ETV Bharat / bharat

Teachers Day 2023: खुद की आंखों में छाया है 'अंधेरा', लेकिन ज्ञान की रोशनी से रामलाल भिलावेकर संवार रहे नौनिहालों का भविष्य - खुद की आंखों में छाया है अंधेरा

शिक्षक दिवस 2023: बुरहानपुर के शिक्षक रामलाल भिलावेकर ज्ञान की रोशनी से बच्चों का भविष्य संवार रहे हैं. दरअसल शिक्षक भिलावेकर के जन्म से ही आंखों की रोशनी नहीं है, बाबजूद इसके उनके जुनून के आगे उनकी कमी हार गई. आइए जानते हैं दृष्टिहीन शिक्षक के संघर्ष की कहानी-

Teachers Day 2023
शिक्षक दिवस 2023
author img

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 5, 2023, 7:12 AM IST

Updated : Sep 5, 2023, 8:34 AM IST

रामलाल भिलावेकर संवार रहे नौनिहालों का भविष्य

बुरहानपुर। मध्यप्रदेश के बुरहानपुर जिला मुख्यालय से 8 किमी दूर फतेहपुर गांव के शासकीय प्राथमिक स्कूल में एक दृष्टिहीन शिक्षक विद्यार्थियों के जीवन को रोशन कर रहे हैं. रोचक बात ये है कि स्कूल के सभी विद्यार्थी सामान्य है, यानि देख, बोल, सुन सकते हैं, लेकिन इन्हें पढ़ाने वाले शिक्षक खुद देख नहीं सकते. बाबजूद इसके शिक्षक अपनी मन की शक्ति से नन्हें, मुन्नों का भविष्य गढ़ रहे हैं. शिक्षक दिवस के अवसर पर आज हम ऐसे ही एक शिक्षक से आपका परिचय करवा रहे हैं, जिन्होंने अपनी कमजोरी को अपनी शक्ति बनाई. पिछले 25 सालों में उनके(शिक्षक) पास से सैकड़ों विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण कर निकले और आगे की कक्षाओं में भी बेहतर प्रदर्शन किया, इस शिक्षक का नाम रामलाल भिलावेकर हैं.

दृष्टिहीन शिक्षक के संघर्ष की कहानी: शिक्षक रामलाल भिलावेकर के जीवन की कहानी बड़ी मार्मिक हैं, भिलावेकर बताते हैं कि "जन्म से ही मुझे दिखाई देना पूरी तरह बंद हो गया, लेकिन मैंने हिम्मत नहीं हारी. माता-पिता मेरी चिंता करने लगे, तो मैंने उनका सहारा बनने का ठान लिया और अपनी कमजोरी को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया. मैंने अपनी पढ़ाई जारी रखी, मेरी इस उमंग को देखकर माता-पिता उम्मीद भी जागी और उन्होंने मुझे पूरा सहयोग किया. माता-पिता के सहयोग का नतीजा यह रहा है कि मुझे 1998 में बतौर शिक्षक के रूप में नौकरी का मौका मिली और तब से आज तक मैं शिक्षा के क्षेत्र में निरंतर अपनी सेवाएं दे रहा हूं."

ये खबरें भी पढ़ें:

पहले आई परेशानी अब सरकार ने की मदद: शिक्षक रामलाल भिलावेकर ने बताया कि "शुरुआती दौर में विद्यार्थियों को पढ़ाने में दिक्कतें आई, लेकिन धीरे-धीरे ब्रेल लिपि के वर्ण मालाओं के माध्यम से मैं पढ़ाता गया. अब सरकार ने ब्रेल लिपि की किताबें भी मुहैया कराई है, इससे पढ़ाने में आसानी होती हैं. अब मैं सामान्य शिक्षकों की तरह पढ़ा पा रहा हूं, विद्यार्थी भी पढ़ने में रुचि लेने लगे हैं. फिलहाल मेरे द्वारा पढ़ाए गए कई विद्यार्थी उच्च शिक्षा हासिल कर रहे हैं."

