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अमेरिका ने अफगानिस्तान मिशन में अरबों डॉलर खर्च किए, जानिए उसने 20 साल में कितने गंवाए ?

तालिबान के खिलाफ 20 साल के सैनिक अभियान में अमेरिका ने कई अरब डॉलर खर्च किए. ढाई हजार से अधिक अमेरिकी सैनिकों ने जान गंवाए. इतने लंबे सैन्य अभियान के बाद भी अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा हो गया. अब अमेरिकी हथियार तालिबान की स्थिति मजबूत कर रहे हैं. जानिए अमेरिका ने अफगानिस्तान मिशन में क्या गंवाया ?

cost of the United States Afghanistan war
cost of the United States afghanistan war
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Published : Aug 20, 2021, 8:01 PM IST

Updated : Aug 20, 2021, 8:34 PM IST

हैदराबाद : अफगानिस्तान से अमेरिकी और नाटो सैनिकों के लौटने के बाद तालिबान ने मुल्क पर कब्जा कर लिया. हर तरफ अफगान नागरिकों की चीखती तस्वीरें दिखने लगीं. तालिबानी जुल्म की खबरों ने विश्व समुदाय को चिंता में डाल दिया. जब अमेरिका में भी राष्ट्रपति जो बाइडन की आलोचना होने लगी, तो वह 20 साल तक अफगानिस्तान में हुए खर्च का हिसाब-किताब लेकर बैठ गए. उन्होंने कहा कि अब अमेरिका अपने सैनिकों की मौत नहीं चाहता है.

अमेरिकी थिंक टैंक ने भी खर्चों का आंकलन शुरू किया. साथ ही, यह इसका भी अनुमान लगाने लगे कि आने वाले वक्त में अमेरिका को अफगानिस्तान पर किए गए खर्च के बदले क्या कीमत चुकानी पड़ेगी. ब्राउन यूनिवर्सिटी की कॉस्ट ऑफ वॉर प्रोजेक्ट के हवाले से फोर्ब्स मैगजीन ने बताया कि, 11 सितंबर 2001 के बाद से 20 वर्षों में अमेरिका ने अफगानिस्तान में युद्ध पर 2.26 ट्रिलियन डॉलर खर्च किए. दो दशकों तक हर दिन 30 करोड़ डॉलर अफगानिस्तान युद्ध के नाम पर अमेरिका ने खर्च किए. अगर इस रकम को अफगानिस्तान के 4 करोड़ नागरिकों में बांटा जाता तो हर एक के हिस्से में 50 हजार डॉलर आते. 2.26 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर को अगर भारतीय रुपयों में गिनती करें तो यह रकम 148.64 लाख करोड़ रुपये होती है.

cost of the United States Afghanistan war
तालिबान ने अमेरिका और नाटो की ओर से छोड़े गए हथियारों पर कब्जा कर लिया है

30 अरबपति की संपत्ति से अधिक खर्च करने का दावा : ब्राउन यूनिवर्सिटी का दावा है कि यह रकम अमेरिका के बड़े रईसों जेफ बेजोस, एलन मस्क, बिल गेट्स समेत 30 सबसे अमीर अरबपतियों की कुल संपत्ति से भी ज्यादा है. तालिबान को अफगानिस्तान से दूर रखने वाले इस अभियान के लिए अमेरिकी सरकार आगे तक कीमत चुकाएगी, क्योंकि इन खर्चों के लिए अमेरिका ने भारी-भरकम कर्ज ले रखा है. इसके एवज में उसे ब्याज भी चुकाना होगा.

आगे में भी कर्जे का ब्याज अमेरिका को चुकाना होगा : ब्राउन यूनिवर्सिटी के रिसर्च ग्रुप का अनुमान है कि अफगान युद्ध के दौरान लिए गए कर्जों के लिए 500 अरब डॉलर से अधिक ब्याज का भुगतान पहले ही किया जा चुका है. उनका अनुमान है कि 2050 तक अफगान युद्ध ऋण पर ब्याज की लागत 6.5 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच सकती है. इन खर्चों पर थिंक टैंक ने बताया कि हर अमेरिकी नागरिक लोन चुकाने के लिए 20 हजार डॉलर का योगदान दे रहा है.

