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धार: धूमधाम से मनाया जा रहा है गणगौर पर्व, जानें क्या हैं इससे जुड़ी मान्यताएं - gangaur teej festival

धार। चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाने वाला गणगौर तीज उत्सव आज से मनाया जा रहा है. धार के निवासियों ने ढोल लंगाड़ों के साथ माता का स्वागत किया. इस दिन विशेष रूप से माता पार्वती और भगवान शंकर की पूजा की जाती है. गणगौर पर्व राजस्थान के प्रमुख पर्वों में एक है. जिसे पूरी श्रद्धा और परंपरा के साथ मनाया जाता है.

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Published : Apr 8, 2019, 5:47 PM IST

धार। चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाने वाला गणगौर तीज उत्सव आज से मनाया जा रहा है. धार के निवासियों ने ढोल नगाड़ों के साथ माता का स्वागत किया. इस दिन विशेष रूप से माता पार्वती और भगवान शंकर की पूजा की जाती है. गणगौर पर्व राजस्थान के प्रमुख पर्वों में एक है. जिसे पूरी श्रद्धा और परंपरा के साथ मनाया जाता है.

गणगौर तीज उत्सव

मान्यता है कि कुंवारी कन्याएं अच्छे वर और विवाहित महिलाएं सुहाग की रक्षा के लिए मां गणगौर की पूजा अर्चना करती हैं. इस बीच महिलाएं एकत्रित होकर गणगौर माता के गीत गाकर गणगौर पर्व मनाएंगी. राजस्थान के साथ मध्यप्रदेश के निमाड़-मालवा क्षेत्र में गणगौर का पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. इस पर्व में मां पार्वती स्वरूप गणगौर माता का स्वागत ठीक उसी तरह से किया जाता है जिस तरीके से बेटी के विवाह होने के बाद जब वह पहली बार अपने मायके आती है. आज ही के दिन गणगौर माता का रथ सजाया जाता है और उन्हों ज्वारे रूपी गणगौर माता को घर लाया जाता है.

इस पवन पर्व पर महिलाएं प्रसाद बनाकर माता गणगौर को भोग लगाती है और बाद में घर के सभी सदस्य मां की पूजा-अर्चना कर भोजन प्रसादी ग्रहण करते हैं. 3 दिनों तक चलने वाले माता गणगौर के इस पर्व पर महिलाएं शाम के समय एकत्रित होकर गणगौर माता के गीत गाती हैं. इसके उपरांत मां गणगौर की विदाई ठीक उसी तरह से की जाती है जिस तरीके से बेटी की विदाई की जाती है. मालवा-निमाड़ क्षेत्र में मां गणगौर का पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है.

धार। चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाने वाला गणगौर तीज उत्सव आज से मनाया जा रहा है. धार के निवासियों ने ढोल नगाड़ों के साथ माता का स्वागत किया. इस दिन विशेष रूप से माता पार्वती और भगवान शंकर की पूजा की जाती है. गणगौर पर्व राजस्थान के प्रमुख पर्वों में एक है. जिसे पूरी श्रद्धा और परंपरा के साथ मनाया जाता है.

गणगौर तीज उत्सव

मान्यता है कि कुंवारी कन्याएं अच्छे वर और विवाहित महिलाएं सुहाग की रक्षा के लिए मां गणगौर की पूजा अर्चना करती हैं. इस बीच महिलाएं एकत्रित होकर गणगौर माता के गीत गाकर गणगौर पर्व मनाएंगी. राजस्थान के साथ मध्यप्रदेश के निमाड़-मालवा क्षेत्र में गणगौर का पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. इस पर्व में मां पार्वती स्वरूप गणगौर माता का स्वागत ठीक उसी तरह से किया जाता है जिस तरीके से बेटी के विवाह होने के बाद जब वह पहली बार अपने मायके आती है. आज ही के दिन गणगौर माता का रथ सजाया जाता है और उन्हों ज्वारे रूपी गणगौर माता को घर लाया जाता है.

इस पवन पर्व पर महिलाएं प्रसाद बनाकर माता गणगौर को भोग लगाती है और बाद में घर के सभी सदस्य मां की पूजा-अर्चना कर भोजन प्रसादी ग्रहण करते हैं. 3 दिनों तक चलने वाले माता गणगौर के इस पर्व पर महिलाएं शाम के समय एकत्रित होकर गणगौर माता के गीत गाती हैं. इसके उपरांत मां गणगौर की विदाई ठीक उसी तरह से की जाती है जिस तरीके से बेटी की विदाई की जाती है. मालवा-निमाड़ क्षेत्र में मां गणगौर का पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है.

Intro:गणगौर माता का घर में हुआ आगमन ढोल धमाकों के साथ माता का किया स्वागत, शाम के समय महिलाएं एकत्रित होकर गणगौर माता के गीत गाकर मनायेगी गणगौर माता का यह पावन पर्व


Body:राजस्थान के साथ मध्यप्रदेश के निमाड़-मालवा क्षेत्र में गणगौर का पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है, यह पर्व चैत्र माह की तीज को मनाया जाता है गणगौर का पर्व मुख्य रूप से माता पार्वती और शिव का पर्व है इस पर्व में मां पार्वती स्वरूप गणगौर माता का स्वागत ठीक उसी तरह से किया जाता है जिस तरीके से बेटी के विवाह होने के बाद जब वह पहली बार अपने मायके आती है, आज ही के दिन गणगोर माता का रथ सजाया जाता है माता की बाड़ी से ज्वारे रूपी गणगोर माता को घर लाया जाता है माता को घर लाने के लिए रथ को सजाया जाता है साथ ही ढोल धमाकों के साथ माता का स्वागत अभिनंदन किया जाता है और उन्हें घर लाया जाता है घर लाने के बाद माता की पूजा अर्चना की जाती है, माता के आगमन पर हैं घर में मिष्ठान युक्त भोजन बनाया जाता है घर के सभी सदस्य मां की पूजा-अर्चना कर भोजन प्रसादी ग्रहण करते हैं 3 दिनों तक चलने वाले माता गणगौर के इस पर्व पर महिलाएं शाम के समय एकत्रित होकर गणगोर माता के गीत गाती हैं और गणगौर माता का यह पवन पर्व एकदा एक दूसरे के साथ मिलकर मनाती हैं ,वही मान मन्नत वाले लोग गणगौर माता को एक दिन अपने घर रोकते हैं पर नगर भोज का भी आयोजन करते हैं उसके उपरांत मां गणगौर की विदाई ठीक उसी तरह से की जाती है जिस तरीके से बेटी की विदाई की जाती है इस तरीके से मालवा निमाड़ क्षेत्र में मां गणगौर का पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। बाइट-01-बबलू महाराज


Conclusion:ok
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