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मिजोरम और असम के बीच सीमा विवाद को लेकर तनाव और बढ़ा - सीमा विवाद को लेकर तनाव और बढ़ा

असम ने मिजोरम द्वारा लगाए गए मानवाधिकार उल्लंघन के आरोप से इनकार करते हुए कहा है कि उसकी जमीन पर अतिक्रमण किया गया. उसका कहना है कि दोनों राज्यों के बीच सीमा विवाद एक अहम बिंदु है.

सीमा विवाद
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Published : Jul 19, 2021, 5:20 PM IST

आइजोल/सिलचर/गुवाहाटी : मिजोरम ने असम पर मानवाधिकार उल्लंघनों का आरोप लगाया है जिससे इनकार करते हुए असम की ओर से सोमवार को कहा गया कि उसकी भूमि पर अतिक्रमण किया गया जो पूर्वोत्तर के दोनों राज्यों के बीच सीमा विवाद का एक महत्वपूर्ण बिंदु है.

आइजोल में एक अधिकारी ने बताया कि मिजोरम के कोलासिब जिले के उपायुक्त एच. लालथांगलियाना ने असम के कछार जिले के प्रशासन को पत्र लिखा है जिसमें असम सरकार के अधिकारियों और पुलिस द्वारा 10 जुलाई को सीमा पर गतिरोध के दौरान आदिवासी लोगों पर अत्याचार करने और मानवाधिकार उल्लंघनों का आरोप लगाया गया है. उन्होंने बताया कि पत्र की प्रतियां राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ( NHRC) और राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (NCST) को भी भेजी गई हैं.

इस पर प्रतिक्रिया देते हुए असम के विशेष पुलिस महानिदेशक जीपी सिंह ने कहा कि एनएचआरसी और एनसीएसटी जब भी इस बारे में राज्य से कुछ पूछेंगे तो उसी के अनुसार जवाब दिया जाएगा. उन्होंने कहा, 'मूल मुद्दा यह है कि असम की भूमि पर मिजोरम ने कब्जा किया है. इसके बाद ही अन्य मुद्दे हैं, लेकिन मूल मुद्दा तो अतिक्रमण का है.' उन्होंने आगे कहा, 'प्रत्येक राज्य की सीमा निर्धारित करने के लिए संवैधानिक व्यवस्था है और उन्होंने असम में अतिक्रमण किया है. उन्हें इस पर काम करना होगा.'

ये भी पढ़ें - एमपी : पीएम मोदी के इनोवेशन बुक में रीवा के मेगा सोलर प्लांट को मिली जगह, यह है खासियत

पत्र में लालथांगलियाना ने कहा कि 10 जुलाई को असम से बुआरचेप तक सड़क निर्माण किया गया लेकिन इसके लिए पहले से नोटिस नहीं दिया गया और पड़ोसी राज्य के अधिकारियों ने पुलिस के बल पर मिजो जनजाति के लोगों की फसलों को नष्ट कर दिया. उन्होंने आरोप लगाया कि इसका विरोध करने के लिए जो आदिवासी लोग एकत्रित हुए, असम के हथियारबंद पुलिसकर्मियों ने उन्हें वहां से खदेड़ दिया. सीमा की सुरक्षा में तैनात मिजोरम पुलिस बलों ने 11 जुलाई को दो विस्फोट की आवाज सुनी. मिजोरम में विस्फोटक पदार्थ कानून के तहत आपराधिक मामला दर्ज किया गया है.

असम पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने आरोप को खारिज करते हुए कहा कि दस जुलाई को तनाव के हालात तब बने जब मिजोरम के 25-30 लोगों ने असम के भीतर जमीन पर अतिक्रमण करने का प्रयास किया और उन लोगों ने पीडब्ल्यूडी अधिकारियों को सड़क निर्माण के काम से रोका.

(पीटीआई-भाषा)

आइजोल/सिलचर/गुवाहाटी : मिजोरम ने असम पर मानवाधिकार उल्लंघनों का आरोप लगाया है जिससे इनकार करते हुए असम की ओर से सोमवार को कहा गया कि उसकी भूमि पर अतिक्रमण किया गया जो पूर्वोत्तर के दोनों राज्यों के बीच सीमा विवाद का एक महत्वपूर्ण बिंदु है.

आइजोल में एक अधिकारी ने बताया कि मिजोरम के कोलासिब जिले के उपायुक्त एच. लालथांगलियाना ने असम के कछार जिले के प्रशासन को पत्र लिखा है जिसमें असम सरकार के अधिकारियों और पुलिस द्वारा 10 जुलाई को सीमा पर गतिरोध के दौरान आदिवासी लोगों पर अत्याचार करने और मानवाधिकार उल्लंघनों का आरोप लगाया गया है. उन्होंने बताया कि पत्र की प्रतियां राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ( NHRC) और राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (NCST) को भी भेजी गई हैं.

इस पर प्रतिक्रिया देते हुए असम के विशेष पुलिस महानिदेशक जीपी सिंह ने कहा कि एनएचआरसी और एनसीएसटी जब भी इस बारे में राज्य से कुछ पूछेंगे तो उसी के अनुसार जवाब दिया जाएगा. उन्होंने कहा, 'मूल मुद्दा यह है कि असम की भूमि पर मिजोरम ने कब्जा किया है. इसके बाद ही अन्य मुद्दे हैं, लेकिन मूल मुद्दा तो अतिक्रमण का है.' उन्होंने आगे कहा, 'प्रत्येक राज्य की सीमा निर्धारित करने के लिए संवैधानिक व्यवस्था है और उन्होंने असम में अतिक्रमण किया है. उन्हें इस पर काम करना होगा.'

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पत्र में लालथांगलियाना ने कहा कि 10 जुलाई को असम से बुआरचेप तक सड़क निर्माण किया गया लेकिन इसके लिए पहले से नोटिस नहीं दिया गया और पड़ोसी राज्य के अधिकारियों ने पुलिस के बल पर मिजो जनजाति के लोगों की फसलों को नष्ट कर दिया. उन्होंने आरोप लगाया कि इसका विरोध करने के लिए जो आदिवासी लोग एकत्रित हुए, असम के हथियारबंद पुलिसकर्मियों ने उन्हें वहां से खदेड़ दिया. सीमा की सुरक्षा में तैनात मिजोरम पुलिस बलों ने 11 जुलाई को दो विस्फोट की आवाज सुनी. मिजोरम में विस्फोटक पदार्थ कानून के तहत आपराधिक मामला दर्ज किया गया है.

असम पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने आरोप को खारिज करते हुए कहा कि दस जुलाई को तनाव के हालात तब बने जब मिजोरम के 25-30 लोगों ने असम के भीतर जमीन पर अतिक्रमण करने का प्रयास किया और उन लोगों ने पीडब्ल्यूडी अधिकारियों को सड़क निर्माण के काम से रोका.

(पीटीआई-भाषा)

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