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मोतियाबिंद के ऑपरेशन से जिंदगी में छाया अंधेरा, जानें कहां और कैसे

बिहार के मुजफ्फरपुर में मोतियाबिंद का ऑपरेशन असफल (Unsuccessful Cataract Surgery in Muzaffarpur) होने के कारण करीब 25 लोगों की आंखें खराब हो गई हैं. चार लोगों की आंखें तो निकालनी भी पड़ी है. जानें पूरा मामला...

negligence in cataract surgery (etv bharat)
मरीजों की जिंदगी में छाया अंधेरा (ईटीवी भारत)
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Published : Nov 30, 2021, 10:39 AM IST

Updated : Nov 30, 2021, 8:26 PM IST

मुजफ्फरपुर : बिहार के मुजफ्फरपुर में एक आई हॉस्पिटल के डॉक्टरों की बड़ी लापरवाही सामने आई है. यहां मोतियाबिंद का ऑपरेशन कराए 25 लोगों की आंखें खराब हो गईं. आंखों में दर्द, जलन और नहीं दिखने की शिकायत के बाद भी डॉक्टरों ने मरीजों को बरगलाने का पूरा प्रयास किया. नतीजा ये हुआ कि चार लोगों की आंखें निकालनी पड़ गई.

दरअसल, यह मामला जिले के जुरण छपरा स्थित आई हॉस्पिटल का है. बीते 22 नवंबर को अस्पताल में विशेष मोतियाबिंद ऑपरेशन का कैंप लगाया गया था. इस दौरान दर्जनों महिला-पुरुषों ने अपनी आंख का ऑपरेशन कराया. लेकिन डॉक्टरों के द्वारा लापरवाही (Negligence of Eye Hospital in Muzaffarpur) बरती गई लापरवाही ने उन्हें हमेशा के लिए अंधा बना दिया.

मोतियाबिंद के ऑपरेशन से जिंदगी में छाया अंधेरा

बिहार के मुजफ्फरपुर में मोतियाबिंद का ऑपरेशन असफल होने के कारण 25 से ज्यादा लोगों की आंखें खराब ( Many people Lost Eyes in Muzaffarpur ) हो गई. अस्पताल प्रशासन और डॉक्टरों की लापरवाही का नतीजा ये हुआ कि अब तक 7 लोगों की आंखें निकाली जा चुकी हैं. बाकी लोगों की आंखों में भी दर्द, जलन और दिखाई नहीं देने की समस्या बरकरार है.

जिन लोगों की आंखें निकाली जा चुकी है, सोमवार तक उनकी संख्या 4 थी. मगर अब यह संख्या बढ़कर 7 हो गई है. जिले के असिस्टेंट चीफ मेडिकल ऑफिसर डॉ. एसपी सिंह ने इसकी पुष्टि की है.

डॉक्टरों की लापरवाही के कारण दर्जनों की आंखें खराब, वीडियो देखें

"प्रथम दृष्ट्या अस्पताल से अभी जो खबर मिली है, अस्पताल के लोगों ने बताया है कि चार ऐसे मरीजों की आंखों को निकाला गया है. जांच के लिए एसकेएमसीएच के नेत्र विभाग के लोगों को भी बुलाया गया था, उनके द्वारा तीन आंखें निकाली गई है. अब तक कुल सात आंखें निकाली गई हैं. 6 संक्रमितों को एंबुलेंस से मेडिकल भेजा गया है. उनकी आंखों को बचाने के लिए हैवी ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल तैयार किया है. 22 नवंबर को 65 लोगों की आँखों का ऑपरेशन किया गया है और लेंस लगाया गया है."- डॉ. एसपी सिंह, एसीएमओ, मुजफ्फरपुर

22 नवंबर को आई हॉस्पीटल के द्वारा करीब 25 लोगों की आंख का ऑपरेशन की ही बात चल रही थी लेकिन एसीएमओ के बयान के बाद इस मामले की गंभीरता और बढ़ गई है. एसीएमओ ने अपने बयान में कहा है कि उस दिन 65 लोगों का ऑपरेशन किया गया था. उन्होंने कहा कि आई हॉस्पीटल में दो ओटी है. जहां-जहां जरुरत समझा गया, संक्रमितों का सैंपल लिया गया. अब सभी लोगों को पूरा रिलिफ देने के लिए हमलोग प्रयास कर रहे हैं.

