उज्जैन। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 856 करोड़ की लागत से बने महाकाल लोक को मंगलवार को राष्ट्र को समर्पित किया. इस दौरान पीएम ने महाकालेश्वर मंदिर में पूजा अर्चना की और नंदी हॉल में बैठकर ध्यान लगाया. पीएम ने परंपरा के मुताबिक नंदी के कान में अपनी मनोकामना भी कही. मौली से बनाए गए 15 फीट उंचे शिवलिंग का अनावरण करते हुए पीएम ने महाकाल मंदिर परिसर में बनाया गया भव्य महाकाल लोक राष्ट्र को समर्पित किया. महाकाल लोक की भव्यता के पीएम मोदी भी मुरीद हो गए. ईकार्ट में बैठकर भव्य महाकाल लोक को निहारने के बाद पीएम ने अपने भाषण में भी इसकी अलौकिकता का जिक्र किया.
20 मिनिट तक किया महाकाल का पूजन: इंदौर एयरपोर्ट पर पहुंचने के बाद पीएम मोदी हेलीकॉप्टर से उज्जैन के लिए रवाना हुए. उज्जैन में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने हैलीपैड पर पीएम का स्वागत किया. इसके बाद उनका काफिला. महाकाल मंदिर पहुंचा. यहां पीएम ने पूरे विधि-विधान के साथ भगवान महाकाल का पूजन अर्चन किया. विशेष मुहूर्त में की गई इस पूजा अर्चना में पीएम ने भगवान महाकाल के दर्शन किए और साष्टांग प्रणाम किया. महाकाल को चंदन, मोगरे और गुलाब की माला अर्पित कर जनेऊ चढ़ाया. चांदी का ऊं और बिल्वपत्र अर्पण करने के बाद पीएम ने आरती की और महादेव को सूखे मेवे और फल का भोग लगाया. संध्या आरती में शामिल हुए पीएम ने नंदीहॉल में बैठकर रुद्राक्ष की माला का जाप करते हुए ध्यान लगाया. जिसके बाद परंपरानुसार नंदी के कान में अपनी मनोकामना कही. पीएम 20 मिनिट तक मंदिर के गर्भगृह में मौजूद रहे.
Mahakal Lok: महाकाल लोक के मुरीद हुए मोदी, बोले- शिव की नगरी में सब कुछ अलौकिक
शिवमंत्र के उच्चार से शुरू किया सभा का संबोधन: भगवान शिव के इस अलौकिक महालोक का लोकार्पण करने के बाद पीएम ने यहां एक सभा को भी संबोधित किया. संबोधन की शुरूआत में उन्होंने बाबा महाकाल का ध्यान करते हुए शिव मंत्र का उच्चारण भी किया. पीएम ने कहा कि ऐसा कैसे हो सकता है कि परमपिता शिव बाबा महाकाल बुलाएं और उनका बेटा न आए. उन्होंने मंच से बाबा महाकाल को नमन करते हुए कहा जय महाकाल महादेव, महाकाल महाप्रभु, महाकाल महारुद्र, महाकाल नमोस्तुते. पीएम ने अपने भाषण की शुरूआत में कहा कि पिछले कुंभ के दौरान मुझे उज्जैन आने का सौभाग्य मिला था. इस बार फिर महाकाल ने मुझे याद किया और मैं फिर से उज्जैन में हूं. पीएम ने अपने संबोधन में कहा कि महाकाल लोक में कुछ लौकिक नहीं, कुछ भी नहीं है, शंकर के सान्निध्य में साधारण कुछ भी नहीं, सब कुछ अलौकिक है. जब महाकाल का आशीर्वाद जब मिलता है तो काल की रेखाएं मिट जाती हैं. शिव के सानिध्य में भारत अंत से अनंत तक की यात्रा पर आगे बढ़ चुका है.
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First time since Independence, roads are developed and an 'All-weather highway development project' is undertaken to connect all four Dhams under the Char Dham Project: PM Modi at the inauguration of Shri Mahakal Lok in Ujjain pic.twitter.com/BXdWBDtPiK
— ANI (@ANI) October 11, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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— ANI (@ANI) October 11, 2022
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#WATCH | Fireworks adorn the sky after PM Modi inaugurated phase I of 'Shri Mahakal Lok' in Ujjain, Madhya Pradesh pic.twitter.com/PEjhVRVl8Y
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लोकार्पण के बाद ईकार्ट के जरिए देखा शिव का अलौकिक संसार: दो चरणों में और 856 करोड़ की लागत से बनने वाले महाकाल लोक प्रोजेक्ट के पहले फेज का पीएम ने लोकार्पण किया. पहला फेज 2.8 एकड़ में फैला हुआ है. जिसमें 946 मीटर लंबा गलियारा बनाया गया है. जिसमें शिव की लीलाएं भित्तिचित्र और मूर्तियों के माध्यम से चित्रित की गई हैं. महाकाल लोक के दूसरे चरण के समपन्न होने के बाद यह परिसर 47 हेक्टेयर का हो जाएगा. जो देश का सबसे बड़ा धार्मिक गलियारा होगा.
पीएम के भाषण की बड़ी बातें
- हजारों सालों से उज्जैन भारत का केंद्र ही नहीं भारत की आत्मा रहा है. पवित्र सप्तपुरियों में से एक ही यह अवंतिकापुरी जहां स्वंय भगवान कृष्ण ने शिक्षा ग्रहण की थी.
