लखनऊ: उत्तर प्रदेश पॉवर कारपोरेशन (यूपीपीसीएल) के पीएफ घोटाले की जांच कर रही सीबीआई ने प्रदेश सरकार से तीन तत्कालीन अधिकारियों के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति मांगी है. इन अधिकारियों में उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लिमिटेड के दो पूर्व चेयरमैन संजय अग्रवाल और आलोक कुमार के अलावा एमडी अपर्णा यूके खिलाफ मामला चलाए जाने की अनुमति मांगी है. सीबीआई ने गृह विभाग को पत्र लिखा है.
दरअसल, साल 2017 से 2019 तक यूपीपीसीएल ने 4,100 करोड़ रुपये से ज्यादा का रिटायरमेंट फंड हाउसिंग फाइनेंस कंपनी दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड में निवेश किया. इसमें से यूपीपीसीएल को केवल 1,855 करोड़ रुपये ही मिले थे. सामने आया था कि एक लाख से अधिक कर्मचारियों की सामान्य भविष्य निधि (जीपीएफ)और अंशदायी भविष्य निधि (सीपीएफ) के 2267.90 करोड़ रुपये दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड (डीएचएफएल) में फंस गए हैं. जिसके बाद राज्य सरकार ने सीबीआई जांच की सिफारिश की थी.
सीबीआई ने इस मामलें में संजय अग्रवाल, आलोक कुमार व अपर्णा यू से पूछताछ की थी. सीबीआई को पता चला था कि यूपीपीसीएल ने आलोक कुमार व अपर्णा यू की मंजूरी के बाद 4100 करोड़ से अधिक की राशि घोटालाग्रस्त डीएचएफएल और अन्य गैर-बैंकिंग कंपनियों में निवेश किया था. आलोक 2017 से 2019 के बीच यूपीपीसीएल के अध्यक्ष व अपर्णा 2017 से 2019 के बीच यूपीपीसीएल की प्रबंध निदेशक थीं.
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इस मामले में यूपीपीसीएल के एमडी रहे एपी मिश्रा समेत आधा दर्जन से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया था. पहले इस मामले की जांच ईओडब्ल्यू को सौंपी गई और बाद में इसे सीबीआई को दे दिया गया. सीबीआई ने लखनऊ के हजरतगंज पुलिस स्टेशन में दर्ज एफआईआर के आधार पर साल 5 मार्च, 2020 को घोटाले की जांच शुरू की थी.