एसीएमओ के बयान के बाद पूरा स्वास्थ्य महकमा स्वास्थ्य के घेरे में आ गया है. दरअसल, मेडिकल कॉलेज के ही एक डॉक्टर ने बताया कि ऑपरेशन करने का एक गाइडलाइन है. इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट भी निर्देश जारी कर चुका है. उन्होंने बताया कि एक दिन में एक डॉक्टर 12 से ज्यादा ऑपरेशन नहीं कर सकते हैं. लेकिन, 22 नवंबर को एसीएमओ के बयान के अनुसार 65 लोगों का ऑपरेशन किन परिस्थितियों में हुआ, यह सवाल का विषय है.

बता दें कि सोमवार को इस मामले पर सिविल सर्जन डॉ. विनय शर्मा ने भी टिप्पणी की थी. उन्होंने कहा था "फोन से इसकी जानकारी मिली है. इसके लिए तीन सदस्यीय टीम गठित कर दी गई है. टीम में शामिल डॉक्टर दो दिनों के भीतर यह रिपोर्ट देंगे कि आखिर ऑपरेशन प्रोटोकॉल का पालन किसने नहीं किया या किस कारण से नहीं किया गया. इस मामले में जो भी दोषी होंगे उनपर कठोर कार्रवाई की जाएगी."

दरअसल, यह पूरा मामला जिले के जुरण छपरा स्थित आई हॉस्पिटल का है. बीते 22 नवंबर को अस्पताल में विशेष मोतियाबिंद ऑपरेशन का कैंप लगाया गया था. इस दौरान दर्जनों महिला-पुरुषों ने अपनी आंख का ऑपरेशन कराया. लेकिन डॉक्टरों के द्वारा लापरवाही (Negligence of Eye Hospital in Muzaffarpur) बरती गई लापरवाही ने उन्हें हमेशा के लिए अंधा बना दिया.

आंख का ऑपरेशन कराए मरीजों ने बताया कि ऑपरेशन को एक सप्ताह भी नहीं बीते थे कि उनकी आंखों में जलन, दर्द और नहीं दिखने जैसी समस्याएं होने लगी. इसके बाद इन लोगों ने जब इसकी शिकायत आई हॉस्पीटल पहुंचकर चेकअप कराया तो डॉक्टरों ने इंफेक्शन की बात कही.

मरीजों और उनके परिजनों के पैरों तले जमीन तो तब खिसक गई जब डॉक्टरों ने उनसे कहा कि इंफेक्शन गंभीर हो गया है. उनकी आंखें अब निकालनी पड़ेगी. अन्यथा दोनों आंख खराब हो सकती है. इसके बाद अब तक 7 लोगों की आंखें निकाली भी जा चुकी है. इसके बाद अस्पताल में मरीज और उनके परिजनों ने हंगामा भी किया था.

पढ़ेंः ओमीक्रॉन से निपटने के लिए जीनोम सीक्वेसिंग जरूरी, जानिए क्या है भारत की तैयारी ?

मुजफ्फरपुर : बिहार के मुजफ्फरपुर में एक आई हॉस्पिटल के डॉक्टरों की बड़ी लापरवाही सामने आई है. यहां मोतियाबिंद का ऑपरेशन कराए 25 लोगों की आंखें खराब हो गईं. आंखों में दर्द, जलन और नहीं दिखने की शिकायत के बाद भी डॉक्टरों ने मरीजों को बरगलाने का पूरा प्रयास किया. नतीजा ये हुआ कि चार लोगों की आंखें निकालनी पड़ गई.

दरअसल, यह मामला जिले के जुरण छपरा स्थित आई हॉस्पिटल का है. बीते 22 नवंबर को अस्पताल में विशेष मोतियाबिंद ऑपरेशन का कैंप लगाया गया था. इस दौरान दर्जनों महिला-पुरुषों ने अपनी आंख का ऑपरेशन कराया. लेकिन डॉक्टरों के द्वारा लापरवाही (Negligence of Eye Hospital in Muzaffarpur) बरती गई लापरवाही ने उन्हें हमेशा के लिए अंधा बना दिया.

मोतियाबिंद के ऑपरेशन से जिंदगी में छाया अंधेरा

बिहार के मुजफ्फरपुर में मोतियाबिंद का ऑपरेशन असफल होने के कारण 25 से ज्यादा लोगों की आंखें खराब ( Many people Lost Eyes in Muzaffarpur ) हो गई. अस्पताल प्रशासन और डॉक्टरों की लापरवाही का नतीजा ये हुआ कि अब तक 7 लोगों की आंखें निकाली जा चुकी हैं. बाकी लोगों की आंखों में भी दर्द, जलन और दिखाई नहीं देने की समस्या बरकरार है.

जिन लोगों की आंखें निकाली जा चुकी है, सोमवार तक उनकी संख्या 4 थी. मगर अब यह संख्या बढ़कर 7 हो गई है. जिले के असिस्टेंट चीफ मेडिकल ऑफिसर डॉ. एसपी सिंह ने इसकी पुष्टि की है.