दृष्टिहीन शिक्षक के जुनून के आगे हारी कमी: बुरहानपुर के शिक्षक रामलाल भिलावेकर कहते हैं कि "मुझे शिक्षा के क्षेत्र में 25 साल हो चुके हैं, मैंने अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए ब्रेल लिपि का सहारा लिया. ब्रेल लिपि के माध्यम से मैंने हायर सेकंडरी तक शिक्षा ली और उसके बाद डीएड किया. मेरी योग्यता के आगे मेरी कमी हार गईं और मुझे शिक्षक बनने का अवसर भी जल्द मिल गया."

रामलाल भिलावेकर संवार रहे नौनिहालों का भविष्य

बुरहानपुर। मध्यप्रदेश के बुरहानपुर जिला मुख्यालय से 8 किमी दूर फतेहपुर गांव के शासकीय प्राथमिक स्कूल में एक दृष्टिहीन शिक्षक विद्यार्थियों के जीवन को रोशन कर रहे हैं. रोचक बात ये है कि स्कूल के सभी विद्यार्थी सामान्य है, यानि देख, बोल, सुन सकते हैं, लेकिन इन्हें पढ़ाने वाले शिक्षक खुद देख नहीं सकते. बाबजूद इसके शिक्षक अपनी मन की शक्ति से नन्हें, मुन्नों का भविष्य गढ़ रहे हैं. शिक्षक दिवस के अवसर पर आज हम ऐसे ही एक शिक्षक से आपका परिचय करवा रहे हैं, जिन्होंने अपनी कमजोरी को अपनी शक्ति बनाई. पिछले 25 सालों में उनके(शिक्षक) पास से सैकड़ों विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण कर निकले और आगे की कक्षाओं में भी बेहतर प्रदर्शन किया, इस शिक्षक का नाम रामलाल भिलावेकर हैं.

दृष्टिहीन शिक्षक के संघर्ष की कहानी: शिक्षक रामलाल भिलावेकर के जीवन की कहानी बड़ी मार्मिक हैं, भिलावेकर बताते हैं कि "जन्म से ही मुझे दिखाई देना पूरी तरह बंद हो गया, लेकिन मैंने हिम्मत नहीं हारी. माता-पिता मेरी चिंता करने लगे, तो मैंने उनका सहारा बनने का ठान लिया और अपनी कमजोरी को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया. मैंने अपनी पढ़ाई जारी रखी, मेरी इस उमंग को देखकर माता-पिता उम्मीद भी जागी और उन्होंने मुझे पूरा सहयोग किया. माता-पिता के सहयोग का नतीजा यह रहा है कि मुझे 1998 में बतौर शिक्षक के रूप में नौकरी का मौका मिली और तब से आज तक मैं शिक्षा के क्षेत्र में निरंतर अपनी सेवाएं दे रहा हूं."

ये खबरें भी पढ़ें:

पहले आई परेशानी अब सरकार ने की मदद: शिक्षक रामलाल भिलावेकर ने बताया कि "शुरुआती दौर में विद्यार्थियों को पढ़ाने में दिक्कतें आई, लेकिन धीरे-धीरे ब्रेल लिपि के वर्ण मालाओं के माध्यम से मैं पढ़ाता गया. अब सरकार ने ब्रेल लिपि की किताबें भी मुहैया कराई है, इससे पढ़ाने में आसानी होती हैं. अब मैं सामान्य शिक्षकों की तरह पढ़ा पा रहा हूं, विद्यार्थी भी पढ़ने में रुचि लेने लगे हैं. फिलहाल मेरे द्वारा पढ़ाए गए कई विद्यार्थी उच्च शिक्षा हासिल कर रहे हैं."

दृष्टिहीन शिक्षक के जुनून के आगे हारी कमी: बुरहानपुर के शिक्षक रामलाल भिलावेकर कहते हैं कि "मुझे शिक्षा के क्षेत्र में 25 साल हो चुके हैं, मैंने अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए ब्रेल लिपि का सहारा लिया. ब्रेल लिपि के माध्यम से मैंने हायर सेकंडरी तक शिक्षा ली और उसके बाद डीएड किया. मेरी योग्यता के आगे मेरी कमी हार गईं और मुझे शिक्षक बनने का अवसर भी जल्द मिल गया."

Last Updated : Sep 5, 2023, 8:34 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.