नई दिल्ली/नोएडाः आखिरकार नोएडा का सुपरेटक ट्विन टावर गिरा दिया गया. सबकुछ योजना अनुसार संपन्न हो गया. पास की एक बाउंड्री थोड़ी सी प्रभावित हुई है, अन्यथा कोई नुकसान नहीं पहुंचा है. लोगों ने तालियों से इस विस्फोट का स्वागत किया. आइए हम यहां जानते हैं कि आखिर पूरा मामला क्या है.
भ्रष्टाचार की नींव पर बनी सुपरटेक एमराल्ड हाउसिंग सोसायटी के इन दोनों टावर एपेक्स और सियान की ऊंचाई करीब 101-94 मीटर है. इसको गिराने का जिम्मा एडिफिस इंजीनियरिंग कंपनी को दी गई थी. दरअसल, सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीबीआरआई) ने इसके लिए एनओसी प्रदान किया और इसकी स्टेटस रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने गिराने को मंजूरी दी.
फ्लैशबैकः क्या है पूरा मामला - नोएडा प्राधिकरण ने 2006 में सुपरटेक बिल्डर को सेक्टर-93 ए में 17.29 एकड़ (लगभग 70 हजार वर्ग मीटर) जमीन आवंटित की थी. इस सेक्टर में एमराल्ड कोर्ट ग्रुप हाउसिंग प्रोजेक्ट के तहत 15 टावरों का निर्माण कराया गया था. हर टावर में 11 मंजिली इमारत बनाई गई. 2009 में नोएडा अथॉरिटी के पास सुपरटेक बिल्डर ने एक रिवाइज्ड प्लान जमा कराया और इसी के तहत एपेक्स व सियान नाम से ये ट्विन टावर (जुड़वां टावर) के लिए एफएआर खरीदा. बिल्डर ने दोनों टावरों के लिए 24 फ्लोर का प्लान मंजूर कराकर 40 फ्लोर के हिसाब से 857 फ्लैट बना दिए. 600 फ्लैट की बुकिंग तक हो गई. लेकिन बाद में खरीदारों ने इसका विरोध शुरू कर दिया. टॉवर गिराने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कराई गई थी. हाईकोर्ट ने 11 अप्रैल 2014 को दोनो टावरों को गिराने का आदेश दिया. इसके बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा.
दिल्ली-एनसीआर की बड़ी कंपनी सुपरटेक लिमिटेड ने इन टावरों को गिराने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने भी हाईकोर्ट के आदेश पर अपनी मुहर लगा दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई में कहा कि यह अवैध निर्माण नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों और सुपरटेक के बीच साठगांठ का परिणाम है.
भारत में इससे पहले इस बिल्डिंग को इसी तरह गिराया गया था - 2020 में केरल के एर्नाकुलम जिले के मराड़ू में 55 मीटर ऊंचे चार मंजिला टावर को भी कोर्ट के आदेश पर तोड़ा गया था. एडिफिस कंपनी, जिसे नोएडा ट्विन टावर को ढहाने का ठेका दिया गया है, इसी ने 11 जनवरी 2020 में चार मल्टीस्टोरी टावर को विस्फोटक लगाकर ढहाया था. मराड़ू के तटीय इलाके में नियमों की अनदेखी कर मल्टीस्टोरी टावर का निर्माण किया गया था. इनमें 356 फ्लैट बनाये गए थे.
ब्राजील में सबसे पहले इस बिल्डिंग को ढ़हाया गया - सबसे पहले ब्राजील में वर्ष 1975 में विल्सन मेंडस नामक 110 मीटर ऊंची इमारत को मेट्रो स्टेशन का रास्ता बनाने के लिए ध्वस्त किया गया था. वहीं, दुनिया भर में अभी तक करीब 50 मीटर से ऊंचे 200 टावर ध्वस्त किए जा चुके हैं. ध्वस्त की गई दुनिया की ऊंची इमारतों में यूनाइटेड अरब अमीरात की मीना प्लाजा भी शामिल है. इसकी ऊंचाई 168.5 मीटर थी. इसे वर्ष 2020 में ध्वस्त किया गया था.
