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एशिया की अर्थव्यवस्था को पलीता लगाएगा यूक्रेन वार और चीन में कोविड की लहर

रूस और यूक्रेन के बीच के लंबे खिंचने के बाद पूरे विश्व में आर्थिक गतिविधियां चरमराने लगी हैं. वर्ल्ड बैंक ने आशंका जताई है कि यूक्रेन वॉर, चीन में संभावित मंदी और यूएस में मौद्रिक नीति के बदलाव के कारण एशिया के देशों की अर्थव्यवस्था पर बुरा प्रभाव पड़ेगा. इसका असर अगले कुछ महीनों में दिख सकता है.

shocks to drag on Asian economies
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Published : Apr 5, 2022, 5:31 PM IST

बैंकॉक : वर्ल्ड बैंक ने चेतावनी दी है कि यूक्रेन युद्ध का असर थोड़े दिनों के बाद एशियाई देशों पर दिखेगा. कमोडिटी सप्लाई चेन डिस्टर्ब होने और फाइनेंशियल प्रेशर के कारण महंगाई भी बढ़ेगी. इस कारण एशियाई देशों की अर्थव्यवस्था सुस्त भी पड़ सकती है. इसका असर अगले कुछ महीनों में दिखने लगेगा.

मंगलवार को जारी रिपोर्ट में वर्ल्ड बैंक ने कहा कि एशियाई देशों में पांच फीसदी के दर से ग्रोथ होगा, पहले इसके 5.4 होने का अनुमान लगाया गया था. अगर युद्ध लंबा खिंचा तो विकास दर 4 फीसदी तक गिर सकती है. रिपोर्ट में बताया गया है कि एशिया के कई देशों ने कोरोना के बाद 7.2% की ग्रोथ दर्ज की थी, उनको इस युद्ध के कारण नुकसान हो सकता है. विश्व बैंक का अनुमान है कि चीन, क्षेत्र की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था, 5% वार्षिक गति से विस्तार करेगी, जो 2021 की 8.1% की वृद्धि की तुलना में बहुत धीमी है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि यूक्रेन पर रूस के आक्रमण ने तेल, गैस और अन्य वस्तुओं की कीमतों को बढ़ाने में मदद की है. इससे लोगों की खरीदने की क्षमता कम हुई है और महामारी से परेशान देशों की अर्थव्यवस्था में कर्ज की दर बढ़ी है. डिवेलपमेंट के लिए लोन देने वाली संस्थाएं सरकारों से व्यापार और सेवाओं पर प्रतिबंध हटाने का आग्रह कर रही हैं ताकि व्यापार के अधिक अवसरों का लाभ उठाया जा सके. इसके अलावा ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा देने के लिए जीवाश्म ईंधन पर सब्सिडी कम करने की सलाह भी दे रही है.

विश्व बैंक के पूर्वी एशिया और प्रशांत क्षेत्र के मुख्य अर्थशास्त्री आदित्य मट्टू ने कहा कि युद्ध के कारण सरकारों की वित्तीय क्षमता भी कम हो रही है, इससे लोगों की परेशानी बढ़ सकती है. सरकारों की ओर से राजकोषीय, वित्तीय और व्यापार सुधारों का एक संयोजन जोखिम को कम कर सकता है, जिससे विकास को उम्मीद बनी रहेगी और गरीबी को कम किया जा सकेगा. रिपोर्ट में यह आशंका जताई है कि एशियाई देशों की अर्थव्यवस्था को तीन कारणों से झटके लग सकते हैं. पहला, रूस-यूक्रेन युद्ध. दूसरा अमेरिका और कई देशों में मोनेटरी पॉलिसी में बदलाव और तीसरा चीन में मंदी का असर एशिया की परेशानी बढ़ा सकता है. रिपोर्ट में चीन में आए कोविड के मामलों और शंघाई में लॉकडाउन पर चिंता जताई गई है. माना गया है इससे चीन की अर्थव्यवस्था तो सुस्त होगी ही, कई देशों पर इसका प्रभाव पड़ेगा.

पढ़ें : ये हैं दुनिया की 9 दमदार करेंसी, जिसके सामने अमेरिकी डॉलर भी है 'छोटू '

बैंकॉक : वर्ल्ड बैंक ने चेतावनी दी है कि यूक्रेन युद्ध का असर थोड़े दिनों के बाद एशियाई देशों पर दिखेगा. कमोडिटी सप्लाई चेन डिस्टर्ब होने और फाइनेंशियल प्रेशर के कारण महंगाई भी बढ़ेगी. इस कारण एशियाई देशों की अर्थव्यवस्था सुस्त भी पड़ सकती है. इसका असर अगले कुछ महीनों में दिखने लगेगा.

मंगलवार को जारी रिपोर्ट में वर्ल्ड बैंक ने कहा कि एशियाई देशों में पांच फीसदी के दर से ग्रोथ होगा, पहले इसके 5.4 होने का अनुमान लगाया गया था. अगर युद्ध लंबा खिंचा तो विकास दर 4 फीसदी तक गिर सकती है. रिपोर्ट में बताया गया है कि एशिया के कई देशों ने कोरोना के बाद 7.2% की ग्रोथ दर्ज की थी, उनको इस युद्ध के कारण नुकसान हो सकता है. विश्व बैंक का अनुमान है कि चीन, क्षेत्र की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था, 5% वार्षिक गति से विस्तार करेगी, जो 2021 की 8.1% की वृद्धि की तुलना में बहुत धीमी है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि यूक्रेन पर रूस के आक्रमण ने तेल, गैस और अन्य वस्तुओं की कीमतों को बढ़ाने में मदद की है. इससे लोगों की खरीदने की क्षमता कम हुई है और महामारी से परेशान देशों की अर्थव्यवस्था में कर्ज की दर बढ़ी है. डिवेलपमेंट के लिए लोन देने वाली संस्थाएं सरकारों से व्यापार और सेवाओं पर प्रतिबंध हटाने का आग्रह कर रही हैं ताकि व्यापार के अधिक अवसरों का लाभ उठाया जा सके. इसके अलावा ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा देने के लिए जीवाश्म ईंधन पर सब्सिडी कम करने की सलाह भी दे रही है.

विश्व बैंक के पूर्वी एशिया और प्रशांत क्षेत्र के मुख्य अर्थशास्त्री आदित्य मट्टू ने कहा कि युद्ध के कारण सरकारों की वित्तीय क्षमता भी कम हो रही है, इससे लोगों की परेशानी बढ़ सकती है. सरकारों की ओर से राजकोषीय, वित्तीय और व्यापार सुधारों का एक संयोजन जोखिम को कम कर सकता है, जिससे विकास को उम्मीद बनी रहेगी और गरीबी को कम किया जा सकेगा. रिपोर्ट में यह आशंका जताई है कि एशियाई देशों की अर्थव्यवस्था को तीन कारणों से झटके लग सकते हैं. पहला, रूस-यूक्रेन युद्ध. दूसरा अमेरिका और कई देशों में मोनेटरी पॉलिसी में बदलाव और तीसरा चीन में मंदी का असर एशिया की परेशानी बढ़ा सकता है. रिपोर्ट में चीन में आए कोविड के मामलों और शंघाई में लॉकडाउन पर चिंता जताई गई है. माना गया है इससे चीन की अर्थव्यवस्था तो सुस्त होगी ही, कई देशों पर इसका प्रभाव पड़ेगा.

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