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पीएम मोदी से मिली सिंधिया फैमिली, क्या शुरू होगी महाआर्यमन की सियासी पारी ? - ग्वालियर

ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से दिल्ली में सपरिवार मुलाकात की थी. इस दौरान फोटो सेशन भी हुआ. इस मुलाकात के दौरान की एक तस्वीर ने ग्वालियर चंबल अंचल की सियासत में हलचल मचा दी है.

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Published : Apr 1, 2022, 8:48 PM IST

ग्वालियर. मध्यप्रदेश के ग्वालियर चंबल संभाग की सियासत में ज्योतिरादित्य सिंधिया की एक फैमिली फोटो ने हलचल मचा दी है. हलचल की वजह यह है कि इस फोटो में सिंधिया परिवार के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी हैं. इस तस्वीर में ज्योतिरादित्य के बेटे महाआर्यमन पीएम के बगल में खड़े हैं. यह फोटो बुधवार का है. दिल्ली में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने परिवार के साथ पीएम मोदी से मुलाकात की थी. अब इस तस्वीर के कई मायने निकाले जा रहे हैं. कयासबाजी का दौर भी शुरू हो गया है. अब चर्चा शुरू हो गई है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के बेटे महाआर्यमन या उनकी पत्नी प्रियदर्शनी राजे सिंधिया की 2023 के विधानसभा चुनाव या फिर 2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान राजनीति में एंट्री हो सकती है.

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बुधवार को दिल्ली में पीएम मोदी के साथ सिंधिया परिवार.

मुलाकात हुई, क्या बात हुई....

इस तस्वीर के मायने तलाशने वालों की नजर महाआर्यमन सिंधिया पर है. महाआर्यमन पीएम नरेंद्र मोदी के साथ आत्मीयता से खड़े नजर आ रहे हैं. पीएम भी उसी आत्मीयता से उनसे मिल रहे हैं. ग्वालियर चंबल संभाग में सिंधिया परिवार के प्रशंसकों का मानना है कि महाआर्यमन 26 साल के हो चुके हैं और राजनीति में एंट्री के लिए बिल्कुल तैयार है. इतनी ही उम्र में उनके दादा माधवराव सिंधिया लोकसभा चुनाव जीतकर सांसद बन गए थे, लिहाजा माना जा रहा है कि सिंधिया परिवार महाआर्यमन के जरिए 2024 के लोकसभा चुनाव में उतारकर इतिहास को दोहरा सकता है. 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान महाआर्यमन भी लगातार ग्वालियर की राजनीति में सक्रिय रहे हैं. हालांकि बीजेपी के नेता भी इसे सामान्य मुलाकात बता रहे हैं.

सिंधिया परिवार की राजनीतिक बैकग्राउंड के बारे में वरिष्ठ पत्रकार श्रीमाली की टिप्पणी.


बीजेपी में खास मुकाम पर है सिंधिया परिवार
मध्यप्रदेश की सियासत में खास रुतबा रखने वाली सिंधिया फैमिली की बीजेपी में भी अपनी अलग पहचान है. ज्योतिरादित्य से पहले भी परिवार के कई सदस्य बीजेपी के बड़े पदों पर रह चुके हैं. राजमाता विजयाराजे सिंधिया भारतीय जनता पार्टी की संस्थापक सदस्य रहीं है वहीं ज्योतिरादित्य सिंधिया की दोनों बुआ वसुंधरा राजे और यशोधरा राजे भी मुख्यमंत्री और मंत्री रहीं हैं. खुद ज्योतिरादित्य सिंधिया केंद्रीय मंत्री हैं.

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महाआर्यमन सिंधिया की फाइल फोटो.

ज्योतिरादित्य भी ज्यादा सक्रिय हैं
साल 2019 के लोकसभा चुनाव में गुना शिवपुरी से ज्योतिरादित्य सिंधिया चुनाव मैदान में थे. उस दौरान उनके बेटे महाआर्यमन और पत्नी प्रियदर्शनी राजे ने उनके चुनाव प्रचार की कमान संभाली थी, हालांकि सिंधिया चुनाव हार गए थे. उसके बाद से सिंधिया के बेटे महाआर्यमन सिंधिया ग्वालियर चंबल अंचल की राजनीति में एक्टिव हो गए हैं. वहीं केंद्र और राज्य सरकार की कई योजनाओं को ग्वालियर लाकर सिंधिया सियासी जमीन मजबूत कर रहे हैं. महाआर्यमन भी जय विलास पैलेस में अपना वक्त गुजारते हैं. जब ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस छोड़कर बीजेपी ज्वाइन करने का फैसला लिया था तब भी महाआर्यमन अपने पिता के फैसले के साथ खड़े दिखाई दिए. वह राजनीतिक विषयों को लेकर सोशल मीडिया पर काफी आक्रामक रहते हैं.

