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National Girl Child Day 2023: दादा से योग सीख बन गई 'रबर की गुड़िया', 56 मिनट में किया 221 बार सूर्य नमस्कार - Satna Kripa Mishra

बचपन में दादा को योग करते देख घर की गुड़िया ऐसे प्रभावित हुई कि, वह योग से पूरे देश में एमपी के नाम का परचम लहराने में कामयाब हो गई. इतना ही नहीं 13 वर्षीय कृपा मिश्रा ने योग विधा में 12 गोल्ड मेडल के साथ कुल 28 मेडल हासिल किया है.

National Girl Child Day 2023
कृपा मिश्रा
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Published : Jan 24, 2023, 4:56 PM IST

दादा से सीखा योग अब बन गई 'रबड़ की गुड़िया'

सतना। मध्य प्रदेश के सतना जिले की 13 वर्षीय बेटी ने प्रदेश का परचम पूरे देश में लहराया है. योग की विधा में 12 गोल्ड मेडल और 2 सिल्वर मेडल भी मिल चुके हैं. कृपा मिश्रा शहर के बांधवगढ़ कॉलोनी की निवासी है. इससे प्रेरित होकर इसकी छोटी बहन भी योग की विधा में प्रदेश में अपना स्थान बना चुकी है. इन दोनों सगी बहनों के गुरु इनके 70 वर्षीय दादा जी हैं, जो इन्हें योग की विधाओं को सिखाते हैं. इसकी बदौलत आज दोनों सगी बहनें योग की हर विधा में निपुण हो गई हैं.

योग की विधा में निपुणता: बांधवगढ़ कॉलोनी के वार्ड नंबर 20 की निवासी 13 वर्षीय कृपा मिश्रा ने योग की अलग-अलग विधाओं में देश में प्रदेश का नाम रोशन किया है. कृपा मिश्रा से प्रेरित होकर उसकी 11 वर्ष की छोटी बहन प्रतिक्षा मिश्रा भी योग की विधा में प्रदेश में अपना स्थान बनाया है. अब दोनों सगी बहने योग की अलग-अलग विधाओं मे निपुण हो चुकी है. इसमें दिलचस्प बात यह है कि, इनके योग गुरु कोई और नहीं बल्कि इनके दादा जी हैं. जिनका नाम महेश मिश्रा है. दादाजी की उम्र 70 वर्ष है.

डांस से सीखा योग: महेश मिश्रा की मानें तो वह बचपन से ही योग करते आ रहे हैं. महज 15 वर्ष की उम्र में वह योग विधा में निपुण हो चुके थे. बच्चियों के दादा महेश मिश्रा बताते हैं कि, शुरू से दोनों बच्चियां डांस करती थी. डांस के कई स्टेप योग के अंदर छुपे हुए थे. धीरे धीरे बच्चियां उन्हें देखकर योग की विधा से डांस सीख गई, लेकिन उनका ध्यान भी योग की ओर आकर्षण होने लगा. अब ऐसे में कृपा मिश्रा योग गुरु अपने दादाजी से योग की विधाओं को सीखना शुरू कर दिया.

समाज के बीच मिला अच्छा स्थान: वर्ष 2019 में पहली बार 13 वर्षीय कृपा ने योग की कला को सीखा. धीरे-धीरे आगे बढ़ने लगी. ऐसा करते हुए कृपा ने देश और प्रदेश के अंदर 12 गोल्ड मेडल और 2 सिल्वर मेडल प्राप्त किया. अभी तक कृपा 28 जगहों पर सम्मानित हो चुकी है. कृपा के दादाजी की मानें तो बेटियों को बेटो से कमजोर नहीं मानना चाहिए. बेटियों को शिक्षा दीक्षा देने से वह भी समाज में अच्छा स्थान प्राप्त कर सकती हैं, इसलिए बेटियों के प्रति भेदभाव नहीं रखना चाहिए. बेटा-बेटी दोनों एक समान होते हैं.

MP: सीहोर में जब CM शिवराज बने योगगुरु, स्कूली बच्चों के सामने किया कपालभाति व अनुलोम-विलोम
कोरोना में संघर्ष: कृपा मिश्रा की माने तो, पहली बार उसने 10 दिसंबर वर्ष 2019 को नागौद में हुए योग के एक कंपटीशन हिस्सा लिया था. यहां उसने प्रथम स्थान प्राप्त किया. इसके बाद वह राष्ट्रीय स्तर पर उत्तराखंड और प्रदेश के कई योग कंपटीशन में हिस्सा लिया. वर्ष 2020 में लॉक डाउन लग जाने की वजह कृपा ने योग करना नहीं छोड़ा और अपने घर पर ही ऑनलाइन कंपटीशन में हिस्सा लेने लगी. इसमें उसने 56 मिनट में 221 बार सूर्य नमस्कार पूरे किए, यह सबसे कठिन युग की विधा थी. वर्तमान समय में कृपा और उसकी बहन प्रतीक्षा दोनों ने योग की विधाओं में इतनी निपुण होती जा रही है.

