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MP Research On Wolf: मध्यप्रदेश के नौरादेही अभ्यारण में भेड़ियों पर होगी रिसर्च, ग्रे नस्ल पर दो साल तक वैज्ञानिक करेंगे शोध, जानें क्या मिलेगा फायदा - first wolf nauradehi sanctuary

Research on wolves in Nauradehi Sanctuary: ग्रे इंडियन वुल्फ की प्रजाति गुजरात के बाद केवल एमपी के नौरादेही के जंगलों में ही पाई जाती है. जंगल की फूड साईकिल की अहम कड़ी माने जाने वाले इंडियन वुल्फ पर अब वन अनुसंधान विभाग दो साल तक रिसर्च करेगा. जिसमें इनकी ब्रीडिंग के साथ इनकी फूड हैबिट बिहेवियर पर डिटेल स्टडी की जाएगी. इस दौरान यह भी चेक किया जाएगा कि किन देशों के परिस्थितियां इनके अनुकूल हो सकती हैं. पढ़िए खास रिपोर्ट...

Research on wolves in Nauradehi Sanctuary
नौरादेही अभ्यारण में भेड़ियों पर होगी रिसर्च
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Published : Jul 27, 2023, 9:58 AM IST

Updated : Jul 27, 2023, 12:55 PM IST

नौरादेही अभ्यारण में भेड़ियों पर होगी रिसर्च

सागर। प्रदेश के सबसे बडे टाइगर रिजर्व का दर्जा हासिल करने की तैयारियों में जुटा नौरादेही अभ्यारण्य मध्यप्रदेश का ऐसा अभ्यारण्य है, जिसकी पहले मूल पहचान भारतीय भेडियों के प्राकृतिक आवास के रूप में थी (MP Wolf State). यही वजह थी कि कूनो से पहले यहां अफ्रीकन चीते लाए जाने की योजना थी. लेकिन बाद में टाइगर रिजर्व के रूप में स्थापित करने का फैसला किया गया, जो प्रदेश का सबसे बडा टाइगर रिजर्व होगा. फिलहाल नौरादेही अभ्यारण्य में इंडियन ग्रे नस्ल के भेडियों पर दो साल की रिसर्च शुरू की जा रही है. जिसमें जबलपुर स्थित राज्य वन अनुसंधान संस्थान जबलपुर के वैज्ञानिक शोध करेंगे. इस शोध में भेडियों की गतिविधियों, भोजन और अन्य गतिविधियों की बारीकी से जांच की जाएगी. गौरतलब है कि खाद्य श्रृंखला के मांसाहारी जीवों में भेड़िया दूसरे पायदान पर है, जो छोटे जानवरों का शिकार करता है. मध्यप्रदेश में नौरादेही अभ्यारण्य ऐसी जगह है, जहां सबसे ज्यादा भारतीय भेड़िया पाए जाते हैं, इसलिए ये शोध यहीं शुरू किया जा रहा है.

Research on wolves in Nauradehi Sanctuary
वुल्फ स्टेट कहलाता है एमपी

मध्यप्रदेश को हासिल है वुल्फ स्टेट का दर्जा: आमतौर पर लोग जानते हैं कि मध्यप्रदेश की पहचान एक टाइगर स्टेट के रूप में है. लेकिन टाइगर स्टेट के अलावा मध्यप्रदेश को वुल्फ स्टेट के तौर पर भी जाना जाता है. दरअसल देश में सबसे ज्यादा वुल्फ मध्यप्रदेश में पाए जाते हैं और मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा नौरादेही अभ्यारण्य में पाए जाते हैं. इसके अलावा राजस्थान और गुजरात में भी काफी संख्या में भेड़िये पाए जाते हैं. एक अनुमान के मुताबिक, नौरादेही अभ्यारण्य में हजार के करीब वुल्फ होंगे. मध्यप्रदेश के नौरादेही के अलावा गुजरात के भावनगर स्थित बेला वढ़ार अभ्यारण्य में भी भेड़िये पाए जाते हैं. इसके अलावा राजस्थान में भी भारतीय भेड़िये पाये जाते हैं. अन्य जगहों पर भी भारतीय ग्रे नस्ल के भेड़िये पाए जाते हैं, लेकिन उनकी संख्या काफी कम है.

