जबलपुर। जिले से एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसे जानकर कुछ पल के लिए आपकी आंखें भी नम हो जाएगी. जबलपुर के एक लाचार गरीब, और लाचार पिता की बेबसी सुनकर आपकी आंखे भी छलक उठेंगी. दो जून की रोटी के लिए एक पिता अपने मासूम बच्चे को कंधे से चिपकाए दूसरे हाथ से रिक्शा चलाता है. एक हाथ से वो अपने मासूम बच्चे को संभालता है तो वहीं दूसरे हाथ से रिक्शे की हैंडल थामता हुआ उनका पेट भरने का जुगाड़ करता है. इस तरह अपने बच्चों को पालता आखिर क्यों ये सब करने को मजबूर है और यह क्या चाहता है. Jabalpur Rikshaw Driver Video
मासूम बच्चे को कंधे से चिपकाए चलाता है रिक्शा: आज के दौर में परिवार पालना किसी चुनौती से कम नहीं है. ऐसे में उन लोगों के लिए ये जिम्मेदारी और बढ़ जाती है जो दो वक्त की रोटी जुटाने के लिए रोजाना जी तोड़ मेहनत करते हैं और इसी हर रोज होने वाली कमाई से अपना और अपने परिवार का पेट पालते हैं. बिहार के रहने वाले राजेश मालदार की कहानी भी कुछ ऐसी ही. राजेश दस साल पहले काम की तलाश में जबलपुर आए थे. इसी दौरान उन्हें सिवनी के कन्हरवाड़ा गांव की एक युवती से प्यार हो गया था. जिसके बाद दोनों ने शादी कर ली. राजेश और उसकी पत्नी दोनों कई दिनों तक फुटपाथ के किनारे दो बच्चों के साथ रह रहे, लेकिन राजेश की किस्मत ने ऐसा खेल खेला की दोनों बच्चों को छोड़ उसकी पत्नी अपने किसी दूसरे आशिक के साथ चली गई. Jabalpur Man Drives Rikshaw with Child
मजबूर पिता कैसे दो बच्चों की कर रहा परवरिश: राजेश ने बताया कि कुछ समय उसे पता चला की उसकी पत्नी उसे छोड़ एक ट्रक चालक के साथ फरार हो गई है. उसने अपनी पत्नी को ढूंढने की बहुत कोशिश की, लेकिन उसका कहीं कोई पता नहीं चला. जिसके बाद दोनों बच्चों की जिम्मेदारी राजेश पर आ गई. राजेश अब दोनों बच्चों की परवरिश के लिए रिक्शा चलाकर ही अपना और उनका पालन पोषण कर रहा है. Jabalpur Rikshaw Child
सरकार की खुली पोल: मजबूर पिता रोजाना घर से अपने मासूम बच्चे को साथ लेकर निकलता है. राजेश शहर भर में घूमकर सवारियां तलाशता है, और सवारी मिलने पर एक हाथ से ही रिक्शा चलाकर उन्हें उनकी मंजिल तक पहुंचाने की जतन में जुट जाता है. पेट और परिवार पालने की मजबूरी इंसान से क्या-क्या नहीं कराती, राजेश मालदार इसका जीता जागता उदाहरण ये है. राज्य से लेकर केंद्र सरकार तक की तमाम योजनाएं ऐसे लाचार लोगों के पास आकर दम तोड़ देती है. राजेश की मजबूरी बता देती है कि सरकारी योजनाओं का फायदा आज भी जरूरतमंदों तक नहीं पहुंच पाता है. Jabalpur Rikshaw Driver
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विकास को मुहं चिढ़ाती हैं लाचारी की ऐसी तस्वीरें: एक तरफ देश आजादी का अमृत महोत्सव मनाया है, वहीं दूसरी तरफ गरीबी लाचारी और मजबूरी की ऐसी तस्वीरें सामने आ रही है जो विकास के दावों को कटघरे में खड़ा कर रही है. कंधे पर मासूम बेटे को नाममात्र के कपड़ों में चिपकाए एक हाथ से बच्चे को संभाले और दूसरे हाथ से साइकिल रिक्शा चलाते राजेश पर जिस किसी की भी नजर पड़ती है वह उसकी मेहनत और जिंदादिली की दाद देने से खुद को रोक नहीं पाता. Jabalpur Child with Rikshaw