मर्यादित मेहनत करनी होती है। मर्यादा धैर्य सिखाती है, धैर्य से सहनशीलता आती है। सहनशीलता से वे परिपक्व होते हैं और परिपक्वता जीत की बुनियाद बनती है। अर्थात खेल का मैदान हो या प्रजातंत्र, मूल मंत्र एक ही है। यह बात में सीमित और संकुचित दायरे में रहकर नहीं कह रहा हूं। सभी दल के युवा साथियों से मेरा यह अनुरोध है।

मुख्यमंत्री होने के नाते मेरा दायित्व है कि मैं अपने नौजवान और होनहार साथियों के साथ विमर्श करता रहूं। युवा जनप्रतिनिधि साथियो, बल्ले को मैदान में भारत की जीत का प्रतीक बनाइए, सड़कों पर प्रजातंत्र की हार का नहीं।


Conclusion:
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