भोपाल। विधानसभा चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस की महिलाएं ही नैया पार लगाएंगी. प्रदेश में महिलाएं सिर्फ कहने के लिए आधी आबादी नहीं हैं, बल्कि मतदाता के तौर पर भी सरकार बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं. सूबे में महिला मतदाताओं की संख्या करीब 2 करोड़ 60 लाख हैं. आदिवासी क्षेत्र की कई विधानसभा तो ऐसी है, जहां महिला मतदाताओं की संख्या पुरूषों से ज्यादा है. इसको देखते हुए शिवराज सरकार लाडली बहना योजना के बाद अब आदिवासी और एससी-एसटी वर्ग की महिलाओं को साड़ियां बांटने जा रही है.
अब आदिवासी महिलाओं पर फोकस: लाडली बहना योजना के बाद अब शिवराज सरकार आदिवासी, एससी, एसटी वर्ग की महिलाओं को साड़ियां बांटने जा रही है. लघु वनोपज संघ द्वारा यह साड़ियां 20 लाख तेंदूपत्ता संग्राहकों को साड़ियों बांटी जाएंगी. इसके अलावा जूता, पानी की बॉटल और छाता भी दिया जाएगा. इसके लिए करीब 225 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे. इसके जरिए सरकार आदिवासी, एससी, एसटी वर्ग की महिलाओं को साधेगी. सरकार अगले माह से आयोजन कर इसका वितरण शुरू कराएगी. लघु वनोपज संघ के एमडी पुष्कर सिंह के मुताबिक इसको लेकर तैयारियां पूरी कर ली गई हैं. सामग्री की गुणवत्ता का खास ख्याल रखा जा रहा है. दरअसल पिछले विधानसभा चुनाव में तेंदुपत्ता संग्राहकों को बांटी गई चप्पलों को लेकर कांग्रेस ने खूब हल्ला मचाया था, इसलिए इस बार बांटे जाने वाले सामानों की संबंधित संस्थानों से जांच कराई जाएगी. उधर इसको लेकर कांग्रेस प्रवक्ता स्वदेश शर्मा ने आरोप लगाया कि पिछले चुनाव में बीजेपी ने कैंसर वाली चप्पलें बांटी थी, इस बार भी साड़ियां भी घटिया स्तर की ही होंगी. उन्होंने कहा कि यह सिर्फ बीजेपी का चुनावी लॉलीपॉप है.
शिवराज ने इन योजनाओं से जोड़ी आधी आबादी: महिला वर्ग को साधने के लिए शिवराज सरकार द्वारा इसके पहले लाडली बहना योजना भी लांच की जा चुकी है. ट्रंप कार्ड मानी जा रही इस योजना से 1 करोड़ 25 लाख महिलाओं को जोड़ा है. जिनके खातों में 10 जून से पैसे भेजने का सरकार दावा कर रही है.
- महिला स्व सहायता समूहों के जरिए ग्रामीण इलाकों की महिलाओं को जोड़ने का काम किया गया है. प्रदेश में करीब 4 लाख स्व सहायता समूह से 45 लाख महिलाओं को जोड़ा गया है.
- प्रदेश में लाडली लक्ष्मी योजना से 44 लाख से ज्यादा बेटियों को लाभांवित किया गया है. सरकार ने हाल में लाडली लक्ष्मी योजना 2.0 लांच की है.
इसलिए महिला वर्ग पर बढ़ा फोकस: दरअसल माना जाता है कि प्रदेश में चुनाव में जीत की राह आदिवासी और एससी-एसटी के द्वार से होकर ही गुजरती है, लेकिन इस बार बीजेपी ने इन वर्ग से ज्यादा महिला वर्ग पर अपना फोकस बढ़ाया है. आखिर ऐसा क्यों है... इसे इन आंकड़ों से समझा जा सकता है. प्रदेश में कुल मतदाताओं की संख्या 5 करोड़ 39 लाख है. इसमें पुरूष मतदाताओं की संख्या 2 करोड़ 79 लाख, जबकि महिला मतदाताओं की संख्या 2 करोड़ 60 लाख है. यही नहीं प्रदेश में इस बार 41 जिलों में महिला मतदाताओं की संख्या पुरूषों के मुकाबले ज्यादा है. प्रदेश में करीब 17 विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं, जहां पुरूष मतदाता के मुकाबले महिला मतदाता ज्यादा है.
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इन जिलों में महिला मतदाता ज्यादा: इसमें मंडला, डिंडोरी, बैहर, बालाघाट, बरघाट, वारासिवनी, परसवाड़ा, अलीराजपुर, पानसेमल, झाबुला, जोबट, थांदला, सरदारपुर, सैलाना, पेटलावद, कुक्षी आदि शामिल है. महिलाओं का वोट प्रतिशत ही नहीं बढ़ा, बल्कि पिछले चुनावों में महिलाओं का मतदान का प्रतिशत भी बढ़ा है. 2018 में महिलाओं ने पिछले चुनावों की तुलना में 3 फीसदी ज्यादा मतदान किया था.