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भारत-चीन एलएसी विवाद : 11 मार्च को कोर कमांडर स्तर की वार्ता, चुशुल मोल्दो में बैठक

वास्तविक नियंत्रण रेखा पर विवाद के संबंध में भारत और चीन (india china lac dispute) के सैन्य अधिकारियों की वार्ता (India China Corps Commander level talks) 11 मार्च को होगी. भारत चीन वार्ता चुशुल मोल्दो में होगी.

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Published : Mar 8, 2022, 2:40 PM IST

Updated : Mar 8, 2022, 4:54 PM IST

India china Chushul Moldo Meeting
भारत चीन वार्ता चुशुल मोल्दो में

नई दिल्ली : भारत और चीन एलएसी विवाद (india china lac dispute) पर 15वें दौर की वार्ता करेंगे. रक्षा प्रतिष्ठान के सूत्र ने बताया है कि दोनों पक्षों के बीच पारस्परिक रूप से बनी सहमति के मुताबिक 11 मार्च, 2022 को चुशुल मोल्दो में बैठक होगी. दोनों पक्षों के बीच इस वार्ता का आयोजन करीब एक महीने के बाद होगा.

समाचार एजेंसी एएनआई ने रक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों (Sources in Defence Establishment) के हवाले से कहा, चुशुल मोल्दो प्वाइंट पर भारतीय इलाके में कोर कमांडर स्तर की वार्ता (India china talks at Indian side of Chushul Moldo Meeting Point) के 15 वें दौर का आयोजन 11 मार्च को करने का निर्णय लिया गया है.

India china Chushul Moldo Meeting
चुशुल मोल्दो में भारत चीन सैन्य अधिकारियों की वार्ता

सूत्रों के अनुसार, शेष क्षेत्रों में 22 महीने से जारी गतिरोध को समाप्त करने के लिए दोनों पक्ष शुक्रवार को लद्दाख में चुशुल मोल्दो में अगले दौर की बैठक करेंगे. उन्होंने उल्लेख किया कि पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान खोजने के लिए दोनों पक्षों द्वारा हाल के बयान उत्साहजनक और सकारात्मक प्रकृति के हैं.

गलवान घाटी में झड़प के बाद भारत चीन रिश्ता
अब तक की बातचीत के परिणामस्वरूप पैगोंग सो (झील) के उत्तरी और दक्षिणी किनारे, गलवान और गोगरा हॉट स्प्रिंग क्षेत्रों के मुद्दों का समाधान हुआ है. हालांकि, इस साल 12 जनवरी को हुई बातचीत के 14वें दौर में कोई नयी सफलता नहीं मिली. बता दें कि पैंगोंग त्सो झील क्षेत्र में हिंसक झड़प के बाद पांच मई 2020 को भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच पूर्वी लद्दाख में सीमा गतिरोध शुरू हुआ. दोनों पक्षों ने धीरे-धीरे हजारों सैनिकों के साथ-साथ भारी सैन्य साजो सामान की तैनाती कर दी.

यह भी पढ़ें- भारत-चीन के बीच 14वें दौर की सैन्य वार्ता: 'हॉट स्प्रिंग्स' से सैनिकों को पीछे हटाने पर जोर दिया गया

इससे पहले जनवरी, 2022 में भारत और चीन के बीच कोर कमांडर स्तर की बातचीत का 14वां दौर करीब 13 घंटे तक चला था. जानकारी के मुताबिक बुधवार सुबह चुशुल-मोल्दो में शुरू हुई बैठक 12 जनवरी की रात करीब साढ़े 10 बजे खत्म हुई. भारत का प्रतिनिधित्व फायर एंड फ्यूरी कोर कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल अनिंद्य सेनगुप्ता ने किया. तीन महीने से अधिक के अंतराल के बाद भारत और चीन पूर्वी लद्दाख में पिछले 20 महीने से चले आ रहे सैन्य गतिरोध को हल करने की कोशिश में जुटे हैं. बताया जा रहा है कि बाचतीच का मुख्य फोकस हॉट स्प्रिंग्स क्षेत्र को हल करने पर रहा.

बता दें कि भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) को लेकर विवाद चल रहा है. एलएसी वह एरिया है जहां पर अभी तक किसी भी तरह से क्षेत्र को दो देशों के बीच न बांटा गया हो, जैसे कि भारत और चीन के बीच है. चीन के साथ लगी लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल करीब 3,488 किलोमीटर की है, जबकि चीन मानता है कि यह बस 2,000 किलोमीटर तक ही है. यह सीमा जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश से होकर गुजरती है.

