बेंगलुरु : राष्ट्रपति पद के लिए विपक्षी दलों के संयुक्त उम्मीदवार यशवंत सिन्हा (Yashwant Sinha) ने अपनी प्रतिद्वंद्वी एवं राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू (Droupadi Murmu) से रविवार को यह वादा करने का आग्रह किया कि यदि वह राष्ट्रपति बनती हैं, तो वह 'नाम मात्र की (रबड़ स्टैम्प) राष्ट्रपति' नहीं होंगी. सिन्हा ने न्यायपालिका के खिलाफ लगाए जा रहे आरोपों पर भी चिंता व्यक्त की.
सिन्हा ने कहा कि 'मैंने घोषणा की है कि मैं प्रेस की स्वतंत्रता, भाषण की स्वतंत्रता और अन्य अधिकारों और स्वतंत्रता की रक्षा करूंगा, जो नागरिकों को उनके धर्म या विचारधारा की परवाह किए बिना (उचित प्रतिबंधों के साथ) प्रदान करता है. साथ ही उन्होंने घोषणा की कि देशद्रोह कानून को निरस्त करने के लिए काम करेंगे. उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी की पूर्व पदाधिकारी नुपुर शर्मा के खिलाफ उच्चतम न्यायालय की कुछ टिप्पणियों के बाद न्यायपालिका पर घटिया आरोप लगाए जा रहे हैं. उन्होंने इन आरोपों को अप्रत्याशित और भारत के लोकतंत्र में अत्यंत निराशाजनक घटनाक्रम बताया. पूर्व केंद्रीय मंत्री ने केंद्र सरकार पर राजनीतिक विरोधियों को निशाना बनाने के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और आयकर विभाग जैसी एजेंसियों का दुरुपयोग करने का भी आरोप लगाया.
सिन्हा अपने चुनाव प्रचार अभियान के तहत बेंगलुरु में हैं. उन्होंने यहां कांग्रेस विधायक दल की बैठक में भाग लिया. बैठक में राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, कांग्रेस विधायक दल के नेता सिद्धरमैया, पार्टी की राज्य इकाई के प्रमुख डी के शिवकुमार और पार्टी के कई नेता एवं विधायक शामिल हुए. सिन्हा ने कहा कि दो दिन पहले उच्चतम न्यायालय ने भाजपा की पूर्व प्रवक्ता के खिलाफ कुछ टिप्पणियां कीं और इसके बाद प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना ने एक समारोह में कहा कि 'न्यायपालिका केवल संविधान के प्रति जवाबदेह है.'
उन्होंने कहा, 'मैं देश के शीर्ष न्यायालय के दृढ़ और स्पष्ट बयान का स्वागत करता हूं और इसके लिए प्रधान न्यायाधीश को बधाई देता हूं.' सिन्हा ने कहा, 'हम सभी न्यायपालिका का बहुत सम्मान करते हैं और हम यह नहीं कह सकते कि हम न्यायपालिका के एक आदेश से सहमत हैं, लेकिन हम उसके दूसरे आदेश को स्वीकार नहीं करते.'
उन्होंने कहा कि जब इसी न्यायपालिका ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर फैसला सुनाया था, तो भाजपा उससे बहुत खुश हुई थी और पूरे देश ने इसे स्वीकार किया था, क्योंकि यह आदेश न्यायपालिका ने दिया था, 'लेकिन आज वे (न्यायपालिका) किसी घटनाक्रम की निंदा कर रहे हैं, तो ये लोग न्यायपालिका के खिलाफ बोल रहे हैं. यह हमारे लोकतंत्र के लिए अवांछनीय, खतरनाक घटनाक्रम है.'
देवगौड़ा से मुलाकात नहीं करेंगे सिन्हा : सिन्हा ने एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि वह अपनी यात्रा के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवगौड़ा से मुलाकात नहीं करेंगे. देवगौड़ा की पार्टी जनता दल (सेक्युलर) ने संकेत दिया है कि वह 18 जुलाई को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में मुर्मू का समर्थन करेगी. सिन्हा ने हाल में महाराष्ट्र और इससे पहले कर्नाटक, मध्य प्रदेश, गोवा, अरुणाचल प्रदेश में सरकारों को भाजपा द्वारा कथित रूप से अपदस्थ किए जाने की बात रेखांकित करते हुए सवाल किया, 'क्या यह लोकतंत्र है?'
उन्होंने कहा, 'यदि केंद्र में सत्तारूढ़ दल अपने धन बल का इस्तेमाल और अपनी सरकारी ताकत का दुरुपयोग राजनीतिक दलों को तोड़ने के लिए करता है, निर्वाचित सरकारों को गिराकर लोगों के जनादेश का अपमान करता है, तो हमारे लिए यह लोकतंत्र नहीं है.' उन्होंने 'सत्तारूढ़ दल के वैचारिक एजेंडे के रंग में रंगे हुए' नये स्कूल पाठ्यक्रम के जरिए बच्चों के मन में सांप्रदायिकता का जहर घोलने का प्रयास करने को लेकर कर्नाटक की भाजपा सरकार की निंदा की.
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सिन्हा ने मुर्मू से कहा, 'मैंने संकल्प लिया है कि यदि मैं निर्वाचित होता हूं, तो मैं केवल संविधान के प्रति जवाबदेह बनूंगा. जब भी कार्यपालिका या अन्य संस्थाएं संवैधानिक नियंत्रण एवं संतुलन को नुकसान पहुंचाएंगी, तो मैं बिना किसी भय या पक्षपात के और ईमानदारी से अपने अधिकार का इस्तेमाल करूंगा. कृपया आप भी ऐसा ही वादा करें.'