- हजारों साल पहले जब भारत की भौगौलिक किस तरह की रही होगी, उस समय भी उज्जैन भारत के केंद्र में रहा. महाकाल की इसी धरती से भारतीय कालगणना का प्रारंभ माना जाता है. यहीं से विक्रम संवत के रूप में कालगणना का एक नया अध्याय शुरू हुआ था.
- उज्जैन ने महाराजा विक्रमादित्य का प्रताप देखा है. उज्जैन वह नगरी है जिसके पलपल और कण कण में इतिहास सिमिटा हुआ है. यहां 84 कल्पों का प्रतिनिधित्व करते 84 शिवलिंग,4 महावीर, 6 विनायक और 8 भैरव हैं जिनके केंद्र में भगवान महाकाल स्वंय विराजमान हैं. जो इस नगरी को अलौकिकता बनाते हैं.
- जहां महाकाल हैं, वहां कालखंडों की सीमाएं नहीं हैं. महाकाल की शरण में अंत से अनंत की यात्रा प्रारंभ होती है.
- महाकाल लोक की भव्यता का जिक्र करते हुए पीएम ने अपने संबोधन में कहा कि 'महाकाल लोक' की भव्यता समय की सीमाओं से परे है जो आने वाली कई पीढ़ियों को अलौकिक दिव्यता के दर्शन कराएगी.
- मैं इस अद्भुत अवसर पर राजाधिराज महाकाल महाराज के चरणों में शत-शत नमन करता हूं. पीएम ने वहां मौजूद लोगों से मंच से ही बाबा महाकाल की जय कराई.
- जय महाकाल उज्जैन की ये ऊर्जा, ये उत्साह! अवंतिका की ये आभा, ये अद्भुतता, ये आनंद! महाकाल की ये महिमा, ये महात्म्या! 'महाकाल लोक' में लौकिक कुछ भी नहीं है. शंकर के सानिध्य में साधारण कुछ भी नहीं है.सब कुछ अलौकिक है, असाधारण,अविस्मरणीय है, अविश्वसनीय है.
- हमारी तपस्या और आस्था से जब महाकाल प्रसन्न होते हैं तो उनके आशीर्वाद से ही ऐसे ही भव्य स्वरुप का निर्माण होता है और महाकाल का जब आशीर्वाद मिलता है तो काल की रेखाएं मिट जाती हैं.
- किसी राष्ट्र का सांस्कृतिक वैभव इतना विशाल तभी होता है, जब उसकी सफलता का परचम, विश्व पटल पर लहरा रहा होता है. सफलता के शिखर तक पहुँचने के लिए ये जरूरी है कि राष्ट्र अपने सांस्कृतिक उत्कर्ष को छुए, अपनी पहचान के साथ गौरव से सिर उठाकर खड़ा हो.
- आजादी के अमृतकाल में भारत ने गुलामी की मानसिकता से मुक्ति और अपनी विरासत पर गर्व जैसे पंच प्राण का आहृवान किया है. इसलिए आज अयोध्या में भव्य श्रीराम मंदिर का निर्माण पूरी गति से हो रहा है. काशी में विश्वनाथ धाम भारत की संस्कृति का गौरव बढ़ा रहा है. सोमनाथ में विकास के कार्य नए कीर्तिमान स्थापित कर रहे हैं. उत्तराखंड में बाबा केदार के आशीर्वाद से केदारनाथ, बद्रीनाथ तीर्थ क्षेत्र में विकास के नए अध्याय लिखे जा रहे हैं.
- स्वदेश दर्शन और प्रसाद योजना से देशभर में हमारी आध्यात्मिक चेतना के ऐसे कितने ही केंद्रों का गौरव पुन: स्थापित हो रहा है. अब इसी कड़ी में भव्य और अतिभव्य महाकाल लोक भी अतीत के गौरव के साथ, भविष्य के स्वागत के लिए तैयार हो चुका है.
- जो शिव 'सोयं भूति विभूषण:' हैं, अर्थात, भस्म को धारण करने वाले हैं, वो 'सर्वाधिप: सर्वदा' भी हैं अर्थात, वो अनश्वर और अविनाशी भी हैं. इसलिए, जहां महाकाल हैं, वहां कालखंडों की सीमाएं नहीं हैं.महाकाल की शरण में विष में भी स्पंदन है. यही हमारी सभ्यता का वो आध्यात्मिक आत्मविश्वास है, जिसके सामर्थ्य से भारत हजारों वर्षों से अमर बना हुआ है.
- उज्जैन जैसे हमारे स्थान खगोलविज्ञान, एस्ट्रॉनॉमी से जुड़े शोधों के शीर्ष केंद्र रहे हैंय
- आज नया भारत जब अपने प्राचीन मूल्यों के साथ आगे बढ़ रहा है, तो आस्था के साथ-साथ विज्ञान और शोध की परंपरा को भी पुनर्जीवित कर रहा है.
- महाकाल के आशीर्वाद से भारत की भव्यता पूरे विश्व के विकास के लिए नई संभावनाओं को जन्म देगी. भारत की दिव्यता पूरे विश्व के लिए शांति के मार्ग प्रशस्त करेगी.