डॉक्टरों की लापरवाही के कारण दर्जनों की आंखें खराब, वीडियो देखें

"प्रथम दृष्ट्या अस्पताल से अभी जो खबर मिली है, अस्पताल के लोगों ने बताया है कि चार ऐसे मरीजों की आंखों को निकाला गया है. जांच के लिए एसकेएमसीएच के नेत्र विभाग के लोगों को भी बुलाया गया था, उनके द्वारा तीन आंखें निकाली गई है. अब तक कुल सात आंखें निकाली गई हैं. 6 संक्रमितों को एंबुलेंस से मेडिकल भेजा गया है. उनकी आंखों को बचाने के लिए हैवी ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल तैयार किया है. 22 नवंबर को 65 लोगों की आँखों का ऑपरेशन किया गया है और लेंस लगाया गया है."- डॉ. एसपी सिंह, एसीएमओ, मुजफ्फरपुर

22 नवंबर को आई हॉस्पीटल के द्वारा करीब 25 लोगों की आंख का ऑपरेशन की ही बात चल रही थी लेकिन एसीएमओ के बयान के बाद इस मामले की गंभीरता और बढ़ गई है. एसीएमओ ने अपने बयान में कहा है कि उस दिन 65 लोगों का ऑपरेशन किया गया था. उन्होंने कहा कि आई हॉस्पीटल में दो ओटी है. जहां-जहां जरुरत समझा गया, संक्रमितों का सैंपल लिया गया. अब सभी लोगों को पूरा रिलिफ देने के लिए हमलोग प्रयास कर रहे हैं.

एसीएमओ के बयान के बाद पूरा स्वास्थ्य महकमा स्वास्थ्य के घेरे में आ गया है. दरअसल, मेडिकल कॉलेज के ही एक डॉक्टर ने बताया कि ऑपरेशन करने का एक गाइडलाइन है. इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट भी निर्देश जारी कर चुका है. उन्होंने बताया कि एक दिन में एक डॉक्टर 12 से ज्यादा ऑपरेशन नहीं कर सकते हैं. लेकिन, 22 नवंबर को एसीएमओ के बयान के अनुसार 65 लोगों का ऑपरेशन किन परिस्थितियों में हुआ, यह सवाल का विषय है.

बता दें कि सोमवार को इस मामले पर सिविल सर्जन डॉ. विनय शर्मा ने भी टिप्पणी की थी. उन्होंने कहा था "फोन से इसकी जानकारी मिली है. इसके लिए तीन सदस्यीय टीम गठित कर दी गई है. टीम में शामिल डॉक्टर दो दिनों के भीतर यह रिपोर्ट देंगे कि आखिर ऑपरेशन प्रोटोकॉल का पालन किसने नहीं किया या किस कारण से नहीं किया गया. इस मामले में जो भी दोषी होंगे उनपर कठोर कार्रवाई की जाएगी."

दरअसल, यह पूरा मामला जिले के जुरण छपरा स्थित आई हॉस्पिटल का है. बीते 22 नवंबर को अस्पताल में विशेष मोतियाबिंद ऑपरेशन का कैंप लगाया गया था. इस दौरान दर्जनों महिला-पुरुषों ने अपनी आंख का ऑपरेशन कराया. लेकिन डॉक्टरों के द्वारा लापरवाही (Negligence of Eye Hospital in Muzaffarpur) बरती गई लापरवाही ने उन्हें हमेशा के लिए अंधा बना दिया.

आंख का ऑपरेशन कराए मरीजों ने बताया कि ऑपरेशन को एक सप्ताह भी नहीं बीते थे कि उनकी आंखों में जलन, दर्द और नहीं दिखने जैसी समस्याएं होने लगी. इसके बाद इन लोगों ने जब इसकी शिकायत आई हॉस्पीटल पहुंचकर चेकअप कराया तो डॉक्टरों ने इंफेक्शन की बात कही.

मरीजों और उनके परिजनों के पैरों तले जमीन तो तब खिसक गई जब डॉक्टरों ने उनसे कहा कि इंफेक्शन गंभीर हो गया है. उनकी आंखें अब निकालनी पड़ेगी. अन्यथा दोनों आंख खराब हो सकती है. इसके बाद अब तक 7 लोगों की आंखें निकाली भी जा चुकी है. इसके बाद अस्पताल में मरीज और उनके परिजनों ने हंगामा भी किया था.

पढ़ेंः ओमीक्रॉन से निपटने के लिए जीनोम सीक्वेसिंग जरूरी, जानिए क्या है भारत की तैयारी ?

Last Updated : Nov 30, 2021, 8:26 PM IST
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