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MP: देश का 73 साल का अनोखा साइक्लिस्ट जिसने तपती दोपहरी में तय की साइकिल से महाकाल यात्रा, सफर की दूरी जानकर उड़ जाएंगे होश!

नई दिल्ली के राजघाट से साइकिल यात्रा शुरू कर करीब 1500 किलोमीटर का सफर तय करके पद्मश्री डॉ. किरण सेठ उज्जैन पहुंचे. उनकी महाकाल साइकिल यात्रा का मकसद युवाओं को देश की विरासत से रु-ब-रु कराने के साथ ही सादगी और अनुशासन का संदेश देना है. इतना ही नहीं वो युवा पीढ़ी को साइक्लिंग के जरिए पर्यावरण को लेकर जागरुक करना चाहते हैं.

Dr kiran seth passion to travel India
डाॅ किरण सेठ ने 1500 किलोमीटर की साइकिल यात्रा तय की
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Published : May 4, 2022, 2:35 PM IST

उज्जैन। 73 साल के पद्मश्री डॉ. किरण सेठ दिल्ली के राजघाट से अपनी साइकिल यात्रा शुरू कर करीब 1500 किलोमीटर का सफर तय कर उज्जैन पहुंच चुके हैं. देश को साइकिल से नापने निकले डॉ. सेठ गर्मी की तपती धूप में किसी भी जवान शख्स को मात दे रहे हैं. उम्र के इस पड़ाव में अनूठा कारनामा करने निकले सेठ करते हैं कि उनके हौसले बुलंद हैं और दिल में बस एक ही बात है कि अपनी विरासत तो दुनिया के सामने लाया जाए. इसके लिए वो कुछ भी कर गुजरने को तैयार है. बढ़ती उम्र उनके रास्ते की रुकावट नहीं बन सकती. डॉ. किरण सेठ उज्जैन के बाद वापस दिल्ली तक का सफर तय करेंगे. इस यात्रा के दौरान करीब 2500 किलोमीटर का सफर तय कर लेंगे.

डाॅ. किरण सेठ की 1500 किलोमीटर की महाकाल साइकिल यात्रा

पर्यावरण और सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा: डॉ. किरण सेठ ने ईटीवी भारत से कहा कि "जब नई पीढ़ी मुझे साइकिल चलाते देखती है, तो सोचती है कि इस उम्र में कैसे कोई शख्स ऐसे साइकिल चला लेता है. युवाओं को स्वास्थ्य के लिए जागरूक करना भी मेरा बड़ा मकसद है. ऐसे में उन्हें जोड़ना है तो पहले स्वंय से पहल करना होगी. IIT दिल्ली में प्रोफेसर रहते भी मैने कोशिश की थी और अब इस उम्र में अपनी साइकिल यात्रा को लेकर काफी उत्सुक हूं. पर्यावरण का सुधार और स्पीक मैके के कल्चर से हर बच्चे को जोड़ना है." वही डॉ. सेठ का मानना है कि यात्रा के लिए कोई आधुनिक साइकिल की जरुरत नहीं है. वे दिसंबर में पांडिचेरी से चेन्नई तक साइकिल यात्रा कर चुके हैं.

स्पीक मैके के संस्थापक हैं डॉ. किरण सेठ: 11 मार्च 2022 को राजघाट नई दिल्ली पर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि देते हुए उन्होने अपनी साइकिल यात्रा की शुरुआत की थी. भारत की गौरवशाली विरासत को युवा पीढ़ी में पहुंचाने और देश के लोगों में साइकिल के प्रति जागरूकता पैदा करने के मकसद से अलवर, जयपुर, अजमेर, भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़, अहमदाबाद, बड़ौदा, दाहोद, गोधरा, पेटलावद, बदनावर, बड़नगर होते हुए 1500 किलोमीटर की यात्रा कर उज्जैन पहुंचे डॉ. सेठ यहां तीन दिन रहेंगे. इस दौरान वो उज्जैन में विभिन्न संस्थानों में छात्र, छात्राओं से रूबरू होंगे. स्पीक मैके देश में सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ाने में जुटा है और खासतौर पर शैक्षणिक संस्थाओं में पढ़ रहे युवाओं को देश की विरासत से जोड़ने का काम कर रहा है. डॉ. सेठ इस संस्था के संस्थापक सदस्य भी हैं.

Dr kiran seth passion to travel India
डाॅ. किरण सेठ की महाकाल साइकिल यात्रा

साइक्लिंग क्यों जरुरी है?: डाॅ. सेठ कहते हैं कि करीब 50 दिनों की यात्रा के दौरान उन्होने हर दिन 40 से 45 किलोमीटर का सफर साइकिल से तय किया. स्पीक मैके के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य पंकज ने बताया कि साइकिल यात्रा का मुख्य उद्देश्य युवाओं में सादगी और अनुशासन का संदेश देना, पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए साइक्लिंग का महत्व बताना है. साइक्लिंग लोगों को फिट रखता है और इससे बेहतर एक्सरसाइज नहीं हो सकता. पद्मश्री डॉ. सेठ के अनुसार जिंदगी जीने के लिए भौतिक सुख-सुविधाओं की आवश्यकता नहीं है, सादगी में ही जीवन के गूढ़ रहस्य छिपे हैं. ऐसे में आगे भी यह सफर जारी रहेगा.

