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टीका नहीं लेने वाले सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करने के अधिकारी नहीं, उद्धव सरकार ने कोर्ट में दी यही दलील

महाराष्ट्र सरकार ने बंबई उच्च न्यायालय से कहा कि टीकाकरण नहीं करवाए लोगों को सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करने वालों के साथ यात्रा की अनुमति देने से अन्य लोगों का जीवन खतरे में पड़ जाएगा.

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Published : Dec 22, 2021, 9:27 PM IST

Maharashtra Government
महाराष्ट्र सरकार

मुंबई : महाराष्ट्र सरकार ने बंबई उच्च न्यायालय से कहा कि टीकाकरण नहीं करवाए लोगों को सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करने वालों के साथ यात्रा की अनुमति देने से अन्य लोगों का जीवन खतरे में पड़ जाएगा. सरकार ने कहा कि कोरोना वायरस तथा इसके स्वरूपों से संक्रमण बहुत तेजी से फैलेगा.

राज्य सरकार ने उच्च न्यायालय में दाखिल एक हलफनामे में कहा, 'महाराष्ट्र सरकार (राज्य का अभिभावक) यह खतरा मोल नहीं ले सकती.' हलफनामे में कहा गया है कि कोविड-19 टीके की दोनों खुराक नहीं लगवाए लोगों को राज्य में सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करने से निषिद्ध करने का फैसला यह सुनिश्चित करने के लिए लिया गया है कि टीकाकरण नहीं कराने वाले लोग दूसरों का जीवन खतरे में नहीं डालें.

महाराष्ट्र सरकार ने मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति एम. एस. कार्णिक की पीठ से कहा कि इस तरह के फैसले तर्कसंगत हैं और भेदभावपूर्ण नहीं हैं तथा ना ही नागरिकों के मूल अधिकारों का हनन करते हैं.

ये भी पढ़ें: कन्नड़ संगठनों का 31 दिसंबर को कर्नाटक बंद का आह्वान, जानिए वजह

राज्य सरकार ने दो जनहित याचिकाओं के जवाब में यह हलफनामा दाखिल किया है. राज्य सरकार ने कहा कि याचिकाकर्ताओं ने खुद टीके की दोनों खुराक लगवाई है. उच्च न्यायालय विषय पर अगली सुनवाई तीन जनवरी 2022 को करेगा.

ये भी पढे़ं: शिवसेना विधायक ने महाराष्ट्र विधानसभा में उड़ाया मोदी का मजाक, जमकर हुआ हंगामा

(भाषा)

मुंबई : महाराष्ट्र सरकार ने बंबई उच्च न्यायालय से कहा कि टीकाकरण नहीं करवाए लोगों को सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करने वालों के साथ यात्रा की अनुमति देने से अन्य लोगों का जीवन खतरे में पड़ जाएगा. सरकार ने कहा कि कोरोना वायरस तथा इसके स्वरूपों से संक्रमण बहुत तेजी से फैलेगा.

राज्य सरकार ने उच्च न्यायालय में दाखिल एक हलफनामे में कहा, 'महाराष्ट्र सरकार (राज्य का अभिभावक) यह खतरा मोल नहीं ले सकती.' हलफनामे में कहा गया है कि कोविड-19 टीके की दोनों खुराक नहीं लगवाए लोगों को राज्य में सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करने से निषिद्ध करने का फैसला यह सुनिश्चित करने के लिए लिया गया है कि टीकाकरण नहीं कराने वाले लोग दूसरों का जीवन खतरे में नहीं डालें.

महाराष्ट्र सरकार ने मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति एम. एस. कार्णिक की पीठ से कहा कि इस तरह के फैसले तर्कसंगत हैं और भेदभावपूर्ण नहीं हैं तथा ना ही नागरिकों के मूल अधिकारों का हनन करते हैं.

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राज्य सरकार ने दो जनहित याचिकाओं के जवाब में यह हलफनामा दाखिल किया है. राज्य सरकार ने कहा कि याचिकाकर्ताओं ने खुद टीके की दोनों खुराक लगवाई है. उच्च न्यायालय विषय पर अगली सुनवाई तीन जनवरी 2022 को करेगा.

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(भाषा)

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