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जल संकट से जूझ रहा MP का आदिवासी गांव, 10 फीट गहरे कुएं में उतरकर मटमैला पानी निकाल रहे ग्रामीण

जबलपुर जिले को नर्मदा की नगरी भी कहा जाता है. जहां पर कल-कल करती हुई नर्मदा और बरगी डैम जहां अथाह जल है, लेकिन इसके बावजूद भी जबलपुर जिले के लोग पानी को तरस रहे हैं, क्योंकि जैसे-जैसे गर्मी अपने तीखे तेवर दिखा रही है, वैसे ही जबलपुर के ग्रामीण क्षेत्रों में पानी का संकट गहराता जा रहा है. जिसे देखकर यह लगता है कि ग्रामीण आदिवासी अंचलों में पानी की त्रासदी आ गई है.

water crisis in jabalpur tribal village
गंदा मटमैला पानी
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Published : May 24, 2023, 2:04 PM IST

Updated : May 24, 2023, 4:48 PM IST

जल संकट से जूझ रहा एमपी

जबलपुर। जिले के ग्रामीण अंचलों में लोग गंदा और मटमैला पानी पीने मजबूर है. सबसे हैरानी की बात यह है कि लोग जान जोखिम में डालकर ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों से लेकर बड़े और बुजुर्ग मुट्ठी भर पानी के लिए जतन करते नजर आ रहे हैं. गर्मियों के मौसम में लोटा भर पानी के लिए लोग न केवल कई किलोमीटर का सफर करने मजबूर हैं, बल्कि सूखे कुएं में नीचे उतरकर फूटने वाली झिर से पानी भरने की जद्दोजहद करते देखे जा सकते हैं. आदिवासी ग्रामीण ऐसे पानी से अपने कंठ तर रहे हैं, जिससे मवेशी भी मुंह फेर लेते हैं. हर साल गर्मी आते ही इस क्षेत्र में पानी के लिए हाहाकार मच जाता है. जनप्रतिनिधियों से लेकर जनपद और जिला पंचायत के अफसर इस समस्या से लड़ने के लिए सिर्फ कागजों में ही प्लान और बैठकें करते हैं. परंतु धरातल में हकीकत कुछ और ही है, लेकिन यह सब पूरी गर्मी भर चलता रहता है. उसके बाद भी लोगों को पानी नहीं मिल पाता है. देखिए ईटीवी भारत की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट.

water crisis in jabalpur tribal village
पानी के लिए 10 फीट गहरे कुएं में उतर रहे लोग

पानी की जद्दोजहद में जुटे ग्रामीण: दरअसल पानी को लेकर हम जो त्रासदी दिखाने जा रहे हैं, यह त्रासदी जबलपुर जिला मुख्यालय से 70 किलोमीटर दूर नकटिया गांव की है. यहां के हालात और भी ज्यादा भयावह हैं. यहां 3 बजे से सुबह उठते ही लोग पानी की जद्दोजहद में जुट जाते हैं और अपनी जान जोखिम में डालकर सूखे कुएं में उतरते हैं और फिर बूंद-बूंद जुटाकर अपने बर्तनों में पानी भरकर घर लेकर जाते हैं. कई-कई बार तो लोगों को खाली बर्तन लेकर ही अपने घर लौटना पड़ता है. इन तस्वीरों को देखकर कोई भी हैरत में पड़ सकता है, क्योंकि शहरों में तो लोगों को साफ और शुद्ध पानी मिल जाता है, लेकिन जबलपुर के भीतरी और सुदूर अंचलों के गांव में ग्रामीण गंदा और मटमैला पानी पीने के लिए मजबूर हो रहे हैं. सरकार और प्रशासन की तमाम योजनाएं इन गांवों में आकर दम तोड़ जाती है. यही वजह है कि इन ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को न तो जल जीवन मिशन जैसी सरकार की महत्वकांक्षी योजना का फायदा मिल रहा है और न ही नल जल जैसी योजनाओं के बारे में कभी इन्होंने सुना है. पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए लोगों को कितनी जद्दोजहद करनी पड़ रही है, इसे देखकर हर किसी के रोंगटे खड़े हो सकते हैं, लेकिन न तो अधिकारियों को इससे वास्ता है और न ही स्थानीय जनप्रतिनिधियों को. यही वजह है कि आजादी के इतने साल बीतने के बावजूद भी जबलपुर के ग्रामीण अंचलों के हालात दिनों दिन भयावह होते जा रहे हैं, खासकर गर्मियों के मौसम में तो लोग अपनी जान जोखिम में डालकर लोटा भर पानी के लिए जी जान एक कर रहे हैं.

