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पवन हंस में सरकार ने अपनी 51 फीसदी हिस्सेदारी बेचने पर दी सहमति

पवन हंस लिमिटेड में भारत सरकार ने अपनी 51 फीसदी हिस्सेदारी 211.14 करोड़ रुपये में स्टार9 मोबिलिटी प्राइवेट लिमिटेड को बेचने के लिए तैयार हो गई है. आर्थिक मामलों की मंत्रीमंडलीय समिति ने पवन हंस की संपूर्ण हिस्सेदारी को बेचने पर अपनी सहमति दे दी है.

पवन हंस बिका
पवन हंस बिका
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Published : Apr 30, 2022, 1:07 PM IST

Updated : Apr 30, 2022, 1:29 PM IST

नई दिल्ली: भारत सरकार ने पवन हंस लिमिटेड में अपनी 51 फीसदी हिस्सेदारी 211.14 करोड़ रुपये में स्टार9 मोबिलिटी प्राइवेट लिमिटेड को बेचने के लिए अपनी रजामंदी दे दी है. बता दें कि स्टार 9 मोबिलिटी प्राइवेट लिमिटेड ने इसके लिए सबसे उंची बोली लगाई थी जिसपर आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने भी अपनी सहमति दे दी है. सीसीईए ने पवन हंस लिमिटेड में भारत सरकार की संपूर्ण हिस्सेदारी (शेयरहोल्डिंग का 51 प्रतिशत) की बिक्री के लिए मेसर्स स्टार9 मोबिलिटी प्राइवेट लिमिटेड की उच्चतम बोली को स्वीकार किया है. PHL और प्रबंधन नियंत्रण का हस्तांतरण की सूचना के संबंध में सरकार ने एक आधिकारिक बयान जारी किया है.

PHL केंद्र सरकार और ONGC का एक संयुक्त उद्यम है जो हेलीकॉप्टर और एयरो मोबिलिटी सेवाएं मुहैया कराता है. सरकार के पास कंपनी में 51 फीसदी और ओएनजीसी के पास 49 फीसदी की हिस्सेदारी है. ओएनजीसी ने पहले रणनीतिक विनिवेश में पहचाने गए सफल बोलीदाता को अपनी पूरी हिस्सेदारी देने का फैसला किया था. सीसीईए ने अक्टूबर, 2016 में पीएचएल में पूरी सरकारी हिस्सेदारी के रणनीतिक विनिवेश को मंजूरी दी थी. विनिवेश का प्रयास पहले तीन बार किया गया था.

पहले चरण में प्रारंभिक सूचना ज्ञापन (पीआईएम) 13 अक्टूबर, 2017 को जारी किया गया था. जिसमें एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट (ईओआई) की मांग की गई थी. प्राप्त चार ईओआई में से केवल एक पात्र पाया गया और विनिवेश को रद्द कर दिया गया था. दूसरे चरण में 14 अप्रैल, 2018 को ईओआई की मांग करते हुए पीआईएम जारी किया गया था और दो बोलीदाताओं ही योग्य पाए गए थे और उन्हें प्रस्ताव के लिए अनुरोध (आरएफपी) जारी किया गया था. अंत में आरएफपी के साथ गैर-अनुपालक एक एकल, अधूरी बोली प्राप्त हुई थी.

तीसरे दौर में, 11 जुलाई, 2019 को ईओआई की मांग करते हुए पीआईएम जारी किया गया था. प्राप्त चार ईओआई में से केवल एक को योग्य पाया गया और प्रक्रिया को रद्द कर दिया गया. 8 दिसंबर, 2020 को एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट के अनुरोध के साथ यह चौथा चरण है. सात ईओआई प्राप्त हुए और चार इच्छुक बोलीदाताओं को योग्य पाए गए. विस्तृत सावधानी के बाद, योग्य निवेशक (बोलीदाताओं) को वित्तीय बोलियां जमा करने के लिए आमंत्रित किया गया था. जिसमें तीन वित्तीय बोलियां प्राप्त हुईं.

मौजूदा प्रक्रिया के अनुसार, विशेषज्ञों (लेन-देन सलाहकार और परिसंपत्ति मूल्यांकनकर्ता) द्वारा किए गए मूल्यांकन के आधार पर, पीएचएल की 51 प्रतिशत हिस्सेदारी की बिक्री के लिए आरक्षित मूल्य 199.92 करोड़ रुपये तय किया गया था. उसके पश्चात तीन बोलियां बोलीदाताओं की उपस्थिति में खोली गईं. तीनों बोलियां वैध पाई गईं. मेसर्स स्टार9 मोबिलिटी प्राइवेट लिमिटेड, मेसर्स बिग चार्टर प्राइवेट लिमिटेड, मेसर्स महाराजा एविएशन प्राइवेट लिमिटेड और मेसर्स अल्मास ग्लोबल अपॉर्चुनिटी फंड एसपीसी का एक संघ 211.14 करोड़ रुपये की बोली लगाकर सबसे ऊपर था. आरक्षित मूल्य में अन्य दो बोलियां 181.05 करोड़ रुपये और 153.15 करोड़ रुपये की थी. वित्त मंत्रालय ने एक आधिकारिक बयान में कहा कि उचित विचार-विमर्श के बाद, सरकार द्वारा मेसर्स स्टार9 मोबिलिटी प्राइवेट लिमिटेड की वित्तीय बोली को स्वीकार कर लिया गया है।