MP Research On Wolf
नौरादेही अभ्यारण में पाये जाते हैं सबसे ज्यादा भेड़िये

सरकार ने स्वीकृत किया भेडियों पर शोध का प्रस्ताव: दरअसल नौरादेही के इंडियन ग्रे वुल्फ पर शोध का प्रस्ताव सरकार के पास भेजा गया था, जिसको हाल ही में स्वीकृति मिल गयी है. इस प्रस्ताव के तहत जबलपुर में स्थित राज्य वन अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिक करेंगे. रिसर्च के लिहाज से नौरादेही वन्यजीव अभ्यारण्य काफी अच्छा माना गया है, क्योंकि यहां पर इनकी संख्या काफी ज्यादा है. राज्य वन अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिक दो साल तक इंडियन ग्रे वुल्फ के रहवास, भोजन, शिकार, प्रजनन और उनकी बसाहट के साथ उनके व्यवहार पर शोध करेंगे. इसके अलावा जंगल में मौजूद जानवरों के साथ उनके संबंध और व्यवहार पर भी शोध किया जाएगा. नौरादेही वन्यजीव अभ्यारण्य के डीएफओ डॉ एए अंसारी ने बताया कि ''जल्द ही यह रिसर्च शुरू की जाएगी.''

MP Research On Wolf
छोटे जानवरों का शिकार करता है भेड़िया

Also Read:

क्यों जरूरी है वुल्फ पर रिसर्च: इंडियन ग्रे वुल्फ पर नौरादेही अभ्यारण्य में शुरू की जा रही रिसर्च वन्य जीव और वन प्रबंधन के लिए काफी महत्वपूर्ण है. क्योंकि जंगल की खाद्य श्रृंखला के लिहाज से इंडियन ग्रे वुल्फ की भूमिका काफी महत्वपूर्ण है. फुड साइकिल में वुल्फ दूसरे स्थान पर आता है. खास बात ये है कि भेड़िया को वन्य प्राणी समुदाय में एक सफाईकर्मी की भूमिका के रूप में देखा जाता है. क्योंकि मांसाहारी जीवों के तौर पर ये छोटे जानवरों का शिकार कर भोजन बनाता है. जहां तक भेड़िए की बात करें, तो इसे वन्य जीवों की कैनिडाए फैमिली में शामिल किया गया है. जिस तरह शेर, बाघ, तेंदुआ और बिल्ली को कैट फैमिली में माना जाता है. कैनिडाए फैमिली में भेडिया के अलावा सियार, लोमड़ी और जंगली कुत्ता शामिल हैं. नौरादेही की विशेषता ये है कि यहां पर कैनिडाए फैमिली के चारों सदस्य पाए जाते हैं. सियार और जंगली कुत्ता तो आसानी से देखने मिल जाता है. लेकिन भेड़िए को जंगल में तलाश करना होता है. दुनिया भर में कैनिडाए फैमिली के सदस्यों की करीब 40 प्रजातियां पायी जाती हैं. जिनमें नौरादेही वन्य जीव अभ्यारण्य में इंडियन ग्रे वुल्फ पायी जाती है.