water crisis in jabalpur tribal village
गंदा मटमैला पानी

पानी को लेकर होता है विवाद: वहीं, स्थानीय निवासियों का कहना है कि ''जिस पानी को वह पी रहे हैं, वह हाथ धोने लायक भी नहीं है. लेकिन मजबूरी में गांव के लोग इस पानी को पीने पीने के लिए मजबूर हैं. कई बार पानी नहीं मिलने के कारण गांव के लोग भीषण गर्मी में भी दो से तीन दिन तक नहाते नहीं हैं. पानी के लिए वह सुबह 4 बजे उठकर कुएं के पास एक लोटा पानी के लिए जतन करते हैं. जहां बारी-बारी से नीचे कुएं में उतरकर लोटे से पानी भरते हैं और इसके बाद रस्सी से पानी ऊपर लेकर आते हैं. जिसके बाद उनको पीने का पानी नसीब होता है. कई बार पानी को लेकर लोगों में विवाद भी हो जाता है, लेकिन आज तक इस समस्या का हल नहीं निकला.'' ग्रामीणों का कहना है कि ''हम ऐसा पानी पी रहे हैं, जिसे मवेशी भी नहीं पीते हैं. मजबूरी में सूखे कंठ को गीला कर रहे हैं.

जल संकट को लेकर कई लोगों ने किया पलायन: जिस गंदे पानी को ग्रामीण पी रहे हैं, उससे ग्रामीण अब बीमार भी पड़ने लगे हैं. पानी की समस्या से मवेशियों की जान को आफत है. कई लोग तो अपने मवेशियों को लेकर दूसरे क्षेत्र में पलायन कर गए हैं. परेशानी इस बात की है कि पानी की समस्या को लेकर ग्रामीण पीएचई व जनपद कार्यालयों के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन सुनवाई नहीं होने से वह बेहद परेशान हैं. गंदे पानी के चलते लोग बीमार पड़ जाते हैं. जिनको इलाज के लिए गांव से 70 किलोमीटर दूर जबलपुर ले जाना पड़ता है. इसके बाद उन्हें इलाज मिलता है. कभी-कभी इलाज के अभाव में ही लोग दम तोड़ देते हैं. जिसको लेकर स्थानीय जिला पंचायत सदस्य रामकुमार सैयाम ने पत्र और बैठक के माध्यम से अधिकारियों को कई बार अवगत कराया लेकिन इसके बावजूद भी आज तक इन आदिवासियों की समस्याओं का निदान नहीं निकला.

water crisis in jabalpur tribal village
गंदा मटमैला पानी निकाल रहे लोग

विधायक ने सरकार पर साधा निशाना: वहीं, जल समस्या को लेकर बरगी विधानसभा के विधायक संजय यादव ने प्रदेश सरकार पर हमला बोला. उन्होंने कहा कि ''सरकार आदिवासी विरोधी सरकार है. बरगी विधानसभा के आदिवासी क्षेत्रों में भीषण पेयजल का संकट है. इसके बावजूद भी जिला प्रशासन और संबंधित अधिकारियों के ढीले रवैया के चलते लोग आज भी परेशान हैं. शाहपुरा जनपद में जल जीवन मिशन के तहत योजना चलाई जा रही है, लेकिन ग्रामीण आदिवासी क्षेत्रों में यह योजना आज भी नहीं पहुंच पाई.'' वहीं अब तस्वीर सामने आने के बाद विधायक संजय यादव गांव में पानी के लिए बोरिंग कराने की बात कह रहे हैं.

