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प. बंगाल की सीएम ममता बनर्जी के परिवार वालों की बढ़ती संपत्ति के खिलाफ HC में याचिका

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Published : Aug 29, 2022, 5:52 PM IST

Updated : Aug 29, 2022, 6:13 PM IST

कलकत्ता हाईकोर्ट में पीआईएल अरिजित मजूमदार ने फाइल की है. उन्होंने अपनी याचिका में आरोप लगाया है कि 2011 के बाद से प. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के परिवार वालों की संपत्ति में कई गुणा इजाफा हुआ है. उन्होंने अपनी याचिका में कोर्ट ने अपील की है कि उनकी संपत्तियों की सीबीआई, ईडी और आयकर विभाग से जांच कराई जाए. increasing assets of family members of mamata.

mamata banerjee
ममता बनर्जी

कोलकाता : पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के परिवार के विभिन्न सदस्यों की संपत्ति की जांच की मांग को लेकर सोमवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय की खंडपीठ में एक जनहित याचिका (पीआईएल) दायर की गई. याचिका अधिवक्ता और राज्य भाजपा नेता, तरुण ज्योति तिवारी द्वारा कलकत्ता उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश प्रकाश श्रीवास्तव और न्यायमूर्ति राजर्षि भारद्वाज की खंडपीठ में दायर की गई थी. हालांकि, जनहित याचिका में न तो ममता बनर्जी और न ही उनके भतीजे और तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी का नाम है. increasing assets of family members of mamata.

मुख्यमंत्री के दो भाइयों, कार्तिक बनर्जी और बाबुन बनर्जी और उनकी भाभी कजरी बनर्जी की संपत्ति में वृद्धि की जांच की मांग करते हुए जनहित याचिका दायर की गई थी. वर्तमान में कोलकाता नगर निगम (केएमसी) की तृणमूल कांग्रेस पार्षद, कजरी बनर्जी की शादी कार्तिक बनर्जी से हुई है.

पीआईएल को कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है. जनहित याचिका में याचिकाकर्ता ने यह भी दलील दी कि मुख्यमंत्री की संपत्ति की जांच प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) या आयकर (आई-टी) विभाग जैसी किसी केंद्रीय एजेंसी द्वारा की जा सकती है.

  • PIL filed in Calcutta High Court by Petitioner Arijit Majumdar against the increasing Assets of the family members of WB CM Mamata Banerjee after 2011 demanding an investigation by CBI, ED and IT department: Advocate Tarunjyoti Tiwari

    — ANI (@ANI) August 29, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

तिवारी ने कहा कि एक बार कुणाल घोष, जो वर्तमान में पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के राज्य महासचिव और पार्टी प्रवक्ता हैं, ने कहा था कि सारदा चिटफंड में गबन किए गए धन का अधिकांश हिस्सा मुख्यमंत्री के परिवार के सदस्यों की झोली में गया था. तिवारी ने कहा, 'यहां तक आरोप हैं कि मुख्यमंत्री के परिवार के सदस्यों ने मौजूदा बाजार दरों से काफी कम कीमतों पर कई संपत्तियां खरीदीं. इन सभी मामलों की पूरी जांच की जरूरत है.' कथित तौर पर उनके स्वामित्व वाली कुछ कंपनियों के नाम भी जनहित याचिका में शामिल किए गए हैं.

अपनी प्रतिक्रिया में मुख्यमंत्री ने कहा कि किसी को भी अदालत जाने का अधिकार है. उन्होंने कहा, 'मैं उनसे इस मामले में किसी भी अंतरराष्ट्रीय अदालत का रुख करने को कहती हूं.' पश्चिम बंगाल सरकार के सात मंत्रियों सहित तृणमूल कांग्रेस के 19 नेताओं की संपत्ति और संपत्ति में अचानक वृद्धि को लेकर उसी खंडपीठ में पहले ही एक जनहित याचिका दायर की जा चुकी है. खंडपीठ ने जनहित याचिका में ईडी को भी पक्षकार बनने को कहा है.