MP Research On Wolf
इंडियन ग्रे वुल्फ

भेड़ियों पर शोध से जंगल को क्या फायदा: रिसर्च की जरूरत और रिसर्च से मिलने वाले फायदे को लेकर नौरादेही वन्यजीव अभ्यारण्य के डीएफओ डॉ एए अंसारी ने बताया कि ''वन्य प्राणी अभ्यारण्य में जानवरों का प्राकृतिक आवास कैसा होना चाहिए और उनके प्रबंधन के लिए हम बेहतर क्या कर सकते हैं. इसके लिए दो तीन चीजें जानना बहुत जरूरी होता है कि उनका भोजन क्या है, उनका शिकार का तौर तरीका क्या है और उनका प्रजननकाल कब और कैसा है. जब हमें इन बातों की जानकारी होती है, तो हम संबंधित जीव के संरक्षण के लिए बेहरत योजना तैयार कर पाते हैं. इसके जरिए अभ्यारण्य में रहने वाले इंडियन ग्रे वुल्फ की विस्तृत जानकारी वैज्ञानिक जुटाएंगे और फिर हम उनके संरक्षण और प्राकृतिक आवास को विकसित करने की योजना पर काम करेंगे.''

नौरादेही अभ्यारण में भेड़ियों पर होगी रिसर्च

सागर। प्रदेश के सबसे बडे टाइगर रिजर्व का दर्जा हासिल करने की तैयारियों में जुटा नौरादेही अभ्यारण्य मध्यप्रदेश का ऐसा अभ्यारण्य है, जिसकी पहले मूल पहचान भारतीय भेडियों के प्राकृतिक आवास के रूप में थी (MP Wolf State). यही वजह थी कि कूनो से पहले यहां अफ्रीकन चीते लाए जाने की योजना थी. लेकिन बाद में टाइगर रिजर्व के रूप में स्थापित करने का फैसला किया गया, जो प्रदेश का सबसे बडा टाइगर रिजर्व होगा. फिलहाल नौरादेही अभ्यारण्य में इंडियन ग्रे नस्ल के भेडियों पर दो साल की रिसर्च शुरू की जा रही है. जिसमें जबलपुर स्थित राज्य वन अनुसंधान संस्थान जबलपुर के वैज्ञानिक शोध करेंगे. इस शोध में भेडियों की गतिविधियों, भोजन और अन्य गतिविधियों की बारीकी से जांच की जाएगी. गौरतलब है कि खाद्य श्रृंखला के मांसाहारी जीवों में भेड़िया दूसरे पायदान पर है, जो छोटे जानवरों का शिकार करता है. मध्यप्रदेश में नौरादेही अभ्यारण्य ऐसी जगह है, जहां सबसे ज्यादा भारतीय भेड़िया पाए जाते हैं, इसलिए ये शोध यहीं शुरू किया जा रहा है.

Research on wolves in Nauradehi Sanctuary
वुल्फ स्टेट कहलाता है एमपी

मध्यप्रदेश को हासिल है वुल्फ स्टेट का दर्जा: आमतौर पर लोग जानते हैं कि मध्यप्रदेश की पहचान एक टाइगर स्टेट के रूप में है. लेकिन टाइगर स्टेट के अलावा मध्यप्रदेश को वुल्फ स्टेट के तौर पर भी जाना जाता है. दरअसल देश में सबसे ज्यादा वुल्फ मध्यप्रदेश में पाए जाते हैं और मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा नौरादेही अभ्यारण्य में पाए जाते हैं. इसके अलावा राजस्थान और गुजरात में भी काफी संख्या में भेड़िये पाए जाते हैं. एक अनुमान के मुताबिक, नौरादेही अभ्यारण्य में हजार के करीब वुल्फ होंगे. मध्यप्रदेश के नौरादेही के अलावा गुजरात के भावनगर स्थित बेला वढ़ार अभ्यारण्य में भी भेड़िये पाए जाते हैं. इसके अलावा राजस्थान में भी भारतीय भेड़िये पाये जाते हैं. अन्य जगहों पर भी भारतीय ग्रे नस्ल के भेड़िये पाए जाते हैं, लेकिन उनकी संख्या काफी कम है.

