छतरपुर। मध्य प्रदेश के पूर्व गृहमंत्री रामदयाल अहिरवार का आज सुबह 10 बजे निधन हो गया है, उन्होंने 90 साल की उम्र में आखिरी सांस ली. इस बीच प्रदेश से बहुत ही शर्मनाक सामने आई, वो यह कि मध्य प्रदेश में बीजेपी सरकार के रहते रामदयाल अहिरवार एक बार गृहमंत्री, 2 बार मंत्री और 6 बार दलित विधायक का बड़ा चेहरा रहे हैं, बावजूद इसके उनके अंतिम संस्कार पर कोई नेता नहीं पहुंचा. यहां तक कि रामदयाल अहिरवार के शव को उनके गृह नगर महाराजपुर ले जाने के लिए कोई एंबुलेंस नहीं मिली, इसके बाद परिजनों ने 2200 रुपये को देकर शव वाहन बुलाया, तब कहीं जाकर शव को महाराजपुर ले जाया गया.
नहीं मिला शव वाहन, 2200 रुपये में मंगाई एंबुलेंस: रामदयाल अहिरवार का आज सुबह 10 बजे निधन हो गया था, वह अपने अंतिम समय में छतरपुर में छोटे बेटे के घर पर थे, उन्होंने वहीं पर आज अंतिम सांस ली. इसके बाद उनके शव को छतरपुर जिला मुख्यालय से 22 किलोमीटर उनके गृह नगर महाराजपुर ले जाना था, वहीं उनका अंतिम संस्कार होना था, लेकिन सरकार की ओर से कोई शव वाहन या एंबुलेंस की व्यवस्था नहीं कराई गई. इसके बाद परिजनों ने 2200 रुपये देकर शव वाहन मंगवाया, इसके बाद शव महाराजपुर पहुंचा.
भारतीय जनता पार्टी का दोहरा चरित्र उजागर: रामदयाल अहिरवार के पुत्रों और बहू ने दो टूक कहा कि "भाजपा के पदाधिकारी और सरकार बेहद लापरवाह है, दुख की इस घड़ी में वह हमारे साथ नहीं है. जबकि हमारे पिता ने जनसंघ से लेकर भाजपा में अपना जीवन न्योछावर कर दिया. उनके (रामदयाल अहिरवार) शव को महाराजपुर में अंत्येष्टि हेतु पहुंचाया जाना था, जिसके लिए हमें प्रशासन से शव वाहन तक नहीं मिला. हमने उनके शव के लिए 2200 रुपये में शव वाहन बुलावाया, इसके बाद हम महाराजपुर पहुंच सके. भारतीय जनता पार्टी के संगठन में भूमिका निभाने वाले हमारे पिता रामदयाल अहिरवार महाराजपुर विधानसभा के वरिष्ठ नेता, 6 बार विधायक और दो बार मंडी अध्यक्ष रहे, लेकिन उनके आखिरी समय पर कोई भी नेता श्रद्धांजलि देने नहीं पहुंचा, यह भारतीय जनता पार्टी का दोहरे चरित्र को उजागर करता है."
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कांग्रेस ने भाजपा सरकार पर साधा निशाना: भाजपा के वरिष्ठ नेता के निधन की खबर और कथित जानकारी लगाने पर छतरपुर विधायक आलोक चतुर्वेदी और बुंदेलखण्ड क्षेत्र में कांग्रेस पार्टी की वरिष्ठ नेत्री दीप्ति पांडे को लगी तो उन्होंने अपनी प्रतिक्रिया ज्ञापित करते हुए कहा कि "यह अमानवीय व्यवहार है, राजनीतिक दल किसी का भी हो, लेकिन लंबे समय तक जनता के बीच कार्य करने वाले एक वरिष्ठ नेता के निधन उपरांत भी यदि सरकार शव वाहन भी उपलब्ध नहीं करा सकती, तो निश्चित रूप से इस सरकार की लापरवाई और नाकामी माना जायेगा. इससे सिद्ध होता है कि भाजपा की कथनी और करनी में कितना अंतर है."