नई दिल्ली : जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का सुरक्षा कवर घटा दिया गया है.जेड प्लस की बजाए अब उनकी सुरक्षा में एक निजी सुरक्षा अधिकारी तैनात किया जाएगा. इसे लेकर सत्यपाल मलिक ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है (Malik On Removing Z plus Security). सत्यपाल मलिक ने कहा कि ऐसा करना राजनीतिक प्रतिशोध की ओर इशारा करता है.
सत्यपाल मलिक के कार्यकाल में ही जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया गया था. सत्यपाल मलिक ने किसान आंदोलन के दौरान किसानों का पक्ष लेते हुए सरकार और अपनी पार्टी के खिलाफ बोला था, जिसको लेकर कंट्रोवर्सी हुई थी.
ईटीवी भारत से बात करते हुए पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा, 'मेरी Z+ सुरक्षा वापस लेने का एकमात्र कारण यह है कि कृषि कानूनों के विरोध के दौरान मेरा स्टैंड, इस तथ्य के बावजूद था कि उस समय मैं राज्यपाल था. पार्टी में किसी की हिम्मत नहीं है कि पीएम मोदी के खिलाफ कुछ बोले, लेकिन मैं अकेला था जिसने किसानों के सही कारण का पक्ष लिया. इससे उन्हें ठेस पहुंची होगी और इसलिए मेरी सुरक्षा छीन ली गई है.'
पूर्व गवर्नर ने कहा कि 'कल मैं एक जनसभा में भाग लेने के लिए रेवाड़ी (हरियाणा) के पास एक नारनौल जा रहा हूं. ऐसे में अब सुरक्षा का मुद्दा है. अगर कोई मुझ पर हमला करता है या मुझे नुकसान पहुंचाने की कोशिश करता है तो क्या होगा, उस स्थिति में सारी जिम्मेदारी केंद्र सरकार की होगी.'
यह पूछे जाने पर कि क्या किसी राजनीतिक दल/नेता ने उनसे संपर्क किया है, उन्होंने कहा ' हां, मुझे नेताओं के कई फोन आए हैं लेकिन मैं उनका नाम नहीं लूंगा और न ही मैं विक्टिम कार्ड खेलना चाहता हूं. मैंने आज ही अपनी सुरक्षा डाउनग्रेड के बारे में इस जानकारी के बारे में अवगत कराया है और अंत में बहुत सारे कॉल आएंगे लेकिन कोई भी मुझे चुप नहीं करा सकता है और मैं बोलना जारी रखूंगा.'
इस सवाल के लिए कि इस विचार के पीछे किसका दिमाग हो सकता है और क्या इसके पीछे गृहमंत्री अमित शाह हो सकते हैं. पूर्व राज्यपाल ने डटकर जवाब दिया कि, 'अमित शाह दयालु व्यक्ति हैं. यह पीएम मोदी का विचार है क्योंकि जब मैंने किसानों के लिए बात की तो वह मुझसे खुश नहीं थे. वे मुझसे खुश नहीं हैं और मेरी सुरक्षा वापस लेने का यह विचार इसके बारे में सब कुछ बता देता है.'
उन्होंने कहा कि 'जब मैं कश्मीर का गवर्नर था, तो मुझे सुरक्षा खतरों के बारे में बहुत सारी जानकारियां मिलती थीं. जब मैं दिल्ली वापस आया, तो ये सुरक्षा मुद्दे अभी भी मौजूद थे क्योंकि मेरे कार्यकाल में अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया गया था और पाकिस्तान और कश्मीरी आतंकवादियों और अन्य से वास्तविक सुरक्षा खतरे हैं. तो जबकि किसी और राज्यपाल की सुरक्षा नहीं छीनी गई है, केवल मैं ही हूं जिसका Z+ हटा दिया गया है.'
उन्होंने कहा कि 'मैं चुप नहीं रहूंगा और कोई मुझे चुप नहीं करा सकता. अगर मुझे कुछ होता है तो इसका बोझ उन पर होगा और उन्हें इसके परिणाम भुगतने होंगे. समय का इंतजार करें, और देखें समय सब बताएगा.'
उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने इस मुद्दे के बारे में पिछले साल अक्टूबर में गृह मंत्रालय को लिखा था कि उनका सुरक्षा कवर वापस नहीं लिया जाना चाहिए, क्योंकि उन्हें वास्तविक खतरे का सामना करना पड़ रहा है. यह भी कहा कि उनकी ओर से अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है और केवल अमित शाह की ओर से गृह मंत्रालय का पत्र उनके पत्रों के जवाब में प्राप्त हुआ है.
गौरतलब है कि मलिक ने पिछले साल दावा किया था कि जब वह जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल थे तब फाइलों को क्लियर करने के लिए उन्हें 300 करोड़ की रिश्वत की पेशकश की गई थी और बाद में सीबीआई ने उनके दावों के संबंध में उनसे पूछताछ की थी.
मलिक ने अब तक किसी भी पार्टी में शामिल होने के दावों को खारिज किया है. मलिक ने कहा है कि वह किसानों और 'गधों' के लिए बोलते रहेंगे. उन्होंने कहा कि कि 'मैं आने वाले चुनाव में उनकी कमर तोड़ दूंगा.'
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