ब्राउन यूनिवर्सिटी की कॉस्ट ऑफ वॉर प्रोजेक्ट के अनुसार, अमेरिका ने अफगानिस्तान में तालिबान से सीधी लड़ाई में 800 बिलियन डॉलर खर्च किए. इसके अलावा अफगान सेना को प्रशिक्षित करने के लिए 85 बिलियन डॉलर का योगदान दिया. रिसर्चर्स का दावा है कि अमेरिकी टैक्सपेयर के पैसों से अफगान सैनिकों को सालाना 750 मिलियन डॉलर का वेतन दिया गया. तालिबान से संघर्ष के लिए ब्रिटेन ने 30 बिलियन और जर्मनी ने 19 बिलियन की रकम खर्च कर दी.

cost of the United States Afghanistan war
पिछले 20 वर्षों में करीब 8 लाख अमेरिकी सैनिकों ने अफगानिस्तान में तालिबान के खिलाफ लड़ाई लड़ी.

तालिबानी का सफाया नहीं कर सके नाटो सैनिक : फोर्ब्स की रिपोर्ट के अनुसार, तालिबान के साथ जंग में 2,500 अमेरिकी सैनिकों की मौत हुई, जबकि वहां प्रोजेक्ट्स पर काम करने वाले 4000 अमेरिकी नागरिक मारे गए. इसके अलावा इन 20 वर्षों में 69 हजार अफगान सैनिक और 47 हजार नागरिक मारे गए. तालिबान के हमलों के कारण 20 हजार से अधिक अमेरिकी विकलांग हो गए. इनकी देखरेख पर करीब 300 अरब डॉलर खर्च हो चुके हैं. यह लागत 500 अरब डॉलर तक पहुंच सकती है. दूसरी ओर तालिबान के सिर्फ 61 हजार आतंकी अमेरिकी सैनिकों के शिकार बने.

शांति समझौते के तहत अमेरिका ने डेमोक्रेटिक अफगानिस्तान को 2024 तक सैनिकों के खर्च के लिए 4 बिलियन डॉलर प्रति वर्ष देने का वादा किया था. जब अफगानी सैनिक सरेंडर कर चुके हैं तो यह रकम तो तालिबान को नहीं मिलेगी.

cost of the United States Afghanistan war
2.26 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर को अगर भारतीय रुपयों में गिनती करें तो यह रकम 148.64 लाख करोड़ रुपये होती है.

तालिबान के हाथ लगे अमेरिकी हथियार : अफगानिस्‍तान पर कब्जे के बाद तालिबान आतंकियों के हाथ अरबों डॉलर के अत्‍याधुनिक अमेरिकी हथियार लग गए हैं. हथियारों के जखीरे में अमेरिका में बनी सैनिक वहान हंबी, विमान, लड़ाकू हेलिकॉप्‍टर, नाइट विजन गॉगल्‍स और ड्रोन शामिल है. तालिबान ने यूएच-60 ब्लैक हॉक्स हेलिकॉप्टर पर भी कब्जा किया है. इसकी कीमत कीमत 90 से 100 करोड़ के बीच होती है. अनुमान है कि अब आतंकियों के पास 2,000 से अधिक बख्तरबंद वाहन, 200 हेलिकॉप्टर, 40 लड़ाकू विमान, एम16 असॉल्ट राइफल, हॉवित्जर तोप भी है. इसका इस्तेमाल वह अब पंजशीर इलाके में कर सकता है.

एक और सच यह है कि अमेरिका अफगानिस्तान में कई अरब रुपये खर्च करने का दावा करता है, मगर आज भी अफगानिस्तान के 90 फीसद से अधिक नागरिक गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करते हैं. अफगानिस्तान की डेमोक्रेटिक सरकार ने दो डॉलर (करीब 150 रुपये) प्रतिदिन की कमाई को गरीबी रेखा मापने का मानक बनाया था. तालिबान राज में लोगों की हालत और खराब होगी.

हैदराबाद : अफगानिस्तान से अमेरिकी और नाटो सैनिकों के लौटने के बाद तालिबान ने मुल्क पर कब्जा कर लिया. हर तरफ अफगान नागरिकों की चीखती तस्वीरें दिखने लगीं. तालिबानी जुल्म की खबरों ने विश्व समुदाय को चिंता में डाल दिया. जब अमेरिका में भी राष्ट्रपति जो बाइडन की आलोचना होने लगी, तो वह 20 साल तक अफगानिस्तान में हुए खर्च का हिसाब-किताब लेकर बैठ गए. उन्होंने कहा कि अब अमेरिका अपने सैनिकों की मौत नहीं चाहता है.

