भोपाल। कुबरेश्वर धाम में ना अंधविश्वास है ना चमत्कार. कुबरेश्वर धाम में तंत्र-मंत्र की साधना नहीं होती यह कहकर पंडित प्रदीप मिश्रा ने किसकी तरफ इशारा किया है. ईटीवी भारत से बातचीत में पंडित मिश्रा ने अंधविश्वास निर्मुलन समिति को चुनौती दी और कहा कि, रुद्राक्ष के औषधि गुण पर सवाल उठाने वाले शिवमहापुराण विद्येश्वर संहिता को पढ़ें और जानें कि रुद्राक्ष की क्या महिमा है. पंडित प्रदीप मिश्रा ने दावा किया है कि, आप रुद्राक्ष के फल को पानी में डालें देखें पानी की तत्वता कैसे बढ़ती है. उन्होंने कहा कि ये केवल सीहोर वाले प्रदीप मिश्रा का दावा नहीं कई वर्षों के रिसर्च का नतीजा है. प्रदीप मिश्रा से ईटीवी भारत ने एक्सक्लूसिव बातचीत की.कुबेरेश्वर धाम में हुई मौतों पर फिर उन्होंने कहा भगदड़ से मौत नहीं हुई. 162 कैमरे गवाही देंगे. 2025 तक पंडित कथाओं की एडवांस बुकिंग है.
कुबरेश्वर धाम में ना चमत्कार ना तंत्र साधना: पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा है कि, हमारे यहां चमत्कार का काम नहीं है. ना अंधविश्वास है. जो शिवमहापुराण में कहा गया वो सब कुछ प्रमाणित है. वही हमारा आधार है. हमारे यहां कोई सिध्दता कोई तंत्र मंत्र की साधना नहीं होती. रुद्राक्ष महोत्सव अवश्य मनाया जाता है वहीं रुद्राक्ष वितरित किए जाते हैं. हम जो कुछ करते हैं वो शिव महापुराण में प्रमाणित है. उन्होने कहा वैसे भी ये वो धरा है कि जहां कंकर कंकर शंकर है. उन्होने बागेश्वर धाम और पंडोखर सरकार के दरबारों के संबंध में पूछे जाने पर भी यही कहा कि हमारे यहां ये सबकुछ नहीं होता. उनको इस तरह की सिध्दि प्राप्त होगी. ये उनका विश्वास है हमारे यहां ये सब नहीं होता.
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रुद्राक्ष के साथ बेल पत्री भी औषधि: कुबरेश्वर धाम के रुद्राक्ष में क्या अलग है. इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि, रुद्राक्ष भगवान शंकर के नेत्र अश्रु से प्रगट हुआ है. वैसे तो एक मुखी से लेकर 21 मुखी तक रुद्राक्ष हैं, लेकिन पहले ट्रेंड एक मुखी का बना हुआ था. अब ये है कि जो श्रेष्ठता एक मुखी में है वही 21 मुखी में भी है. रुद्राक्ष प्राप्त हो जाने से क्या बदलेगा इस सवाल के जवाब में पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि क्यों नहीं बदलेगा. रुद्राक्ष शिव के स्वरुप में प्राप्त हुआ है. उन्होने कहा कि अगर आप विश्वास के साथ बेल पत्री को भी औषधि के रुप में इस्तेमाल करते हैं तो अंतर देखिए. रुद्राक्ष का फल पानी में गलाइए देखिए उसकी तत्वता बढ़ जाती है. और ये पंडित प्रदीप मिश्रा सीहोर वाले नहीं कह रहे हैं ये कई रिसर्च का फल है. उन्होने कहा कि शिव महापुराण में जो भी लिखा गया वो टोटका नहीं . काली तिल चढ़ाना टोटका नहीं. काली मिर्च टोटका नहीं दही शहद आक का फूल शमी टोटका नहीं. बल्कि शिव महापुराण में ये विधान बताया गया कि कोई चीज कब चढ़ना है.
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अंधविश्वास निर्मूलन वाले विद्येश्वर संहिता पढ़ें: रुद्राक्ष औषधि नहीं है. महाराष्ट्र की संस्था अंधविश्वास निर्मूलन समिति के इस दावे पर पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि समिति अच्छा काम कर रही है तांत्रिकों से बचने का मौका मिलता है लोगों को. लेकिन मैं इतना जरुर कहूंगा कि हम जो भी करते हैं शिवमहापुराण में जो लिखा हुआ है वही करते हैं कहते हैं. शिवमहापुराण की विद्येश्वर संहिता पढ़नी चाहिए समिति को तो उन्हें रुद्राक्ष का महत्व स्पष्ट हो जाएगा. और कैसे इससे फल की प्राप्ति की जाती है ये जानकारी भी मिल जाएगी.
162 कैमरे देंगे मौत की गवाही: पंडित प्रदीप मिश्रा से जब कुबेरेश्वर धाम फैली अव्यवस्थाओं को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि, भगदड़ नही हुई है. हॉस्पिटल में जाकर मालूम कर सकते हैं आप. 162 कैमरे लगे हुए हैं. वो बता देंगे. हमने इसी लिए एक दिन पहले से रुद्राक्ष वितरण शुरु करवा दिया था. संख्या इतनी ज्यादा हो गई कि बंद करवाना पड़ा. उन्होने कहा कि जिन माता का निधन हुआ वो उनका निधन हार्ट अटैक से हुआ. प्रशासन ने भी पुख्ता इंतजाम किए हुए थे.
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2025 तक है कथा की बुकिंग: चुनावी साल में नेताओं के इलाके में होने वाली कथाओं को लेकर पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि, हम कथा के पहले ये नहीं देखते कि कौन किस पार्टी का है. हमारे यहां सभी लोग आते हैं. सब व्यासपीठ के जो करीब आते हैं वो केवल मनुष्य होते हैं. ना हम ये देखते कि 2023 या 2024 का चुनाव आ रहा है हमारे यहां तो दो साल पहले से बुकिंग चल रही है.
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संघ बजरंग दल से जुड़ने की वजह संस्कार: पंडित प्रदीप मिश्रा ने बजरंग दल और संघ में परिवार से एक बच्चे को भेजने के बयान पर कहा कि, हमारा मतलब ही गलत समझ रहे हैं. हमारा मतलब है कि बचचों को संस्कार दीजिए. संघ के साथ रहना मतलब एकजुट रहना. बजरंग दल का मतलब एक समूह के साथ रहना. जिससे किसी के ह्रदय तो ठेस ना पहुंचे.