उज्जैन। 73 साल के पद्मश्री डॉ. किरण सेठ दिल्ली के राजघाट से अपनी साइकिल यात्रा शुरू कर करीब 1500 किलोमीटर का सफर तय कर उज्जैन पहुंच चुके हैं. देश को साइकिल से नापने निकले डॉ. सेठ गर्मी की तपती धूप में किसी भी जवान शख्स को मात दे रहे हैं. उम्र के इस पड़ाव में अनूठा कारनामा करने निकले सेठ करते हैं कि उनके हौसले बुलंद हैं और दिल में बस एक ही बात है कि अपनी विरासत तो दुनिया के सामने लाया जाए. इसके लिए वो कुछ भी कर गुजरने को तैयार है. बढ़ती उम्र उनके रास्ते की रुकावट नहीं बन सकती. डॉ. किरण सेठ उज्जैन के बाद वापस दिल्ली तक का सफर तय करेंगे. इस यात्रा के दौरान करीब 2500 किलोमीटर का सफर तय कर लेंगे.

डाॅ. किरण सेठ की 1500 किलोमीटर की महाकाल साइकिल यात्रा

पर्यावरण और सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा: डॉ. किरण सेठ ने ईटीवी भारत से कहा कि "जब नई पीढ़ी मुझे साइकिल चलाते देखती है, तो सोचती है कि इस उम्र में कैसे कोई शख्स ऐसे साइकिल चला लेता है. युवाओं को स्वास्थ्य के लिए जागरूक करना भी मेरा बड़ा मकसद है. ऐसे में उन्हें जोड़ना है तो पहले स्वंय से पहल करना होगी. IIT दिल्ली में प्रोफेसर रहते भी मैने कोशिश की थी और अब इस उम्र में अपनी साइकिल यात्रा को लेकर काफी उत्सुक हूं. पर्यावरण का सुधार और स्पीक मैके के कल्चर से हर बच्चे को जोड़ना है." वही डॉ. सेठ का मानना है कि यात्रा के लिए कोई आधुनिक साइकिल की जरुरत नहीं है. वे दिसंबर में पांडिचेरी से चेन्नई तक साइकिल यात्रा कर चुके हैं.

स्पीक मैके के संस्थापक हैं डॉ. किरण सेठ: 11 मार्च 2022 को राजघाट नई दिल्ली पर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि देते हुए उन्होने अपनी साइकिल यात्रा की शुरुआत की थी. भारत की गौरवशाली विरासत को युवा पीढ़ी में पहुंचाने और देश के लोगों में साइकिल के प्रति जागरूकता पैदा करने के मकसद से अलवर, जयपुर, अजमेर, भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़, अहमदाबाद, बड़ौदा, दाहोद, गोधरा, पेटलावद, बदनावर, बड़नगर होते हुए 1500 किलोमीटर की यात्रा कर उज्जैन पहुंचे डॉ. सेठ यहां तीन दिन रहेंगे. इस दौरान वो उज्जैन में विभिन्न संस्थानों में छात्र, छात्राओं से रूबरू होंगे. स्पीक मैके देश में सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ाने में जुटा है और खासतौर पर शैक्षणिक संस्थाओं में पढ़ रहे युवाओं को देश की विरासत से जोड़ने का काम कर रहा है. डॉ. सेठ इस संस्था के संस्थापक सदस्य भी हैं.

Dr kiran seth passion to travel India
डाॅ. किरण सेठ की महाकाल साइकिल यात्रा

साइक्लिंग क्यों जरुरी है?: डाॅ. सेठ कहते हैं कि करीब 50 दिनों की यात्रा के दौरान उन्होने हर दिन 40 से 45 किलोमीटर का सफर साइकिल से तय किया. स्पीक मैके के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य पंकज ने बताया कि साइकिल यात्रा का मुख्य उद्देश्य युवाओं में सादगी और अनुशासन का संदेश देना, पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए साइक्लिंग का महत्व बताना है. साइक्लिंग लोगों को फिट रखता है और इससे बेहतर एक्सरसाइज नहीं हो सकता. पद्मश्री डॉ. सेठ के अनुसार जिंदगी जीने के लिए भौतिक सुख-सुविधाओं की आवश्यकता नहीं है, सादगी में ही जीवन के गूढ़ रहस्य छिपे हैं. ऐसे में आगे भी यह सफर जारी रहेगा.

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