भोपाल। मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए 21 अक्टूबर को आचार संहित लागू हुई. इसके बाद आयोग द्वारा गठित की गई निगरानी दलों और पुलिस की संयुक्त कार्रवाई में पिछले 25 दिनों में 331 करोड़ रुपये से ज्यादा की सामग्री जब्त की गई. इसमें 38 करोड़ से ज्यादा की नगदी है. मुख्य चुनाव पदाधिकारी के मुताबिक जब्ती का यह आंकड़ा पिछले चुनाव 2018 से चार गुना है. दरअसल, चुनाव में काले धन का जमकर उपयोग होता है. इस वजह से कैश एक स्थान से दूसरे स्थान पहुंचाया जाता है, जिसका उपयोग चुनाव में किया जा सके.
ये है पूरी कार्रवाई का ब्यौरा : काले धन को रोकने के लिए चुनाव आयोग ने प्रदेश के सीमावर्ती इलाकों सहित प्रदेश भर में अलग-अलग स्थानों पर निगरानी चौकियां स्थापित की. इसके अलावा आयकर विभाग, ईडी को भी ऐसे मामलों में कार्रवाई के लिए निर्देश दिए जाते हैं. मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में 331 करोड़ से ज्यादा की सामग्री की जब्ती की जा चुकी है. इसमें नकद राशि 38.49 करोड, अवैध शराब 62.9 करोड़, मादक पदार्थ 17.2 करोड़ अमूल्य धातु 92.74 करोड और अन्य सामग्री 121.61 करोड़ सहित कुल 331.97 करोड़ रुपए की जब्ती की जा चुकी है. प्रदेश में सबसे ज्यादा जब्ती अवैध शराब और अमूल्य धातु की हुई है. जबकि 2018 के विधानसभा को देखा जाए तो जब्ती का यह आंकड़ा तीन गुना है.
800 से ज्यादा नाकों पर कार्रवाई : साल 2018 में आचार संहिता के दौरान 72 करोड़ 93 लाख रुपए की कार्रवाई की गई थी. मुख्य चुनाव पदाधिकारी अनुपन राजन कहते हैं कि प्रदेश में भयमुक्त और निष्पक्ष चुनाव के लिए प्रदेश भर में इस बार कड़ी कार्रवाई की गई है. प्रदेश में करीब 2 लाख लोगों पर प्रतिबंधात्मक कार्रवाई की गई. 2 लाख 85 हजार लाइसेंसी हथियारों को थाने में जमा कराया गया. प्रदेश में अवैध धन और अन्य सामग्रियों के चुनाव में उपयोग रोकने के लिए 800 से ज्यादा नाके स्थापित किए गए और लगातार चैकिंग की गई. यही वजह है कि इस बार 331 करोड़ से ज्यादा की जब्ती की गई है. कोशिश सिर्फ एक है कि मतदाता बिना दवाब और बिना प्रभाव में आए मतदान करें.
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जब्त सामग्री का क्या होता है : उधर, पूर्व चुनाव आयुक्त ओपी रावत चुनावों में काले धन के बढ़ते उपयोग को लेकर चिंता जाहिर करते हैं. वे कहते हैं कि जिस तरह की जब्ती में बढ़ोत्तरी हुई है, वह चिंताजनक है, क्योंकि यह बताता है कि चुनावों में अवैध धन, शराब का उपयोग हो रहा है. बता दें कि चुनाव के दौरान जब्त होने वाले कैश, शराब को आयकर विभाग को सौंप दिया जाता है. बाद में संबंधित व्यक्ति को आयकर विभाग को बताना होता है कि वह पैसा उसी का है. इसके लिए उसे सबूत के तौर पर कैश का रिकॉर्ड जैसे बैंक ट्रांजेक्शन, बैंक की रसीद या पासबुक एंट्री आदि बतानी होती है. यदि व्यक्ति कैश का संतोषजनक जवाब देने में सफल होता है तो उसे दे दिया जाता है. अन्यथा यह कैश सरकारी खजाने में जमा हो जाता है. इसके अलावा जब्त होने वाली शराब को नष्ट कर दिया जाता है.