दादा से सीखा योग अब बन गई 'रबड़ की गुड़िया'

सतना। मध्य प्रदेश के सतना जिले की 13 वर्षीय बेटी ने प्रदेश का परचम पूरे देश में लहराया है. योग की विधा में 12 गोल्ड मेडल और 2 सिल्वर मेडल भी मिल चुके हैं. कृपा मिश्रा शहर के बांधवगढ़ कॉलोनी की निवासी है. इससे प्रेरित होकर इसकी छोटी बहन भी योग की विधा में प्रदेश में अपना स्थान बना चुकी है. इन दोनों सगी बहनों के गुरु इनके 70 वर्षीय दादा जी हैं, जो इन्हें योग की विधाओं को सिखाते हैं. इसकी बदौलत आज दोनों सगी बहनें योग की हर विधा में निपुण हो गई हैं.

योग की विधा में निपुणता: बांधवगढ़ कॉलोनी के वार्ड नंबर 20 की निवासी 13 वर्षीय कृपा मिश्रा ने योग की अलग-अलग विधाओं में देश में प्रदेश का नाम रोशन किया है. कृपा मिश्रा से प्रेरित होकर उसकी 11 वर्ष की छोटी बहन प्रतिक्षा मिश्रा भी योग की विधा में प्रदेश में अपना स्थान बनाया है. अब दोनों सगी बहने योग की अलग-अलग विधाओं मे निपुण हो चुकी है. इसमें दिलचस्प बात यह है कि, इनके योग गुरु कोई और नहीं बल्कि इनके दादा जी हैं. जिनका नाम महेश मिश्रा है. दादाजी की उम्र 70 वर्ष है.

डांस से सीखा योग: महेश मिश्रा की मानें तो वह बचपन से ही योग करते आ रहे हैं. महज 15 वर्ष की उम्र में वह योग विधा में निपुण हो चुके थे. बच्चियों के दादा महेश मिश्रा बताते हैं कि, शुरू से दोनों बच्चियां डांस करती थी. डांस के कई स्टेप योग के अंदर छुपे हुए थे. धीरे धीरे बच्चियां उन्हें देखकर योग की विधा से डांस सीख गई, लेकिन उनका ध्यान भी योग की ओर आकर्षण होने लगा. अब ऐसे में कृपा मिश्रा योग गुरु अपने दादाजी से योग की विधाओं को सीखना शुरू कर दिया.

समाज के बीच मिला अच्छा स्थान: वर्ष 2019 में पहली बार 13 वर्षीय कृपा ने योग की कला को सीखा. धीरे-धीरे आगे बढ़ने लगी. ऐसा करते हुए कृपा ने देश और प्रदेश के अंदर 12 गोल्ड मेडल और 2 सिल्वर मेडल प्राप्त किया. अभी तक कृपा 28 जगहों पर सम्मानित हो चुकी है. कृपा के दादाजी की मानें तो बेटियों को बेटो से कमजोर नहीं मानना चाहिए. बेटियों को शिक्षा दीक्षा देने से वह भी समाज में अच्छा स्थान प्राप्त कर सकती हैं, इसलिए बेटियों के प्रति भेदभाव नहीं रखना चाहिए. बेटा-बेटी दोनों एक समान होते हैं.

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कोरोना में संघर्ष: कृपा मिश्रा की माने तो, पहली बार उसने 10 दिसंबर वर्ष 2019 को नागौद में हुए योग के एक कंपटीशन हिस्सा लिया था. यहां उसने प्रथम स्थान प्राप्त किया. इसके बाद वह राष्ट्रीय स्तर पर उत्तराखंड और प्रदेश के कई योग कंपटीशन में हिस्सा लिया. वर्ष 2020 में लॉक डाउन लग जाने की वजह कृपा ने योग करना नहीं छोड़ा और अपने घर पर ही ऑनलाइन कंपटीशन में हिस्सा लेने लगी. इसमें उसने 56 मिनट में 221 बार सूर्य नमस्कार पूरे किए, यह सबसे कठिन युग की विधा थी. वर्तमान समय में कृपा और उसकी बहन प्रतीक्षा दोनों ने योग की विधाओं में इतनी निपुण होती जा रही है.

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