किस तरह से की गई तैयारी, एक नजर - ट्विन टावर को लेकर नोएडा प्राधिकरण के फैसले के अनुसार एमराल्ड कोर्ट ग्रुप हाउसिंग तथा एटीएस विलेज के फ्लैटधारकों को 28 अगस्त 2022 को प्रातः 7 बजे अपने-अपने अपार्टमेन्ट्स खाली करने के आदेश दिए गए थे. एमराल्ड कोर्ट ग्रुप हाउसिंग तथा एटीएस विलेज के सिक्योरिटी स्टाफ दोपहर 12 बजे तक इन परिसरों की देखरेख के लिए कहा गया था. सिक्योरिटी स्टाफ को दोपहर 12 बजे तक बिल्डिंग खाली करने को कहा दिया गया. दोनों सोसायटी में रहने वाले लोगों को अपने-अपने वाहन को भी हटाने को कहा गया.
कहां और क्या-क्या था प्रतिबंधित - रविवार, 28 अगस्त को ट्विन टावर्स के ध्वस्तीकरण के उपरान्त एडिफिस इंजीनियरिंग द्वारा क्लियरेंस दिये जाने पर शाम में फ्लैट स्वामी अपने-अपने घर वापस आ सकते हैं. इससे पहले, सुरक्षित ध्वस्तीकरण के लिए ट्विन टावर्स के चारों ओर कुछ दूरी तक नागरिकों, वाहनों, जानवरों का आवागमन पूर्णतः बन्द कर दिया गया. उत्तर दिशा में एमेराल्ड कोर्ट के सहारे निर्मित सड़क तक दक्षिण दिशा में दिल्ली की ओर जाने वाले एक्सप्रेस-वे की सर्विस रोड़ तक, पूर्व में सृष्टि तथा एटीएस विलेज के मध्य निर्मित सड़क तक तथा पश्चिम में पार्क से जुड़े फ्लाई ओवर तक एक्सक्लूजन जोन निर्धारित किए गए. दोपहर 2:15 से 2:45 बजे तक नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस-वे पर ट्रैफिक पूर्णतः बन्द रहेगा. आपातकालीन सर्विसेस के लिए आवश्यक फायर टेंडर, एम्बुलेंस आदि ट्विन टावर्स के सामने स्थित पार्क के पीछे निर्मित रोड पर खड़ी की गई.
क्या कहती है ट्रैफिक पुलिस - नोएडा ट्रैफिक के डीसीपी गणेश प्रसाद साहा के अनुसार ट्विन टावर मामले में डायवर्जन का खाका तैयार किया गया.
दोनों टावरों में विस्फोटक लगाने का काम पूरा - ट्विन टावर में विस्फोटक लगाने का काम पूरा हो गया. इसमें 3700 किलो विस्फोटक लगाया गया. टावर सियान (29 मंजिला) और एपेक्स (32 मंजिला) के सभी तलों पर विस्फोटक लगाया गया. ऊपरी तल से इसकी शुरुआत की गई. पहले दिन दोनों टावरों के तीन-तीन तलों में विस्फोटक लगाए गए थे. कंपनी ने गत 22 अगस्त तक विस्फोटक लगाने का काम पूरा कर लिया था.
...लेकिन आरडब्ल्यूए ने जताई थी चिंता - एमराल्ड कोर्ट आरडब्ल्यूए के अध्यक्ष यूबीएस तेवतिया ने कहा कि सुपरटेक ने पहले 40 पिलर की मरम्मत शुरू की थी. आपत्ति करने के बाद उन्होंने केवल 10 अन्य पिलरों के मरम्मत का वादा किया. उनका कहना है कि यहां के कम से कम 300 पिलरों और कॉलम की मरम्मत होनी चाहिए थी. बिल्डर ने खुद से स्ट्रक्चरल ऑडिट नहीं कराया और अब उनकी खुद की ऑडिट के आधार पर चिह्नित किए गए पिलरों की ही मरम्मत की जा रही है. उनका कहना है कि यह 50 पिलर तो केवल सैंपल के लिए चिह्नित किए गए थे. इससे ज्यादा की मरम्मत की दरकार है. आरडब्ल्यूए का कहना है कि धूल आदि से बचाने के लिए ट्विन टावर के आसपास के टावरों को जिओ फाइबर टेक्सटाइल से ढ़क दिया गया है. इसका असर महिलाओं, बुजुर्गों, मरीजों आदि पर पड़ रहा है. उस साइड के फ्लैट के लोगों को काफी समस्या हो रही है. लोग खिड़की तक खोलने से परहेज कर रहे हैं.