यह भी पढ़ें-एअर इंडिया विनिवेश : टाटा सन्स को मिली कमान, रतन टाटा बोले-वेलकम बैक

एएनआई

नई दिल्ली: भारत सरकार ने पवन हंस लिमिटेड में अपनी 51 फीसदी हिस्सेदारी 211.14 करोड़ रुपये में स्टार9 मोबिलिटी प्राइवेट लिमिटेड को बेचने के लिए अपनी रजामंदी दे दी है. बता दें कि स्टार 9 मोबिलिटी प्राइवेट लिमिटेड ने इसके लिए सबसे उंची बोली लगाई थी जिसपर आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने भी अपनी सहमति दे दी है. सीसीईए ने पवन हंस लिमिटेड में भारत सरकार की संपूर्ण हिस्सेदारी (शेयरहोल्डिंग का 51 प्रतिशत) की बिक्री के लिए मेसर्स स्टार9 मोबिलिटी प्राइवेट लिमिटेड की उच्चतम बोली को स्वीकार किया है. PHL और प्रबंधन नियंत्रण का हस्तांतरण की सूचना के संबंध में सरकार ने एक आधिकारिक बयान जारी किया है.

PHL केंद्र सरकार और ONGC का एक संयुक्त उद्यम है जो हेलीकॉप्टर और एयरो मोबिलिटी सेवाएं मुहैया कराता है. सरकार के पास कंपनी में 51 फीसदी और ओएनजीसी के पास 49 फीसदी की हिस्सेदारी है. ओएनजीसी ने पहले रणनीतिक विनिवेश में पहचाने गए सफल बोलीदाता को अपनी पूरी हिस्सेदारी देने का फैसला किया था. सीसीईए ने अक्टूबर, 2016 में पीएचएल में पूरी सरकारी हिस्सेदारी के रणनीतिक विनिवेश को मंजूरी दी थी. विनिवेश का प्रयास पहले तीन बार किया गया था.

पहले चरण में प्रारंभिक सूचना ज्ञापन (पीआईएम) 13 अक्टूबर, 2017 को जारी किया गया था. जिसमें एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट (ईओआई) की मांग की गई थी. प्राप्त चार ईओआई में से केवल एक पात्र पाया गया और विनिवेश को रद्द कर दिया गया था. दूसरे चरण में 14 अप्रैल, 2018 को ईओआई की मांग करते हुए पीआईएम जारी किया गया था और दो बोलीदाताओं ही योग्य पाए गए थे और उन्हें प्रस्ताव के लिए अनुरोध (आरएफपी) जारी किया गया था. अंत में आरएफपी के साथ गैर-अनुपालक एक एकल, अधूरी बोली प्राप्त हुई थी.

तीसरे दौर में, 11 जुलाई, 2019 को ईओआई की मांग करते हुए पीआईएम जारी किया गया था. प्राप्त चार ईओआई में से केवल एक को योग्य पाया गया और प्रक्रिया को रद्द कर दिया गया. 8 दिसंबर, 2020 को एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट के अनुरोध के साथ यह चौथा चरण है. सात ईओआई प्राप्त हुए और चार इच्छुक बोलीदाताओं को योग्य पाए गए. विस्तृत सावधानी के बाद, योग्य निवेशक (बोलीदाताओं) को वित्तीय बोलियां जमा करने के लिए आमंत्रित किया गया था. जिसमें तीन वित्तीय बोलियां प्राप्त हुईं.

मौजूदा प्रक्रिया के अनुसार, विशेषज्ञों (लेन-देन सलाहकार और परिसंपत्ति मूल्यांकनकर्ता) द्वारा किए गए मूल्यांकन के आधार पर, पीएचएल की 51 प्रतिशत हिस्सेदारी की बिक्री के लिए आरक्षित मूल्य 199.92 करोड़ रुपये तय किया गया था. उसके पश्चात तीन बोलियां बोलीदाताओं की उपस्थिति में खोली गईं. तीनों बोलियां वैध पाई गईं. मेसर्स स्टार9 मोबिलिटी प्राइवेट लिमिटेड, मेसर्स बिग चार्टर प्राइवेट लिमिटेड, मेसर्स महाराजा एविएशन प्राइवेट लिमिटेड और मेसर्स अल्मास ग्लोबल अपॉर्चुनिटी फंड एसपीसी का एक संघ 211.14 करोड़ रुपये की बोली लगाकर सबसे ऊपर था. आरक्षित मूल्य में अन्य दो बोलियां 181.05 करोड़ रुपये और 153.15 करोड़ रुपये की थी. वित्त मंत्रालय ने एक आधिकारिक बयान में कहा कि उचित विचार-विमर्श के बाद, सरकार द्वारा मेसर्स स्टार9 मोबिलिटी प्राइवेट लिमिटेड की वित्तीय बोली को स्वीकार कर लिया गया है।

यह भी पढ़ें-एअर इंडिया विनिवेश : टाटा सन्स को मिली कमान, रतन टाटा बोले-वेलकम बैक

एएनआई

Last Updated : Apr 30, 2022, 1:29 PM IST

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