हालांकि, राज्य सरकार के तीन मंत्रियों राज्य नगरपालिका मामलों और शहरी विकास मंत्री और कोलकाता के मेयर, फिरहाद हकीम, राज्य के वन मंत्री, ज्योतिप्रिय मलिक और राज्य के सहकारिता विभाग के मंत्री अरूप रॉय ने ईडी को जनहित याचिका में शामिल करने के लिए पीठ से अपने फैसले की समीक्षा करने की अपील की थी.

ये भी पढ़ें : ममता बनर्जी ने 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को हराने का लिया संकल्प

कोलकाता : पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के परिवार के विभिन्न सदस्यों की संपत्ति की जांच की मांग को लेकर सोमवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय की खंडपीठ में एक जनहित याचिका (पीआईएल) दायर की गई. याचिका अधिवक्ता और राज्य भाजपा नेता, तरुण ज्योति तिवारी द्वारा कलकत्ता उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश प्रकाश श्रीवास्तव और न्यायमूर्ति राजर्षि भारद्वाज की खंडपीठ में दायर की गई थी. हालांकि, जनहित याचिका में न तो ममता बनर्जी और न ही उनके भतीजे और तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी का नाम है. increasing assets of family members of mamata.

मुख्यमंत्री के दो भाइयों, कार्तिक बनर्जी और बाबुन बनर्जी और उनकी भाभी कजरी बनर्जी की संपत्ति में वृद्धि की जांच की मांग करते हुए जनहित याचिका दायर की गई थी. वर्तमान में कोलकाता नगर निगम (केएमसी) की तृणमूल कांग्रेस पार्षद, कजरी बनर्जी की शादी कार्तिक बनर्जी से हुई है.

पीआईएल को कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है. जनहित याचिका में याचिकाकर्ता ने यह भी दलील दी कि मुख्यमंत्री की संपत्ति की जांच प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) या आयकर (आई-टी) विभाग जैसी किसी केंद्रीय एजेंसी द्वारा की जा सकती है.

  • PIL filed in Calcutta High Court by Petitioner Arijit Majumdar against the increasing Assets of the family members of WB CM Mamata Banerjee after 2011 demanding an investigation by CBI, ED and IT department: Advocate Tarunjyoti Tiwari

    — ANI (@ANI) August 29, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

तिवारी ने कहा कि एक बार कुणाल घोष, जो वर्तमान में पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के राज्य महासचिव और पार्टी प्रवक्ता हैं, ने कहा था कि सारदा चिटफंड में गबन किए गए धन का अधिकांश हिस्सा मुख्यमंत्री के परिवार के सदस्यों की झोली में गया था. तिवारी ने कहा, 'यहां तक आरोप हैं कि मुख्यमंत्री के परिवार के सदस्यों ने मौजूदा बाजार दरों से काफी कम कीमतों पर कई संपत्तियां खरीदीं. इन सभी मामलों की पूरी जांच की जरूरत है.' कथित तौर पर उनके स्वामित्व वाली कुछ कंपनियों के नाम भी जनहित याचिका में शामिल किए गए हैं.

अपनी प्रतिक्रिया में मुख्यमंत्री ने कहा कि किसी को भी अदालत जाने का अधिकार है. उन्होंने कहा, 'मैं उनसे इस मामले में किसी भी अंतरराष्ट्रीय अदालत का रुख करने को कहती हूं.' पश्चिम बंगाल सरकार के सात मंत्रियों सहित तृणमूल कांग्रेस के 19 नेताओं की संपत्ति और संपत्ति में अचानक वृद्धि को लेकर उसी खंडपीठ में पहले ही एक जनहित याचिका दायर की जा चुकी है. खंडपीठ ने जनहित याचिका में ईडी को भी पक्षकार बनने को कहा है.

हालांकि, राज्य सरकार के तीन मंत्रियों राज्य नगरपालिका मामलों और शहरी विकास मंत्री और कोलकाता के मेयर, फिरहाद हकीम, राज्य के वन मंत्री, ज्योतिप्रिय मलिक और राज्य के सहकारिता विभाग के मंत्री अरूप रॉय ने ईडी को जनहित याचिका में शामिल करने के लिए पीठ से अपने फैसले की समीक्षा करने की अपील की थी.

ये भी पढ़ें : ममता बनर्जी ने 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को हराने का लिया संकल्प

Last Updated : Aug 29, 2022, 6:13 PM IST

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