यह भी पढ़ें- एलएसी पर हथियारों के इस्तेमाल से इसलिए बचते हैं भारत-चीन के सैनिक

एक तथ्य यह भी है कि 1962 के भारत-चीन युद्ध के 58 साल बीत चुके हैं, लेकिन अक्साइ चीन और लद्दाख में क्लियर डिमार्केशन नहीं हो सका है. मई, 2020 में गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद पूर्वी लद्दाख में दोनों देश अप्रत्याशित तनाव बढ़ गया था. गलवान हिंसा के बाद एलएसी को लेकर गतिरोध के मुद्दे पर भारत और चीन के सैन्य अधिकारी कई दौर की वार्ता कर चुके हैं. दोनों ही देश एक-दूसरे को अपने-अपने क्षेत्र में रहने की हिदायत देते रहे हैं.

गलवान घाटी में पैंगोग त्सो झील के पास हुई हिंसक झड़प में भारत के 20 जवान शहीद हुए थे. चीन के भी 40 से अधिक सैनिक मारे गए थे. पैंगोंग त्सो क्षेत्र में पांच मई की शाम भारत और चीन के लगभग 250 सैनिकों के बीच हिंसक टकराव हुआ. पैंगोंग त्सो के आसपास फिंगर क्षेत्र में भारत द्वारा एक महत्वपूर्ण सड़क बनाए जाने और गलवान घाटी में दारबुक-शयोक-दौलत बेग ओल्डी को जोड़ने वाली एक और महत्वपूर्ण सड़क के निर्माण पर चीन का कड़ा विरोध टकराव का कारण बना.

यह भी पढ़ें- China Pangong Lake Bridge : 'ड्रैगन' के ब्रिज से सैनिकों को मिलेगी बड़ी मदद, जानिए क्या है भारत-चीन एलएसी विवाद

बता दें कि भारत के पूर्वी हिस्से में एलएसी और 1914 के मैकमोहन रेखा के संबंध में स्थितियों को लेकर भी चीन अड़ंगा डालता रहा है, अरुणाचल प्रदेश के तवांग क्षेत्र पर चीन अक्सर अपना हक जताता रहता है ,उसी तरह उत्तराखंड के बाड़ाहोती मैदानों के भू-भाग को लेकर भी चीन विवाद करता रहता है, वहीं भारत पश्चिमी सेक्टर में अक्साई चीन पर अपना दावा करता है जो फिलहाल चीन के नियंत्रण में है, इन्हीं सब चीजों को लेकर आज तक एलएसी पर विवाद चलता रहा है.

(एजेंसी इनपुट)

नई दिल्ली : भारत और चीन एलएसी विवाद (india china lac dispute) पर 15वें दौर की वार्ता करेंगे. रक्षा प्रतिष्ठान के सूत्र ने बताया है कि दोनों पक्षों के बीच पारस्परिक रूप से बनी सहमति के मुताबिक 11 मार्च, 2022 को चुशुल मोल्दो में बैठक होगी. दोनों पक्षों के बीच इस वार्ता का आयोजन करीब एक महीने के बाद होगा.

समाचार एजेंसी एएनआई ने रक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों (Sources in Defence Establishment) के हवाले से कहा, चुशुल मोल्दो प्वाइंट पर भारतीय इलाके में कोर कमांडर स्तर की वार्ता (India china talks at Indian side of Chushul Moldo Meeting Point) के 15 वें दौर का आयोजन 11 मार्च को करने का निर्णय लिया गया है.

India china Chushul Moldo Meeting
चुशुल मोल्दो में भारत चीन सैन्य अधिकारियों की वार्ता

सूत्रों के अनुसार, शेष क्षेत्रों में 22 महीने से जारी गतिरोध को समाप्त करने के लिए दोनों पक्ष शुक्रवार को लद्दाख में चुशुल मोल्दो में अगले दौर की बैठक करेंगे. उन्होंने उल्लेख किया कि पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान खोजने के लिए दोनों पक्षों द्वारा हाल के बयान उत्साहजनक और सकारात्मक प्रकृति के हैं.