  1. शुरू होने के 1 हफ्ते बाद ही ठप पड़ी नल-जल योजना, पानी की किल्लत से परेशान ग्रामीण
  2. MP Water Crisis: पेयजल लाइन डालने के लिए खोदी सीसी सड़क, मरम्मत करना भूला ठेकेदार, कीचड़ व गड्ढों से लोग परेशान
  3. जीवन को जल की तलाश: रायसेन में पानी की किल्लत से ग्रामीण परेशान, 2 किमी चलने को मजबूर

पानी की समस्या को किया जाएगा दूर: वहीं, पूरे मामले में जिला पंचायत के सीईओ जयंती सिंह का कहना है कि ''गांव में पानी का दूसरा भी स्रोत है. जिससे लोगों को पानी की परेशानी से दूर किया जा रहा है. इसके अलावा बरगी से होकर जाने वाली नहर भी लोगों को पाने समस्या दूर कर रही है, लेकिन नकटिया गांव की पानी की समस्या को लेकर शिकायत सामने आई है. जिसकी जांच कराई जा रही है और जल्द से जल्द लोगों की समस्या को दूर किया जाएगा.'' बहरहाल अब देखना यह होगा कि आजादी के बाद से लेकर अब तक इन गांव के लोगों की पानी की समस्या से निजात मिलता है या फिर ऐसे ही पानी को लेकर लोगों को दो-चार होना पड़ेगा.

दूषित पानी से होने वाली बीमारियां: दूषित पानी पीने से होने वाली गंभीर बीमारियों को लेकर डॉक्टर जितेंद्र सिंह का कहना है कि ''दूषित पानी पीने से कई तरह की गंभीर बीमारी होती है. गंदा पानी न केवल पाचन क्रिया को प्रभावित कर सकता है, बल्कि इससे व्यक्ति को उल्टी, दस्त, पेट दर्द आदि समस्याओं का सामना भी करना पड़ सकता है. गंदे पानी के सेवन से व्यक्ति के दिमाग पर भी नकारात्मक असर पड़ता है. गंदे पानी के सेवन से व्यक्ति को मानसिक समस्याओं का सामना भी करना पड़ सकता है. जिससे बचने के लिए लोगों को गंदे पानी को सबसे पहले उबाल लेना चाहिए और ठंडा होने के बाद इसे छानकर पिया जा सकता है. जिस कारण दूषित पानी से होने वाली बीमारियों से भी बचा जा सकता है.

जल संकट से जूझ रहा एमपी

जबलपुर। जिले के ग्रामीण अंचलों में लोग गंदा और मटमैला पानी पीने मजबूर है. सबसे हैरानी की बात यह है कि लोग जान जोखिम में डालकर ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों से लेकर बड़े और बुजुर्ग मुट्ठी भर पानी के लिए जतन करते नजर आ रहे हैं. गर्मियों के मौसम में लोटा भर पानी के लिए लोग न केवल कई किलोमीटर का सफर करने मजबूर हैं, बल्कि सूखे कुएं में नीचे उतरकर फूटने वाली झिर से पानी भरने की जद्दोजहद करते देखे जा सकते हैं. आदिवासी ग्रामीण ऐसे पानी से अपने कंठ तर रहे हैं, जिससे मवेशी भी मुंह फेर लेते हैं. हर साल गर्मी आते ही इस क्षेत्र में पानी के लिए हाहाकार मच जाता है. जनप्रतिनिधियों से लेकर जनपद और जिला पंचायत के अफसर इस समस्या से लड़ने के लिए सिर्फ कागजों में ही प्लान और बैठकें करते हैं. परंतु धरातल में हकीकत कुछ और ही है, लेकिन यह सब पूरी गर्मी भर चलता रहता है. उसके बाद भी लोगों को पानी नहीं मिल पाता है. देखिए ईटीवी भारत की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट.

water crisis in jabalpur tribal village
पानी के लिए 10 फीट गहरे कुएं में उतर रहे लोग

