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MP CM शिवराज की न्यायाधीशों को सलाह, न्याय की भाषा, मातृभाषा हो तो लोग समझेंगे, उप-राष्ट्रपति ने कहा स्वतंत्र न्याय प्रणाली लोकतंत्र को मजबूती देगा

मध्य प्रदेश के पूर्व चीफ जस्टिस जे एस वर्मा की याद में आयोजित मेमोरियल लेक्चर कार्यक्रम (Memorial Lecture Program) में बतौर मुख्य अतिथि शिरकत करने पहुंचे उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ (Vice President Jagdeep Dhankhar) ने न्यायपालिका के वर्तमान कामकाज विधायिका और कार्यपालिका पर बड़े बयान दिए. उन्होंने कहा कि,अगर लोकतंत्र और न्यायपालिका को काम करना है तो अपना दायरा निर्धारित करना होगा.

CM Shivraj Singh's prayer to the judges
सीएम शिवराज सिंह की न्यायाधीशों से प्रार्थना
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Published : Sep 18, 2022, 10:34 PM IST

जबलपुर। सूबे के मुखिया शिवराज सिंह चौहान जबलपुर प्रवास पर हैं. इस दौरान जस्टिस जेएस वर्मा मेमोरियल लेक्चर कार्यक्रम में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने संबोधित करते हुए भोपाल के निजी स्कूल के बस में मासूम के साथ हुई घटना का जिक्र किया. तो वहीं कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का कहना था कि, अब वक्त आ गया है मजबूत और स्वतंत्र न्याय प्रणाली लोकतांत्रिक मूल्यों को मजबूत करने की सबसे सुरक्षित गारंटी हो. इन तमाम मसलों पर तीनों ही मजबूत स्तंभो को मंथन भी करना होगा. (Jabalpur Memorial Lecture Program) (MP CM Shivraj Singh Appeal To Judges)

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की न्यायाधीशों से प्रार्थना

90% घटनाओं में परिचित और रिश्तेदार जिम्मेदार: भोपाल की घटना का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि, मध्यप्रदेश में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए हर संभव प्रयास किए गए हैं. फिर भी घटनाएं घटित हो रही हैं. 90% घटनाएं ऐसी होती हैं जिनमें आरोपी परिचित या फिर कोई रिश्तेदार ही रहता है. हमने फास्ट ट्रैक कोर्ट के माध्यम से ऐसे मामलों की जल्द से जल्द सुनवाई पूरी की और अधिकांश मामलों में आरोपियों को फांसी की सजा सुनाई गई है. मगर यह भी तल्ख सच्चाई है कि वास्तविकता में आरोपी को फांसी लगने में सालों लग जाते हैं.

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़

न्याय की भाषा को मातृभाषा बनाने पर जोर: मुख्यमंत्री ने मंच पर विराजमान सभी न्यायाधीशों को संबोधित करते हुए कहा कि, दुष्कर्मियों पर कानून को भी सख्त होना होगा. आज भी जनता को न्यायालय पर पूरा भरोसा है. दुष्कर्मी पर सख्त कार्रवाई हो इसके लिए विधायिका और न्यायपालिका को बैठकर गंभीर विचार करने की जरूरत है. इसके साथ ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने न्याय की भाषा को मातृभाषा बनाने पर भी जोर दिया.

Jagdeep Dhankhar in Jabalpur: उपराष्ट्रपति जस्टिस जे. एस. वर्मा की स्मृति व्याख्यान माला कार्यक्रम में हुए शामिल, शिवराज बोले- भारत की न्यायपालिका पर जनता को भरोसा

फैसला समझने में आम आदमी को आसानी: मुख्यमंत्री ने कहा कि न्याय की भाषा मातृभाषा क्यों नहीं हो सकती है. मेरी न्यायाधीशों से प्रार्थना है कि न्याय की भाषा को मातृभाषा बनाया जाए ताकि हर आम आदमी अपना फैसला आसान शब्दों में समझ सके. हमने मातृभाषा को प्राथमिकता देते हुए मेडिकल और इंजीनियरिंग की पढ़ाई को हिंदी में किया है. लिहाजा में अपील करता हूं कि न्याय की भाषा को भी मातृभाषा बनाया जाए.