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महाआर्यमन सिंधिया की फाइल फोटो.

जयविलास में धूमधाम से मनाया गया था जन्मदिन
अभी हाल में ही महाआर्यमन सिंधिया का जन्मदिन ग्वालियर के जय विलास पैलेस में उनके हजारों युवा समर्थकों की मौजूदगी में मनाया गया. पैलेस में ऐसा पहली बार हुआ. इसके बाद अब पीएम मोदी की मुलाकात से उनके राजनीति में एंट्री की चर्चा जोर पकड़ रही है. महाआर्यमन ने 2019 में अमेरिका की येल यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन कंप्लीट किया था. इसके बाद पिछले 3 साल से पिता के चुनावी क्षेत्र में भी लगातार सक्रिय हैं और राजनीति की बारीकियों को समझ रहे हैं. ग्वालियर चंबल अंचल के वरिष्ठ पत्रकार दिवस श्रीमाली मानते हैं कि यह एक तरीके से उनकी सियासी लॉन्चिंग ही है, हालांकि उन्होंने अभी पार्टी की सदस्यता नहीं ली है. श्रीमाली इतिहास पर ध्यान देते हुए कहते हैं कि सिंधिया परिवार में पिता और बेटा एक साथ राजनीति में कभी नहीं आए, लेकिन उन्हें राजनीति की गुर सिखाना शुरू कर देते हैं. अब ज्योतिरादित्य भी महाआर्यमन को सियासत की बारीकी सिखाकर परंपरा का निर्वाह कर रहे हैं. संभावना ज्यादा है कि साल 2024 के लोकसभा चुनाव में महा आर्यमन चली आ चुनावी मैदान में नजर आएं, क्योंकि ज्योतिरादित्य का राज्यसभा का कार्यकाल 2026 तक है. ऐसे में वे शायद लोकसभा का चुनाव न लड़ें. ऐसे में महाआर्यमन की ऑफिशियल पॉलिटिकल लॉन्चिंग के लिए यह गोल्डन चांस है.

पढ़ें : लिंगायत संत के नाम पर 115 बच्चों का नामकरण, मुस्लिम बच्ची का नाम रखा शिवमणि

ग्वालियर. मध्यप्रदेश के ग्वालियर चंबल संभाग की सियासत में ज्योतिरादित्य सिंधिया की एक फैमिली फोटो ने हलचल मचा दी है. हलचल की वजह यह है कि इस फोटो में सिंधिया परिवार के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी हैं. इस तस्वीर में ज्योतिरादित्य के बेटे महाआर्यमन पीएम के बगल में खड़े हैं. यह फोटो बुधवार का है. दिल्ली में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने परिवार के साथ पीएम मोदी से मुलाकात की थी. अब इस तस्वीर के कई मायने निकाले जा रहे हैं. कयासबाजी का दौर भी शुरू हो गया है. अब चर्चा शुरू हो गई है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के बेटे महाआर्यमन या उनकी पत्नी प्रियदर्शनी राजे सिंधिया की 2023 के विधानसभा चुनाव या फिर 2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान राजनीति में एंट्री हो सकती है.

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बुधवार को दिल्ली में पीएम मोदी के साथ सिंधिया परिवार.

मुलाकात हुई, क्या बात हुई....

इस तस्वीर के मायने तलाशने वालों की नजर महाआर्यमन सिंधिया पर है. महाआर्यमन पीएम नरेंद्र मोदी के साथ आत्मीयता से खड़े नजर आ रहे हैं. पीएम भी उसी आत्मीयता से उनसे मिल रहे हैं. ग्वालियर चंबल संभाग में सिंधिया परिवार के प्रशंसकों का मानना है कि महाआर्यमन 26 साल के हो चुके हैं और राजनीति में एंट्री के लिए बिल्कुल तैयार है. इतनी ही उम्र में उनके दादा माधवराव सिंधिया लोकसभा चुनाव जीतकर सांसद बन गए थे, लिहाजा माना जा रहा है कि सिंधिया परिवार महाआर्यमन के जरिए 2024 के लोकसभा चुनाव में उतारकर इतिहास को दोहरा सकता है. 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान महाआर्यमन भी लगातार ग्वालियर की राजनीति में सक्रिय रहे हैं. हालांकि बीजेपी के नेता भी इसे सामान्य मुलाकात बता रहे हैं.

