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जोंक थेरेपी से घुटने और त्वचा रोग का इलाज, भोपाल के असिस्टेंट प्रोफेसर अब्बास जैदी ने किया रिसर्च

अब जोंक थेरेपी से घुटने और त्वचा रोग का इलाज आसान हो गया है. भोपाल के असिस्टेंट प्रोफेसर अब्बास जैदी ने इस बारे में रिसर्च किया है. अगर आपको गैंग्रीन, हरपीज, दाद, जोड़ों में दर्द जैसे रोग हैं तो आपको घबराने की जरूरत नहीं है, क्योंकि यूनानी इलाज़ में जोंक थेरेपी के माध्यम से इन सभी बीमारियों का आसानी से इलाज हो रहा है. यह साबित हुआ है यूनानी चिकित्सा पद्धति में. leech therapy, Treatment of knee, skin diseases, Assistant professor Abbas zaidi, Researh in Bhopal

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Published : Sep 25, 2022, 1:54 PM IST

Updated : Sep 25, 2022, 2:05 PM IST

भोपाल : जोंक एक जलाशय जीव है, जिसको शरीर के उस भाग पर रखा जाता है जहां पर ट्रीटमेंट देना होता है. इसी को लेकर रिसर्च कर रहे अब्बास जैदी कई मरीजों पर इसका प्रयोग कर चुके हैं. अब्बास जैदी बताते हैं कि इससे कई मरीजों को फायदा मिला है. इन्होंने घुटने के मरीजों पर इसका रिसर्च किया है, जो हमदर्द यूनिवर्सिटी से भी अप्रूव हो चुका है. इस इलाज के लिए 50 मरीजों पर उन्होंने रिसर्च किया और सभी घुटने के दर्द के मरीज स्वस्थ हो गए.

ऐसे की जाती है थेरेपी : अब्बास बताते हैं कि जोंक को शरीर के उस स्थान पर रखा जाता है, जहां से खून चूसना होता है. यह उस निश्चित त्वचा को काटकर खून चूसना शुरू कर देती है. जब यह अपना पूरा काम कर लेती है तो इनके मुंह से निकलने वाला सलाइवा शरीर में खून को जमने नहीं देता. इससे खून निरंतर शरीर में चलता रहता है और वह स्थान, बॉडी का पार्ट गतिशील हो जाता है. जोंक थेरेपी के समय जोंक जिस तत्व को अपने मुंह से निकलती है, यह तत्व संचरण तंत्र में खून के थक्के को हटा देता है.

Physiotherapy Day : फिजियोथेरेपी का रोग उपचार में महत्व, Physiotherapy में ऐसे बनाएं करियर

इस ट्रीटमेंट को अप्रूवल मिल चुका है : अब्बास बताते हैं कि जर्मनी में इस को 2003 में अप्रूवल मिला था. उसके बाद से ही यह पूरी दुनिया भर में मशहूर हो गई, जो थेरेपी मूलतः भारतीय परंपरा से जुड़ी हुई है. इसका इलाज पुराने समय में होता था.अब्बास बताते हैं कि उन्होंने जब रिसर्च किया तो जिन मरीजों पर इसका ट्रीटमेंट किया, उनको चलने में परेशानी थी, घुटने के दर्द से वह परेशान थे. लेकिन जैसे-जैसे ट्रीटमेंट होता गया तो वह स्वस्थ हो गए और बेहतर परिणाम निकल कर सामने आए. इस थेरेपी में जोड़ों के दर्द में आराम मिलता है. अब्बास यूनानी मेडिकल कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं और इस थेरेपी के माध्यम से लोगों को इलाज भी कर रहे हैं. वह बताते हैं कि सरकारी अस्पताल में सिर्फ 400 से ₹500 में इस बीमारी का इलाज हो जाता है, जो थेरेपी की जाती है. leech therapy, Treatment of knee, skin diseases, Assistant professor Abbas zaidi, Researh in Bhopal

भोपाल : जोंक एक जलाशय जीव है, जिसको शरीर के उस भाग पर रखा जाता है जहां पर ट्रीटमेंट देना होता है. इसी को लेकर रिसर्च कर रहे अब्बास जैदी कई मरीजों पर इसका प्रयोग कर चुके हैं. अब्बास जैदी बताते हैं कि इससे कई मरीजों को फायदा मिला है. इन्होंने घुटने के मरीजों पर इसका रिसर्च किया है, जो हमदर्द यूनिवर्सिटी से भी अप्रूव हो चुका है. इस इलाज के लिए 50 मरीजों पर उन्होंने रिसर्च किया और सभी घुटने के दर्द के मरीज स्वस्थ हो गए.

ऐसे की जाती है थेरेपी : अब्बास बताते हैं कि जोंक को शरीर के उस स्थान पर रखा जाता है, जहां से खून चूसना होता है. यह उस निश्चित त्वचा को काटकर खून चूसना शुरू कर देती है. जब यह अपना पूरा काम कर लेती है तो इनके मुंह से निकलने वाला सलाइवा शरीर में खून को जमने नहीं देता. इससे खून निरंतर शरीर में चलता रहता है और वह स्थान, बॉडी का पार्ट गतिशील हो जाता है. जोंक थेरेपी के समय जोंक जिस तत्व को अपने मुंह से निकलती है, यह तत्व संचरण तंत्र में खून के थक्के को हटा देता है.

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इस ट्रीटमेंट को अप्रूवल मिल चुका है : अब्बास बताते हैं कि जर्मनी में इस को 2003 में अप्रूवल मिला था. उसके बाद से ही यह पूरी दुनिया भर में मशहूर हो गई, जो थेरेपी मूलतः भारतीय परंपरा से जुड़ी हुई है. इसका इलाज पुराने समय में होता था.अब्बास बताते हैं कि उन्होंने जब रिसर्च किया तो जिन मरीजों पर इसका ट्रीटमेंट किया, उनको चलने में परेशानी थी, घुटने के दर्द से वह परेशान थे. लेकिन जैसे-जैसे ट्रीटमेंट होता गया तो वह स्वस्थ हो गए और बेहतर परिणाम निकल कर सामने आए. इस थेरेपी में जोड़ों के दर्द में आराम मिलता है. अब्बास यूनानी मेडिकल कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं और इस थेरेपी के माध्यम से लोगों को इलाज भी कर रहे हैं. वह बताते हैं कि सरकारी अस्पताल में सिर्फ 400 से ₹500 में इस बीमारी का इलाज हो जाता है, जो थेरेपी की जाती है. leech therapy, Treatment of knee, skin diseases, Assistant professor Abbas zaidi, Researh in Bhopal

Last Updated : Sep 25, 2022, 2:05 PM IST
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