भोपाल। एमपी में विधानसभा चुनावों से पहले कथावाचकों ने पूरा सियासी माहौल बना दिया है. बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र शास्त्री से लेकर पंडोखर सरकार तक सभी का एक न एक दिन बड़ा बयान लगातार आ रहा है. अपने बयानों को लेकर ये कथावाचक लगातार सुर्खियों में छाए हुए हैं. इसी बीच कथावाचक देवकी नंदन ठाकुर ने भी एमपी में एक बार फिर लैंडिंग कर ली है. राजधानी भोपाल में आयोजित कथा में कथा वाचक देवकी नंदन ठाकुर ने एक बार फिर बड़ा बयान दे डाला है. एक ही मंच पर आए पंडित धीरेंद्र शास्त्री और कथावाचक देवकी नंदन ठाकुर ने लोगों से मथुरा में मंदिर बनवाने को लेकर साथ देने की अपील की है. दोनों कथावाचकों ने भोपाल से नारा दिया है कि राम मंदिर से संतुष्ट मत होना, मथुरा-काशी अभी बांकी है.
मथुरा काशी अभी बाकी है: कथावाचक देवकी नंदन ठाकुर ने भी विवादित बयान दे डाला है. भोपाल में जारी कथा में देवकी नंदन ठाकुर ने कहा कि 25 साल बाद जरूरी नहीं की हम कथा करते रहें, हम खुली हवा में सांस लेते रहें. देवकी नंदन ने कहा कि हिंदू बहुसंख्यक हो इसके लिए जनसंख्या नियंत्रण कानून जरूरी है. राम मंदिर और मथुरा को लेकर देवकी नंदन ने कहा कि राम मंदिर से संतुष्ट मत होना, मथुरा काशी अभी बाकी है. मैं अपने जीते जी मथुरा काशी में मंदिर बनवा कर रहूंगा. कथा वाचक ने कहा कि मैं बहुत जल्द मथुरा के लिए बड़ा आंदोलन करूंगा. देवकी नंदन ठाकुर ने भी लोगों से आंदोलन में साथ देने की अपील की है. कथावाचक ने कहा कि हिंदुओं को जगाना हमारा परम कर्तव्य है, हिंदुओं के लिए हिंदू राष्ट्र जरूरी है.
जो राम के नहीं वो किसी काम के नहीं: पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने एक बार फिर बड़ा बयान दिया है. पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने मथुरा आंदोलन में हिस्सा लेने के लिए पूरे विश्व के कृष्ण भक्तों से सहयोग की अपील है. धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि सभी सनातनी देवकी नंदन जी के मथुरा आंदोलन में हिस्सा लें. जो साथ देंगे उनका स्वागत है, जो साथ न दें उनकी ठठरी. जो राम के नहीं वो किसी काम के नहीं. इस मौके पर पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने बिना नाम लिए नेताओं पर भी तंज कसा है. शास्त्री ने कहा कि आज कल के लोग राम को छिपाकर खुद छप जाते हैं. सच्चा भक्त वो जो राम का छपवा कर खुद छिप जाए.
बहरहाल देखना यह होगा कि देवकी नंदन ठाकुर महाराज का मथुरा के लिए आगामी आंदोलन किस स्तर पर होगा. क्या यह वाकई हिंदुओं पुरातन धार्मिक स्थलों की मुक्ति में मील का पत्थर साबित होगा या यह सिर्फ पांच राज्यों में इस साल होने वाले चुनावों और अगले साल होने वाले आम चुनावों के पहले माहौल बनाने की कोई रणनीति बन कर रह जाएगा.