गलवान घाटी में झड़प के बाद भारत चीन रिश्ता
अब तक की बातचीत के परिणामस्वरूप पैगोंग सो (झील) के उत्तरी और दक्षिणी किनारे, गलवान और गोगरा हॉट स्प्रिंग क्षेत्रों के मुद्दों का समाधान हुआ है. हालांकि, इस साल 12 जनवरी को हुई बातचीत के 14वें दौर में कोई नयी सफलता नहीं मिली. बता दें कि पैंगोंग त्सो झील क्षेत्र में हिंसक झड़प के बाद पांच मई 2020 को भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच पूर्वी लद्दाख में सीमा गतिरोध शुरू हुआ. दोनों पक्षों ने धीरे-धीरे हजारों सैनिकों के साथ-साथ भारी सैन्य साजो सामान की तैनाती कर दी.

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इससे पहले जनवरी, 2022 में भारत और चीन के बीच कोर कमांडर स्तर की बातचीत का 14वां दौर करीब 13 घंटे तक चला था. जानकारी के मुताबिक बुधवार सुबह चुशुल-मोल्दो में शुरू हुई बैठक 12 जनवरी की रात करीब साढ़े 10 बजे खत्म हुई. भारत का प्रतिनिधित्व फायर एंड फ्यूरी कोर कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल अनिंद्य सेनगुप्ता ने किया. तीन महीने से अधिक के अंतराल के बाद भारत और चीन पूर्वी लद्दाख में पिछले 20 महीने से चले आ रहे सैन्य गतिरोध को हल करने की कोशिश में जुटे हैं. बताया जा रहा है कि बाचतीच का मुख्य फोकस हॉट स्प्रिंग्स क्षेत्र को हल करने पर रहा.

बता दें कि भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) को लेकर विवाद चल रहा है. एलएसी वह एरिया है जहां पर अभी तक किसी भी तरह से क्षेत्र को दो देशों के बीच न बांटा गया हो, जैसे कि भारत और चीन के बीच है. चीन के साथ लगी लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल करीब 3,488 किलोमीटर की है, जबकि चीन मानता है कि यह बस 2,000 किलोमीटर तक ही है. यह सीमा जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश से होकर गुजरती है.

यह भी पढ़ें- एलएसी पर हथियारों के इस्तेमाल से इसलिए बचते हैं भारत-चीन के सैनिक

एक तथ्य यह भी है कि 1962 के भारत-चीन युद्ध के 58 साल बीत चुके हैं, लेकिन अक्साइ चीन और लद्दाख में क्लियर डिमार्केशन नहीं हो सका है. मई, 2020 में गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद पूर्वी लद्दाख में दोनों देश अप्रत्याशित तनाव बढ़ गया था. गलवान हिंसा के बाद एलएसी को लेकर गतिरोध के मुद्दे पर भारत और चीन के सैन्य अधिकारी कई दौर की वार्ता कर चुके हैं. दोनों ही देश एक-दूसरे को अपने-अपने क्षेत्र में रहने की हिदायत देते रहे हैं.

गलवान घाटी में पैंगोग त्सो झील के पास हुई हिंसक झड़प में भारत के 20 जवान शहीद हुए थे. चीन के भी 40 से अधिक सैनिक मारे गए थे. पैंगोंग त्सो क्षेत्र में पांच मई की शाम भारत और चीन के लगभग 250 सैनिकों के बीच हिंसक टकराव हुआ. पैंगोंग त्सो के आसपास फिंगर क्षेत्र में भारत द्वारा एक महत्वपूर्ण सड़क बनाए जाने और गलवान घाटी में दारबुक-शयोक-दौलत बेग ओल्डी को जोड़ने वाली एक और महत्वपूर्ण सड़क के निर्माण पर चीन का कड़ा विरोध टकराव का कारण बना.

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बता दें कि भारत के पूर्वी हिस्से में एलएसी और 1914 के मैकमोहन रेखा के संबंध में स्थितियों को लेकर भी चीन अड़ंगा डालता रहा है, अरुणाचल प्रदेश के तवांग क्षेत्र पर चीन अक्सर अपना हक जताता रहता है ,उसी तरह उत्तराखंड के बाड़ाहोती मैदानों के भू-भाग को लेकर भी चीन विवाद करता रहता है, वहीं भारत पश्चिमी सेक्टर में अक्साई चीन पर अपना दावा करता है जो फिलहाल चीन के नियंत्रण में है, इन्हीं सब चीजों को लेकर आज तक एलएसी पर विवाद चलता रहा है.

(एजेंसी इनपुट)

Last Updated : Mar 8, 2022, 4:54 PM IST
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