न्याय का तरीका व्यापक और दूरदर्शी: मंचीय संबोधन में देश के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने जस्टिस जेएस वर्मा की याद में आयोजित कार्यक्रम के लिए आयोजकों को बधाई दी. राजस्थान हाई कोर्ट में आए विशाखा जजमेंट का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि, जस्टिस वर्मा की सोच और न्याय का तरीका व्यापक और दूरदर्शी था. यही वजह है कि कई सालों पहले कामकाजी महिलाओं के साथ होने वाले अत्याचार को रोकने आए विशाखा विरुद्ध राजस्थान सरकार जजमेंट का आज देशभर में पालन हो रहा है. कानून मसलों पर अपनी राय रखते हुए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा की स्वतंत्रता के वक्त जब देश में 36 करोड़ थे तो वही आज देश में 136 करोड़ लोग हैं.

न्यायाधीशों पर उठाने वाली उंगली की आलोचना: कोई भी व्यक्ति कानून से ऊपर नहीं है, अगर कोई ऐसा खुद को समझता है तो यह देश की संवैधानिक ढांचे के प्रति उसका अपमान है. इतना ही नहीं उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने न्यायाधीशों पर आए दिन उंगली उठाने और उनकी आलोचना करने जैसे मसलों पर गंभीरता जताई. उनका कहना था कि यह दायित्व है न्यायपालिका के अलावा मीडिया का और समाज का कि वह ऐसी आलोचनाओं का विरोध करें और उसे होने से रोके.

शिवराज सॉफ्ट हैं लेकिन अंदर से सख्त: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने इस दौरान कार्यक्रम में मौजूद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की भी तारीफ की. उन्होंने कहा कि शिवराज सॉफ्ट हैं, लेकिन अंदर से सख्त. वे किसी भी बात को नहीं भूलते. उन्होंने कहा कि जब मैं उपराष्ट्रपति बना तो सीएम शिवराज सिंह चौहान वो पहले व्यक्ति थे जिन्होंने इस नए पद पर जिम्मेदारी मिलने के बाद मुझे प्रदेश आने का न्योता दिया था. मैंने भी उन्हें आश्वस्त किया था कि बतौर उपराष्ट्रपति ने सबसे पहले मध्य प्रदेश ही जाएंगे.(Jabalpur Memorial Lecture Program) (MP CM Shivraj Singh Appeal To Judges)

जबलपुर। सूबे के मुखिया शिवराज सिंह चौहान जबलपुर प्रवास पर हैं. इस दौरान जस्टिस जेएस वर्मा मेमोरियल लेक्चर कार्यक्रम में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने संबोधित करते हुए भोपाल के निजी स्कूल के बस में मासूम के साथ हुई घटना का जिक्र किया. तो वहीं कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का कहना था कि, अब वक्त आ गया है मजबूत और स्वतंत्र न्याय प्रणाली लोकतांत्रिक मूल्यों को मजबूत करने की सबसे सुरक्षित गारंटी हो. इन तमाम मसलों पर तीनों ही मजबूत स्तंभो को मंथन भी करना होगा. (Jabalpur Memorial Lecture Program) (MP CM Shivraj Singh Appeal To Judges)

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की न्यायाधीशों से प्रार्थना

90% घटनाओं में परिचित और रिश्तेदार जिम्मेदार: भोपाल की घटना का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि, मध्यप्रदेश में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए हर संभव प्रयास किए गए हैं. फिर भी घटनाएं घटित हो रही हैं. 90% घटनाएं ऐसी होती हैं जिनमें आरोपी परिचित या फिर कोई रिश्तेदार ही रहता है. हमने फास्ट ट्रैक कोर्ट के माध्यम से ऐसे मामलों की जल्द से जल्द सुनवाई पूरी की और अधिकांश मामलों में आरोपियों को फांसी की सजा सुनाई गई है. मगर यह भी तल्ख सच्चाई है कि वास्तविकता में आरोपी को फांसी लगने में सालों लग जाते हैं.

