भोपाल। एमपी के विधानसभा चुनाव में जिस समय हिंदुत्व की एंट्री हो चुकी है. उस समय एमपी की एक ऐसी विधानसभा सीट जहां चुनाव ही भगवा का है. छतरपुर की बड़ा मलहरा सीट गढ़ है बीजेपी की फायर ब्रांड लीडर और बीजेपी में हिंदुत्व का सबसे बड़ा और प्रमाणित चेहरा उमा भारती का...और कांग्रेस ने इस सीट से उतारा है साध्वी राम सिया भारती को. लोधी समाज इस सीट पर निर्णायक है. बीजेपी ने इस सीट से प्रद्युम्न सिंह लोधी को मौका दिया है. यहां चुनाव में मुख्य मुकाबला बेशक कांग्रेस और बीजेपी के बीच है. लेकिन बड़ा सवाल ये है कि क्या बड़ा मलहरा एक नई साध्वी को अपनाएगा...जिताएगा...
बड़ा मलहरा में साध्वी...लेकिन उमा भारती नहीं: बड़ा मलहरा के चुनाव में भगवा का रंग फिर लौटा है. लेकिन इस सन्यासी बाने में इस बार उमा भारती नहीं है. कांग्रेस ने इस सीट से राम सिया भारती को अपना उम्मीदवार बनाया है. जो भागवत कथाओं के जरिए यहां अपनी सियासी जमीन मजबूत करती रही हैं. राम सिया भारती उसी आस्था की डोर को थामे अपने मतदाताओं तक पहुंचती हैं और प्रवचन के अंदाज में ही भाषण देते हुए कहती हैं कि कांग्रेस का सत्ता में आना क्यों जरूरी है. वो एक सांस में कांग्रेस के राज में किसानों को दी जाने वाली सुविधाओं का जिक्र करती हैं. बताती हैं ''कांग्रेस के वचन पत्र किस तरह से किसान, नौजवान हर वर्ग का ख्याल रखा गया है.'' फिर बीजेपी उम्मीदवार प्रद्युम्न सिंह लोधी का नाम लिए बगैर कहती हैं ''बड़ा मलहरा में जितना भ्रष्टाचार हुआ है. हम सब उसके गवाह और शिकार रहे हैं. इसलिए जनता अब इसका निश्चित जवाब देगी.''
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प्रद्युम्न सिंह लोधी उमा के भरोसे: 2020 उपचुनाव में कांग्रेस छोड़कर बीजेपी से चुनाव जीते प्रद्युम्न सिंह लोधी को भरोसा है कि इस इलाके में उमा भारती का तिलिस्म उनकी भी नैया पार लगवाएगा. वैसे भले बीजेपी के स्टार प्रचारकों की सूची से उमा भारती गायब हों लेकिन प्रद्युम्न सिंह लोधी के इलाके में उमा भारती सबसे बड़ी प्रचारक हैं. उन्हें लोधी ने ही इस ढंग से प्रचारित किया है बड़ा मलहरा सीट पर चुनाव साध्वी के मुकाबले साध्वी का हो गया है. हालांकि खुद प्रद्युम्न सिंह लोधी से मीडिया ने जब इस बारे में सवाल किया तो उन्होंने कहा कि राम सिया कभी उमा भारती की जगह नहीं ले सकतीं.
बड़ा मलहरा की जीत ने बदली थी एमपी की सियासी तासीर: 2003 के विधानसभा चुनाव में इसी बड़ा मलहरा सीट से उमा भारती विधानसभा चुनाव जीत कर एमपी की पहली महिला मुख्यमंत्री बनी थीं. 2020 में दूसरी बार ये सीट तब फिर सुर्खियों में आई जब यहां से प्रद्युम्न सिंह लोधी ने कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थामा. 2018 में कांग्रेस से चुनाव जीते प्रद्युम्न सिंह लोधी कमलनाथ सरकार गिरने पर रोए भी थे लेकिन 2020 में उन्होंने बीजेपी ज्वाइन कर ली. उपचुनाव में प्रद्युम्न सिंह लोधी को जीत भी मिली.