विस्फोट के बाद संभावित कंपन की जांच रिपोर्ट तैयारः एमराल्ड कोर्ट और एटीएस विलेज आरडब्ल्यूए की ओर से ट्विन टावर के नजदीकी टावरों की मजबूती जांचने के लिए स्ट्रक्चरल ऑडिट कराने की मांग की गई थी. हालांकि, एडिफिस ने यूके की एक कंपनी से विस्फोट से होने वाले संभावित कंपन को लेकर रिपोर्ट तैयार कराई है. इसमें बताया गया है कि टावर गिरने के बाद अधिकतम कंपन 34 एमएम प्रति सेकेंड का हो सकता है. यह रिपोर्ट भूकंप जोन-5 के तहत 300 एमएम प्रति सेकेंड के कंपन के मानक को आधार बनाकर तैयार की गई है. ऐसे में एडिफिस का कहना है कि स्ट्रक्चरल ऑडिट की कोई जरूरत नहीं है. हालांकि, प्राधिकरण की ओर से दिए गए निर्देश के मुताबिक, सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीबीआरआई) जांच करने के बाद अपनी सलाह देगा. इसके लिए सीबीआरआई को बिल्डर ने 70 लाख रुपये का भुगतान किया है.
150 मीटर की दूरी पर होगा रिमोट, आसमान धूल से पटा होगा - विस्फोट के बाद मलबे और धूल को एमराल्ड कोर्ट और एटीएस विलेज परिसर में जाने से रोकने के लिए 30 मीटर ऊंची लोहे की चादर लगाई गई है. अंतिम ब्लास्ट के दिन यानी रविवार को 150 मीटर की दूरी पर रिमोट होगा. यहां छह वरिष्ठ पदाधिकारी मौजूद रहेंगे, जिनके से एक विस्फोट के लिए रिमोट का बटन दबाएंगे. इमारत में विस्फोट के दौरान 30 मिनट तक के लिए नजदीकी सभी सड़कों पर ट्रैफिक रोक दिया जाएगा. ध्वस्तीकरण के बाद कितनी धूल उड़ेगी, इसका अंदाजा नहीं लगाया जा सकता. मगर यह तय है कि कुछ देर तक आसमान में धूल ही धूल रहेगी.
पुलिस के NOC में कही गई ये बातें - इस विस्फोट के दौरान किसी तरह की जन-धन की हानि होती है तो कार्यदायी संस्था एडिफिस इंजीनियरिंग जिम्मेदार होगी. अंतिम ब्लास्ट के बाद पूरे मलबे की जांच करनी होगी. संभव है कि इसमें कोई ऐसा विस्फोटक हो, जो इस्तेमाल में नहीं आया होगा. लिहाजा, इसे हटाने का काम एडिफिस इंजीनियरिंग करेगी.
कहां जाएगा मलबा, क्या होगा इसका? - इन 32 मंजिली इमारतों के ध्वस्त होने से तकरीबन 35,000 घन मीटर मलबा और धूल का गुबार पैदा हुआ. 21,000 घन मीटर मलबे को वहां से हटाया जाएगा और 5 से 6 हेक्टेयर की एक निर्जन जमीन पर फेंका जाएगा. बाकी मलबा ट्विन टावर के भूतल क्षेत्र में भरा जाएगा. ट्रक मलबे को लेकर करीब 1,200 से 1,300 फेरे लगाएंगे.