सिंधिया परिवार की राजनीतिक बैकग्राउंड के बारे में वरिष्ठ पत्रकार श्रीमाली की टिप्पणी.


बीजेपी में खास मुकाम पर है सिंधिया परिवार
मध्यप्रदेश की सियासत में खास रुतबा रखने वाली सिंधिया फैमिली की बीजेपी में भी अपनी अलग पहचान है. ज्योतिरादित्य से पहले भी परिवार के कई सदस्य बीजेपी के बड़े पदों पर रह चुके हैं. राजमाता विजयाराजे सिंधिया भारतीय जनता पार्टी की संस्थापक सदस्य रहीं है वहीं ज्योतिरादित्य सिंधिया की दोनों बुआ वसुंधरा राजे और यशोधरा राजे भी मुख्यमंत्री और मंत्री रहीं हैं. खुद ज्योतिरादित्य सिंधिया केंद्रीय मंत्री हैं.

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महाआर्यमन सिंधिया की फाइल फोटो.

ज्योतिरादित्य भी ज्यादा सक्रिय हैं
साल 2019 के लोकसभा चुनाव में गुना शिवपुरी से ज्योतिरादित्य सिंधिया चुनाव मैदान में थे. उस दौरान उनके बेटे महाआर्यमन और पत्नी प्रियदर्शनी राजे ने उनके चुनाव प्रचार की कमान संभाली थी, हालांकि सिंधिया चुनाव हार गए थे. उसके बाद से सिंधिया के बेटे महाआर्यमन सिंधिया ग्वालियर चंबल अंचल की राजनीति में एक्टिव हो गए हैं. वहीं केंद्र और राज्य सरकार की कई योजनाओं को ग्वालियर लाकर सिंधिया सियासी जमीन मजबूत कर रहे हैं. महाआर्यमन भी जय विलास पैलेस में अपना वक्त गुजारते हैं. जब ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस छोड़कर बीजेपी ज्वाइन करने का फैसला लिया था तब भी महाआर्यमन अपने पिता के फैसले के साथ खड़े दिखाई दिए. वह राजनीतिक विषयों को लेकर सोशल मीडिया पर काफी आक्रामक रहते हैं.

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महाआर्यमन सिंधिया की फाइल फोटो.

जयविलास में धूमधाम से मनाया गया था जन्मदिन
अभी हाल में ही महाआर्यमन सिंधिया का जन्मदिन ग्वालियर के जय विलास पैलेस में उनके हजारों युवा समर्थकों की मौजूदगी में मनाया गया. पैलेस में ऐसा पहली बार हुआ. इसके बाद अब पीएम मोदी की मुलाकात से उनके राजनीति में एंट्री की चर्चा जोर पकड़ रही है. महाआर्यमन ने 2019 में अमेरिका की येल यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन कंप्लीट किया था. इसके बाद पिछले 3 साल से पिता के चुनावी क्षेत्र में भी लगातार सक्रिय हैं और राजनीति की बारीकियों को समझ रहे हैं. ग्वालियर चंबल अंचल के वरिष्ठ पत्रकार दिवस श्रीमाली मानते हैं कि यह एक तरीके से उनकी सियासी लॉन्चिंग ही है, हालांकि उन्होंने अभी पार्टी की सदस्यता नहीं ली है. श्रीमाली इतिहास पर ध्यान देते हुए कहते हैं कि सिंधिया परिवार में पिता और बेटा एक साथ राजनीति में कभी नहीं आए, लेकिन उन्हें राजनीति की गुर सिखाना शुरू कर देते हैं. अब ज्योतिरादित्य भी महाआर्यमन को सियासत की बारीकी सिखाकर परंपरा का निर्वाह कर रहे हैं. संभावना ज्यादा है कि साल 2024 के लोकसभा चुनाव में महा आर्यमन चली आ चुनावी मैदान में नजर आएं, क्योंकि ज्योतिरादित्य का राज्यसभा का कार्यकाल 2026 तक है. ऐसे में वे शायद लोकसभा का चुनाव न लड़ें. ऐसे में महाआर्यमन की ऑफिशियल पॉलिटिकल लॉन्चिंग के लिए यह गोल्डन चांस है.

पढ़ें : लिंगायत संत के नाम पर 115 बच्चों का नामकरण, मुस्लिम बच्ची का नाम रखा शिवमणि

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