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़

न्याय की भाषा को मातृभाषा बनाने पर जोर: मुख्यमंत्री ने मंच पर विराजमान सभी न्यायाधीशों को संबोधित करते हुए कहा कि, दुष्कर्मियों पर कानून को भी सख्त होना होगा. आज भी जनता को न्यायालय पर पूरा भरोसा है. दुष्कर्मी पर सख्त कार्रवाई हो इसके लिए विधायिका और न्यायपालिका को बैठकर गंभीर विचार करने की जरूरत है. इसके साथ ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने न्याय की भाषा को मातृभाषा बनाने पर भी जोर दिया.

Jagdeep Dhankhar in Jabalpur: उपराष्ट्रपति जस्टिस जे. एस. वर्मा की स्मृति व्याख्यान माला कार्यक्रम में हुए शामिल, शिवराज बोले- भारत की न्यायपालिका पर जनता को भरोसा

फैसला समझने में आम आदमी को आसानी: मुख्यमंत्री ने कहा कि न्याय की भाषा मातृभाषा क्यों नहीं हो सकती है. मेरी न्यायाधीशों से प्रार्थना है कि न्याय की भाषा को मातृभाषा बनाया जाए ताकि हर आम आदमी अपना फैसला आसान शब्दों में समझ सके. हमने मातृभाषा को प्राथमिकता देते हुए मेडिकल और इंजीनियरिंग की पढ़ाई को हिंदी में किया है. लिहाजा में अपील करता हूं कि न्याय की भाषा को भी मातृभाषा बनाया जाए.

न्याय का तरीका व्यापक और दूरदर्शी: मंचीय संबोधन में देश के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने जस्टिस जेएस वर्मा की याद में आयोजित कार्यक्रम के लिए आयोजकों को बधाई दी. राजस्थान हाई कोर्ट में आए विशाखा जजमेंट का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि, जस्टिस वर्मा की सोच और न्याय का तरीका व्यापक और दूरदर्शी था. यही वजह है कि कई सालों पहले कामकाजी महिलाओं के साथ होने वाले अत्याचार को रोकने आए विशाखा विरुद्ध राजस्थान सरकार जजमेंट का आज देशभर में पालन हो रहा है. कानून मसलों पर अपनी राय रखते हुए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा की स्वतंत्रता के वक्त जब देश में 36 करोड़ थे तो वही आज देश में 136 करोड़ लोग हैं.

न्यायाधीशों पर उठाने वाली उंगली की आलोचना: कोई भी व्यक्ति कानून से ऊपर नहीं है, अगर कोई ऐसा खुद को समझता है तो यह देश की संवैधानिक ढांचे के प्रति उसका अपमान है. इतना ही नहीं उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने न्यायाधीशों पर आए दिन उंगली उठाने और उनकी आलोचना करने जैसे मसलों पर गंभीरता जताई. उनका कहना था कि यह दायित्व है न्यायपालिका के अलावा मीडिया का और समाज का कि वह ऐसी आलोचनाओं का विरोध करें और उसे होने से रोके.

शिवराज सॉफ्ट हैं लेकिन अंदर से सख्त: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने इस दौरान कार्यक्रम में मौजूद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की भी तारीफ की. उन्होंने कहा कि शिवराज सॉफ्ट हैं, लेकिन अंदर से सख्त. वे किसी भी बात को नहीं भूलते. उन्होंने कहा कि जब मैं उपराष्ट्रपति बना तो सीएम शिवराज सिंह चौहान वो पहले व्यक्ति थे जिन्होंने इस नए पद पर जिम्मेदारी मिलने के बाद मुझे प्रदेश आने का न्योता दिया था. मैंने भी उन्हें आश्वस्त किया था कि बतौर उपराष्ट्रपति ने सबसे पहले मध्य प्रदेश ही जाएंगे.(Jabalpur Memorial Lecture Program) (MP CM Shivraj Singh Appeal To Judges)

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