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नौरादेही अभ्यारण में पाये जाते हैं सबसे ज्यादा भेड़िये

सरकार ने स्वीकृत किया भेडियों पर शोध का प्रस्ताव: दरअसल नौरादेही के इंडियन ग्रे वुल्फ पर शोध का प्रस्ताव सरकार के पास भेजा गया था, जिसको हाल ही में स्वीकृति मिल गयी है. इस प्रस्ताव के तहत जबलपुर में स्थित राज्य वन अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिक करेंगे. रिसर्च के लिहाज से नौरादेही वन्यजीव अभ्यारण्य काफी अच्छा माना गया है, क्योंकि यहां पर इनकी संख्या काफी ज्यादा है. राज्य वन अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिक दो साल तक इंडियन ग्रे वुल्फ के रहवास, भोजन, शिकार, प्रजनन और उनकी बसाहट के साथ उनके व्यवहार पर शोध करेंगे. इसके अलावा जंगल में मौजूद जानवरों के साथ उनके संबंध और व्यवहार पर भी शोध किया जाएगा. नौरादेही वन्यजीव अभ्यारण्य के डीएफओ डॉ एए अंसारी ने बताया कि ''जल्द ही यह रिसर्च शुरू की जाएगी.''

MP Research On Wolf
छोटे जानवरों का शिकार करता है भेड़िया

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क्यों जरूरी है वुल्फ पर रिसर्च: इंडियन ग्रे वुल्फ पर नौरादेही अभ्यारण्य में शुरू की जा रही रिसर्च वन्य जीव और वन प्रबंधन के लिए काफी महत्वपूर्ण है. क्योंकि जंगल की खाद्य श्रृंखला के लिहाज से इंडियन ग्रे वुल्फ की भूमिका काफी महत्वपूर्ण है. फुड साइकिल में वुल्फ दूसरे स्थान पर आता है. खास बात ये है कि भेड़िया को वन्य प्राणी समुदाय में एक सफाईकर्मी की भूमिका के रूप में देखा जाता है. क्योंकि मांसाहारी जीवों के तौर पर ये छोटे जानवरों का शिकार कर भोजन बनाता है. जहां तक भेड़िए की बात करें, तो इसे वन्य जीवों की कैनिडाए फैमिली में शामिल किया गया है. जिस तरह शेर, बाघ, तेंदुआ और बिल्ली को कैट फैमिली में माना जाता है. कैनिडाए फैमिली में भेडिया के अलावा सियार, लोमड़ी और जंगली कुत्ता शामिल हैं. नौरादेही की विशेषता ये है कि यहां पर कैनिडाए फैमिली के चारों सदस्य पाए जाते हैं. सियार और जंगली कुत्ता तो आसानी से देखने मिल जाता है. लेकिन भेड़िए को जंगल में तलाश करना होता है. दुनिया भर में कैनिडाए फैमिली के सदस्यों की करीब 40 प्रजातियां पायी जाती हैं. जिनमें नौरादेही वन्य जीव अभ्यारण्य में इंडियन ग्रे वुल्फ पायी जाती है.

MP Research On Wolf
इंडियन ग्रे वुल्फ

भेड़ियों पर शोध से जंगल को क्या फायदा: रिसर्च की जरूरत और रिसर्च से मिलने वाले फायदे को लेकर नौरादेही वन्यजीव अभ्यारण्य के डीएफओ डॉ एए अंसारी ने बताया कि ''वन्य प्राणी अभ्यारण्य में जानवरों का प्राकृतिक आवास कैसा होना चाहिए और उनके प्रबंधन के लिए हम बेहतर क्या कर सकते हैं. इसके लिए दो तीन चीजें जानना बहुत जरूरी होता है कि उनका भोजन क्या है, उनका शिकार का तौर तरीका क्या है और उनका प्रजननकाल कब और कैसा है. जब हमें इन बातों की जानकारी होती है, तो हम संबंधित जीव के संरक्षण के लिए बेहरत योजना तैयार कर पाते हैं. इसके जरिए अभ्यारण्य में रहने वाले इंडियन ग्रे वुल्फ की विस्तृत जानकारी वैज्ञानिक जुटाएंगे और फिर हम उनके संरक्षण और प्राकृतिक आवास को विकसित करने की योजना पर काम करेंगे.''

Last Updated : Jul 27, 2023, 12:55 PM IST
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