जबलपुर। शहर के बिल्डर एवं भाजपा नेता प्रियांश विश्वकर्मा की गोली से घायल हुई एमबीए छात्रा वेदिका ठाकुर की मौत हो गई है. उसकी हालत बेहद गंभीर बनी हुई थी. पिछले 30 घंटों से उसे वेंटिलेटर सपोर्ट में रखा गया था. डॉक्टरों का कहना था कि गोली अंदर रीड की हड्डी के पास जाकर फंस गई थी, जिसे निकालने के लिए ऑपरेशन भी किया गया, लेकिन ऑपरेशन सफल नहीं हो सका. अंदर ही अंदर गोली से निकले बारूद फैलने के कारण इंफेक्शन पूरे शरीर में फैल गया. जिसके कारण शरीर के आधे अंगों ने काम करना बंद कर दिया.
पिस्टल से निकली गोली युवती के सीने में लगी : दरअसल, 16 जून को दोपहर करीब 1 बजे भाजपा नेता प्रियांश विश्वकर्मा ने अपने दोस्त देविका ठाकुर को मिलने के लिए अपने धनवंतरी नगर के मंडफैया स्थित ऑफिस में बुलाया था. इसी बीच बातचीत के दौरान प्रियांश विश्वकर्मा की पिस्टल से निकली गोली देविका ठाकुर के सीने में जा लगी. गोली लगते ही प्रियांश ने देविका की मौसी को फोन कर बताया कि उसकी तबीयत खराब है और आप जल्द से जल्द ऑफिस आ जाइए.
बीजेपी नेता के अस्पताल में इलाज : युवती की मौसी ने देखा कि देविका मूर्छित हालत में नीचे पड़ी हुई थी. तभी प्रियांश उसे अपनी कार में डालकर भाजपा नेता डॉ.अमित खरे के स्मार्ट सिटी हॉस्पिटल लेकर गया. पुलिस को बिना सूचना दिए देविका का 6 घंटे तक भाजपा नेता के अस्पताल में इलाज किया गया. इस बात की किसी को जानकारी ना लगे, जिसके लिए ऊपर ऑपरेशन थिएटर में आने-जाने पर पाबंदी लगा दी गई.
पुलिस कार्रवाई पर उठे सवाल : शरीर से गोली निकालने के लिए किसी विशेषज्ञ के ना होने पर बीजेपी नेता उसे एक दूसरे निजी अस्पताल ले गया और भर्ती कराकर वहां से ऑफिस में लगे सीसीटीवी कैमरों डीवीआर और पिस्टल लेकर फरार हो गया. घटना के 8 घंटे बाद सूचना पर पहुंची पुलिस ने जब घटनास्थल का निरीक्षण किया और दफ्तर को सील कर दिया लेकिन भाजपा के नेता के गुर्गों द्वारा ऑफिस के ताले तोड़ दिए गए और एफएसएल की टीम के पहुंचने से पहले ही मौके से सारे सबूत मिटा दिए गए. जिसके चलते कहीं ना कहीं पुलिस की कार्रवाई पर भी सवाल खड़े हो रहे थे. क्योंकि पुलिस ने घटना के 24 घंटे बीत जाने के बाद भी एफआईआर दर्ज नहीं की थी.
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आरोपी गिरफ्तार : जब परिजन पुलिस थाने पहुंचे तो पुलिस ने एफआईआर दर्ज करने से इंकार कर दिया. इस पर परिजनों ने पुलिस थाने में हंगामा किया. इसके बाद पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी संजीवनी नगर पुलिस थाने पहुंचे और भाजपा नेता प्रियांश विश्वकर्मा के खिलाफ धारा 308 गैर इरादतन एवं 25, 26 आर्म्स एक्ट के तहत मामला दर्ज किया. लेकिन आरोपी भाजपा नेता प्रियांश विश्वकर्मा के द्वारा लगातार वेदिका के परिजनों पर दबाव बनाया जा रहा था. वेदिका के समर्थन में सैकड़ों कांग्रेसियों ने पुलिस अधीक्षक कार्यालय का घेराव किया. 70 घंटे बाद जैसे ही प्रियांश सरेंडर करने पहुंचा, उससे पहले ही उसे पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया.