दमोह। गंगा जमुना स्कूल के पोस्टर में हिंदू छात्राओं को हिजाब में दिखाए जाने से लेकर शुरू हुआ विवाद लगातार बढ़ता जा रहा है. अब यह पूरा मामला धर्मांतरण से जुड़ चुका है. सवाल इस बात को लेकर उठ रहे हैं कि पिछले कई वर्षों से संचालित इस स्कूल का आखिर एक भी बार निरीक्षण तथा दस्तावेजों की जांच क्यों नहीं की गई ? इसके लिए सीधे तौर पर शिक्षा विभाग को जिम्मेदार माना जा रहा है. अब इस मामले में धर्मांतरण को लेकर सवाल उठ रहे हैं. दरअसल कलेक्टर कार्यालय सफाई पेश करने पहुंची स्कूल की 3 महिला शिक्षकों ने खुलासा किया कि उन्होंने स्वेच्छा से धर्मांतरण किया है. जबकि छात्राओं ने उनके इस दावे की पोल खोल दी है. छात्राओं का कहना है कि उनसे जबरन नमाज पढ़वाई जाती थी. शिक्षिका अनीता यदुवंशी ने तौसीफ खान, तबस्सुम बानो ने साबिर अली से निकाह किया था. इसी तरह दीप्ति श्रीवास्तव ने भी प्रेम प्रसंग के चलते निकाह करने की बात कही है.
मर्जी से किया निकाह: स्कूल की शिक्षिका तबस्सुम बानो उर्फ प्राची जैन ने बताया की 2004 में उन्होंने निकाह किया था. यह निकाह अपनी मर्जी से किया था तभी से वह मुस्लिम बन गई. किसी की मर्जी से धर्मांतरण नहीं किया. उन्होंने उल्टा मीडिया को ही इस मामले में जिम्मेदार बताते हुए कहा कि आप लोग बार-बार परेशान कर रहे हैं जबकि निकाह होने के बाद उन्होंने स्कूल ज्वॉइन किया था. इसमें स्कूल के डायरेक्टर हाजी साहब का कोई लेना देना नहीं है. जब मैं बालिग हो गई थी तब मैंने मर्जी से निकाह किया था.
मर्जी से किया धर्मांतरण: एक अन्य शिक्षिका अनीता खान और अनीता यदुवंशी ने बताया कि उन्होंने अपनी शिक्षा से मुस्लिम लड़के से 2013 में शादी की थी जबकि स्कूल ज्वॉइन 2021 में किया था. इस पूरे मामले में हाजी इदरीश खान का कोई लेना देना नहीं है. शिक्षिका ने आरोप लगाया कि बाल कल्याण समिति से जुड़े दीपक तिवारी मेरा नाम बार-बार अनीता यादव लिख रहे हैं जबकि मैं यदुवंशी थी. जब आप दस्तावेजों की जांच कर रहे हैं तो अच्छे से जांच करें. उसने कहा कि विक्रम साहू जो हम लोगों की बारे में कुछ जानता नहीं है उसको हमारे बारे में कुछ कहने का क्या हक है. वह धर्म परिवर्तन के बारे में कुछ जानता नहीं है धर्मांतरण करने का हमारा व्यक्तिगत निर्णय था.
प्राचार्य ने बताया आरोप को निराधार: स्कूल की प्रिंसिपल अफशा शेख उर्फ दीप्ति श्रीवास्तव ने खुलासा किया कि जो आरोप हम लोगों पर लगाए जा रहे हैं, स्कूल के डायरेक्टर पर जो आरोप लगाए जा रहे हैं वह बिल्कुल निराधार है. स्कूल 10 साल पहले शुरू हुआ जबकि मेरी बेटी 21 साल की है. मेरे बच्चे बड़े बड़े हैं. धर्म परिवर्तन करने को लेकर स्कूल का उन पर कोई दबाव नहीं था.
अरबी और उर्दू की पढ़ाई : छात्रा ने बताया कि स्कूल में उन लोगों से शुक्रवार के दिन जबरन नमाज पढ़ाई जाती थी जो नहीं पढ़ता था उसकी पिटाई की जाती थी. पहले हिंदी सब्जेक्ट था ही नहीं, अरबी और उर्दू पढ़ाई जाती थी, जिससे हम लोग हिंदी भूलने लगे. बाद में थोड़ी थोड़ी हिंदी पढ़ाई जाने लगी. मैडम ने कहा कि घर में पढ़ाई किया करो जब हम घर में अरबी उर्दू पढ़ रहे थे तो मम्मी ने डांट लगाई. सब मैडम ने कहा कि चोरी से पढ़ा करो. छात्रों ने बताया कि बिस्मिल्लाहो इल लिल्लाहो रसूल ईल्लाह, नमाज करवाई जाती थी. जब स्कूल में हम जन मन गण प्रार्थना करते थे, तब स्कूल वाले हमसे लव पर बनकर आती है दुआ कराते थे.
नमाज न पढ़ने पर होती थी पिटाई: इसी तरह एक अन्य छात्र ने बताया कि उससे भी नमाज पढ़वाई जाती थी. छात्र ने 'बिस्मिल्लाह-ए-रहमान-ए-रहीम' को पूरा पढ़कर बताते हुए कहा कि यह नमाज सभी बच्चों से पढ़वाई जाती थी. जब बच्चे से पूछा गया कि वह हिंदू है या मुसलमान तो उसने कहा कि वह हिंदू है और उसे हनुमान चालीसा भी आता है. उसने हनुमान चालीसा की कुछ पंक्तियां भी सुनाई. छात्र ने बताया कि जिन बच्चों से नमाज नहीं बनती थी उन्हें मैडम छड़ी से मारती थी.