सागर। मध्यप्रदेश के सबसे बड़े टाइगर रिजर्व के तौर पर आकार लेने जा रहे नौरादेही वन्य जीव अभ्यारण्य में भविष्य में चीता बसाए जाने पर भी सैद्धांतिक सहमति दी है. तीन जिलों में फैले नौरादेही अभ्यारण्य का बहुत बड़ा इलाका सागर जिले की रहली विधानसभा के अंतर्गत आता है, जो पीडब्ल्यूडी मंत्री गोपाल भार्गव का विधानसभा क्षेत्र है. कूनो में चीता बसाए जाने के बाद मंत्री गोपाल भार्गव ने केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव के लिए पत्र लिखकर बताया था कि पूर्व में नौरादेही में चीता बसाए जाने की संभावनाओं पर अध्ययन किया था और नौरादेही अभ्यारण्य ने चीता बसाए जाने के लिए उपयुक्त पाया गया था, इसलिए इसे जल्द ही टाइगर रिजर्व भी बनाया जा रहा है. उन्होंने केंद्रीय एवं वन पर्यावरण मंत्री से नौरादेही में चीते बसाए जाने का अनुरोध किया था, गोपाल भार्गव के पत्र के जवाब में केंद्रीय मंत्री ने सैद्धांतिक सहमति जताई है.
केंद्रीय मंत्री ने दिया गोपाल भार्गव को जबाव: पीडब्ल्यूडी मंत्री गोपाल भार्गव द्वारा नौरादेही वन्य जीव अभ्यारण्य में चीता बसाये जाने को लेकर केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव को लिखे पत्र का जवाब केंद्रीय मंत्री ने भेजा है, जिसमें उन्होंने भविष्य मे नौरादेही वन्यजीव अभ्यारण्य में चीता बसाए जाने की सैद्धांतिक सहमति जताई है. पीडब्ल्यूडी मंत्री गोपाल भार्गव ने सोशल मीडिया पर जानकारी देते हुए बताया है कि "चीतों के संरक्षण, विकास और संवर्धन से पर्यटन और उससे जुड़े रोजगार को बढ़ावा देने के लिए रहली विधानसभा क्षेत्र में विशाल भू-भाग पर फैले नौरादेही वन्यप्राणी अभ्यारण्य में 'चीतों की पुनर्स्थापना' हेतु मैंने भारत सरकार में पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन और श्रम एवं रोजगार मंत्री भूपेंद्र यादव को पत्र लिखकर अनुरोध किया था."
गोपाल भार्गव ने आगे लिखा कि "प्रसन्नता का विषय है कि भूपेंद्र यादव ने इस विषय मे पत्र लिखकर सूचित किया है कि राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण और भारतीय वन्यजीव संस्थान के अध्ययनों में नौरादेही वन्यप्राणी अभ्यारण्य को चीतों के विकास, संवर्धन और संरक्षण के लिए उपयुक्त पाया गया है. इसलिए भविष्य में शीघ्र ही चीता एक्शन प्लान के अनुसार आवश्यक फील्ड तैयारियों के बाद नौरादेही वन्यप्राणी अभ्यारण्य में चीते छोड़े जाएंगे. नौरादेही वन्यप्राणी अभ्यारण्य को टाइगर रिजर्व का दर्जा मिलने और अभ्यारण्य में चीतों के बसने से अभ्यारण्य से लगे ग्रामों, रहली नगर और पूरे विधानसभा क्षेत्र के लोगों को टूरिस्ट गाइड, फोटोग्राफी-वीडियोग्राफी, ट्रेवल्स, होटल, लॉज, रेस्टोरेंट जैसे व्यवसायों में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, जिससे क्षेत्र में आर्थिक संपन्नता विकसित होगी."
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क्या कहते हैं जानकार: वन और वन्यजीवों के लिए समर्पित संस्था प्रयत्न के संयोजक अजय दुबे का कहना है कि "नौरादेही वन्य जीव अभ्यारण्य में चीतों को बसाए जाने पर जो केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने सैद्धातिक सहमति दी है, उसके बारे में मेरा मानना है कि फिलहाल टाइगर रिजर्व को लेकर तैयारी नौरादेही में पूरी नहीं हो पायी है और एनटीसीए की मंजूरी के बाद भी नोटिफिकेशन में देरी हो रही है. जहां तक चीता प्रोजेक्ट की बात है, तो चीता प्रोजेक्ट के लिहाज से नौरादेही में विस्थापन और दूसरी व्यवस्थाओं में काफी वक्त लगेगा, क्योकिं चीतों को बसाने के पहले कूनो में विस्थापन लगभग पूरा कर लिया गया था और चीतों के रहवास के लिहाज से विकसित करने में काफी वक्त लगा था. उस लिहाज में नौरादेही में अभी पहले पैमाने पर विस्थापन होना है और जब राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण और भारतीय वन्यजीव संस्थान के विशेषज्ञ इलाके का दौरा करके कार्ययोजना बनाएंगे, तब जाकर ये प्रोजेक्ट पर काम शुरू होगा. मेरे लिहाज से अभी चीतों के हिसाब से नौरादेही में बड़े पैमाने पर तैयारियां होनी हैं."