पानी की जद्दोजहद में जुटे ग्रामीण: दरअसल पानी को लेकर हम जो त्रासदी दिखाने जा रहे हैं, यह त्रासदी जबलपुर जिला मुख्यालय से 70 किलोमीटर दूर नकटिया गांव की है. यहां के हालात और भी ज्यादा भयावह हैं. यहां 3 बजे से सुबह उठते ही लोग पानी की जद्दोजहद में जुट जाते हैं और अपनी जान जोखिम में डालकर सूखे कुएं में उतरते हैं और फिर बूंद-बूंद जुटाकर अपने बर्तनों में पानी भरकर घर लेकर जाते हैं. कई-कई बार तो लोगों को खाली बर्तन लेकर ही अपने घर लौटना पड़ता है. इन तस्वीरों को देखकर कोई भी हैरत में पड़ सकता है, क्योंकि शहरों में तो लोगों को साफ और शुद्ध पानी मिल जाता है, लेकिन जबलपुर के भीतरी और सुदूर अंचलों के गांव में ग्रामीण गंदा और मटमैला पानी पीने के लिए मजबूर हो रहे हैं. सरकार और प्रशासन की तमाम योजनाएं इन गांवों में आकर दम तोड़ जाती है. यही वजह है कि इन ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को न तो जल जीवन मिशन जैसी सरकार की महत्वकांक्षी योजना का फायदा मिल रहा है और न ही नल जल जैसी योजनाओं के बारे में कभी इन्होंने सुना है. पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए लोगों को कितनी जद्दोजहद करनी पड़ रही है, इसे देखकर हर किसी के रोंगटे खड़े हो सकते हैं, लेकिन न तो अधिकारियों को इससे वास्ता है और न ही स्थानीय जनप्रतिनिधियों को. यही वजह है कि आजादी के इतने साल बीतने के बावजूद भी जबलपुर के ग्रामीण अंचलों के हालात दिनों दिन भयावह होते जा रहे हैं, खासकर गर्मियों के मौसम में तो लोग अपनी जान जोखिम में डालकर लोटा भर पानी के लिए जी जान एक कर रहे हैं.

water crisis in jabalpur tribal village
गंदा मटमैला पानी

पानी को लेकर होता है विवाद: वहीं, स्थानीय निवासियों का कहना है कि ''जिस पानी को वह पी रहे हैं, वह हाथ धोने लायक भी नहीं है. लेकिन मजबूरी में गांव के लोग इस पानी को पीने पीने के लिए मजबूर हैं. कई बार पानी नहीं मिलने के कारण गांव के लोग भीषण गर्मी में भी दो से तीन दिन तक नहाते नहीं हैं. पानी के लिए वह सुबह 4 बजे उठकर कुएं के पास एक लोटा पानी के लिए जतन करते हैं. जहां बारी-बारी से नीचे कुएं में उतरकर लोटे से पानी भरते हैं और इसके बाद रस्सी से पानी ऊपर लेकर आते हैं. जिसके बाद उनको पीने का पानी नसीब होता है. कई बार पानी को लेकर लोगों में विवाद भी हो जाता है, लेकिन आज तक इस समस्या का हल नहीं निकला.'' ग्रामीणों का कहना है कि ''हम ऐसा पानी पी रहे हैं, जिसे मवेशी भी नहीं पीते हैं. मजबूरी में सूखे कंठ को गीला कर रहे हैं.

जल संकट को लेकर कई लोगों ने किया पलायन: जिस गंदे पानी को ग्रामीण पी रहे हैं, उससे ग्रामीण अब बीमार भी पड़ने लगे हैं. पानी की समस्या से मवेशियों की जान को आफत है. कई लोग तो अपने मवेशियों को लेकर दूसरे क्षेत्र में पलायन कर गए हैं. परेशानी इस बात की है कि पानी की समस्या को लेकर ग्रामीण पीएचई व जनपद कार्यालयों के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन सुनवाई नहीं होने से वह बेहद परेशान हैं. गंदे पानी के चलते लोग बीमार पड़ जाते हैं. जिनको इलाज के लिए गांव से 70 किलोमीटर दूर जबलपुर ले जाना पड़ता है. इसके बाद उन्हें इलाज मिलता है. कभी-कभी इलाज के अभाव में ही लोग दम तोड़ देते हैं. जिसको लेकर स्थानीय जिला पंचायत सदस्य रामकुमार सैयाम ने पत्र और बैठक के माध्यम से अधिकारियों को कई बार अवगत कराया लेकिन इसके बावजूद भी आज तक इन आदिवासियों की समस्याओं का निदान नहीं निकला.

water crisis in jabalpur tribal village
गंदा मटमैला पानी निकाल रहे लोग

विधायक ने सरकार पर साधा निशाना: वहीं, जल समस्या को लेकर बरगी विधानसभा के विधायक संजय यादव ने प्रदेश सरकार पर हमला बोला. उन्होंने कहा कि ''सरकार आदिवासी विरोधी सरकार है. बरगी विधानसभा के आदिवासी क्षेत्रों में भीषण पेयजल का संकट है. इसके बावजूद भी जिला प्रशासन और संबंधित अधिकारियों के ढीले रवैया के चलते लोग आज भी परेशान हैं. शाहपुरा जनपद में जल जीवन मिशन के तहत योजना चलाई जा रही है, लेकिन ग्रामीण आदिवासी क्षेत्रों में यह योजना आज भी नहीं पहुंच पाई.'' वहीं अब तस्वीर सामने आने के बाद विधायक संजय यादव गांव में पानी के लिए बोरिंग कराने की बात कह रहे हैं.

  1. शुरू होने के 1 हफ्ते बाद ही ठप पड़ी नल-जल योजना, पानी की किल्लत से परेशान ग्रामीण
  2. MP Water Crisis: पेयजल लाइन डालने के लिए खोदी सीसी सड़क, मरम्मत करना भूला ठेकेदार, कीचड़ व गड्ढों से लोग परेशान
  3. जीवन को जल की तलाश: रायसेन में पानी की किल्लत से ग्रामीण परेशान, 2 किमी चलने को मजबूर

पानी की समस्या को किया जाएगा दूर: वहीं, पूरे मामले में जिला पंचायत के सीईओ जयंती सिंह का कहना है कि ''गांव में पानी का दूसरा भी स्रोत है. जिससे लोगों को पानी की परेशानी से दूर किया जा रहा है. इसके अलावा बरगी से होकर जाने वाली नहर भी लोगों को पाने समस्या दूर कर रही है, लेकिन नकटिया गांव की पानी की समस्या को लेकर शिकायत सामने आई है. जिसकी जांच कराई जा रही है और जल्द से जल्द लोगों की समस्या को दूर किया जाएगा.'' बहरहाल अब देखना यह होगा कि आजादी के बाद से लेकर अब तक इन गांव के लोगों की पानी की समस्या से निजात मिलता है या फिर ऐसे ही पानी को लेकर लोगों को दो-चार होना पड़ेगा.

दूषित पानी से होने वाली बीमारियां: दूषित पानी पीने से होने वाली गंभीर बीमारियों को लेकर डॉक्टर जितेंद्र सिंह का कहना है कि ''दूषित पानी पीने से कई तरह की गंभीर बीमारी होती है. गंदा पानी न केवल पाचन क्रिया को प्रभावित कर सकता है, बल्कि इससे व्यक्ति को उल्टी, दस्त, पेट दर्द आदि समस्याओं का सामना भी करना पड़ सकता है. गंदे पानी के सेवन से व्यक्ति के दिमाग पर भी नकारात्मक असर पड़ता है. गंदे पानी के सेवन से व्यक्ति को मानसिक समस्याओं का सामना भी करना पड़ सकता है. जिससे बचने के लिए लोगों को गंदे पानी को सबसे पहले उबाल लेना चाहिए और ठंडा होने के बाद इसे छानकर पिया जा सकता है. जिस कारण दूषित पानी से होने वाली बीमारियों से भी बचा जा सकता है.

Last Updated : May 24, 2023, 4:48 PM IST
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