अमेरिकी थिंक टैंक ने भी खर्चों का आंकलन शुरू किया. साथ ही, यह इसका भी अनुमान लगाने लगे कि आने वाले वक्त में अमेरिका को अफगानिस्तान पर किए गए खर्च के बदले क्या कीमत चुकानी पड़ेगी. ब्राउन यूनिवर्सिटी की कॉस्ट ऑफ वॉर प्रोजेक्ट के हवाले से फोर्ब्स मैगजीन ने बताया कि, 11 सितंबर 2001 के बाद से 20 वर्षों में अमेरिका ने अफगानिस्तान में युद्ध पर 2.26 ट्रिलियन डॉलर खर्च किए. दो दशकों तक हर दिन 30 करोड़ डॉलर अफगानिस्तान युद्ध के नाम पर अमेरिका ने खर्च किए. अगर इस रकम को अफगानिस्तान के 4 करोड़ नागरिकों में बांटा जाता तो हर एक के हिस्से में 50 हजार डॉलर आते. 2.26 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर को अगर भारतीय रुपयों में गिनती करें तो यह रकम 148.64 लाख करोड़ रुपये होती है.

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तालिबान ने अमेरिका और नाटो की ओर से छोड़े गए हथियारों पर कब्जा कर लिया है

30 अरबपति की संपत्ति से अधिक खर्च करने का दावा : ब्राउन यूनिवर्सिटी का दावा है कि यह रकम अमेरिका के बड़े रईसों जेफ बेजोस, एलन मस्क, बिल गेट्स समेत 30 सबसे अमीर अरबपतियों की कुल संपत्ति से भी ज्यादा है. तालिबान को अफगानिस्तान से दूर रखने वाले इस अभियान के लिए अमेरिकी सरकार आगे तक कीमत चुकाएगी, क्योंकि इन खर्चों के लिए अमेरिका ने भारी-भरकम कर्ज ले रखा है. इसके एवज में उसे ब्याज भी चुकाना होगा.

आगे में भी कर्जे का ब्याज अमेरिका को चुकाना होगा : ब्राउन यूनिवर्सिटी के रिसर्च ग्रुप का अनुमान है कि अफगान युद्ध के दौरान लिए गए कर्जों के लिए 500 अरब डॉलर से अधिक ब्याज का भुगतान पहले ही किया जा चुका है. उनका अनुमान है कि 2050 तक अफगान युद्ध ऋण पर ब्याज की लागत 6.5 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच सकती है. इन खर्चों पर थिंक टैंक ने बताया कि हर अमेरिकी नागरिक लोन चुकाने के लिए 20 हजार डॉलर का योगदान दे रहा है.

ब्राउन यूनिवर्सिटी की कॉस्ट ऑफ वॉर प्रोजेक्ट के अनुसार, अमेरिका ने अफगानिस्तान में तालिबान से सीधी लड़ाई में 800 बिलियन डॉलर खर्च किए. इसके अलावा अफगान सेना को प्रशिक्षित करने के लिए 85 बिलियन डॉलर का योगदान दिया. रिसर्चर्स का दावा है कि अमेरिकी टैक्सपेयर के पैसों से अफगान सैनिकों को सालाना 750 मिलियन डॉलर का वेतन दिया गया. तालिबान से संघर्ष के लिए ब्रिटेन ने 30 बिलियन और जर्मनी ने 19 बिलियन की रकम खर्च कर दी.

cost of the United States Afghanistan war
पिछले 20 वर्षों में करीब 8 लाख अमेरिकी सैनिकों ने अफगानिस्तान में तालिबान के खिलाफ लड़ाई लड़ी.

तालिबानी का सफाया नहीं कर सके नाटो सैनिक : फोर्ब्स की रिपोर्ट के अनुसार, तालिबान के साथ जंग में 2,500 अमेरिकी सैनिकों की मौत हुई, जबकि वहां प्रोजेक्ट्स पर काम करने वाले 4000 अमेरिकी नागरिक मारे गए. इसके अलावा इन 20 वर्षों में 69 हजार अफगान सैनिक और 47 हजार नागरिक मारे गए. तालिबान के हमलों के कारण 20 हजार से अधिक अमेरिकी विकलांग हो गए. इनकी देखरेख पर करीब 300 अरब डॉलर खर्च हो चुके हैं. यह लागत 500 अरब डॉलर तक पहुंच सकती है. दूसरी ओर तालिबान के सिर्फ 61 हजार आतंकी अमेरिकी सैनिकों के शिकार बने.

शांति समझौते के तहत अमेरिका ने डेमोक्रेटिक अफगानिस्तान को 2024 तक सैनिकों के खर्च के लिए 4 बिलियन डॉलर प्रति वर्ष देने का वादा किया था. जब अफगानी सैनिक सरेंडर कर चुके हैं तो यह रकम तो तालिबान को नहीं मिलेगी.

cost of the United States Afghanistan war
2.26 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर को अगर भारतीय रुपयों में गिनती करें तो यह रकम 148.64 लाख करोड़ रुपये होती है.

तालिबान के हाथ लगे अमेरिकी हथियार : अफगानिस्‍तान पर कब्जे के बाद तालिबान आतंकियों के हाथ अरबों डॉलर के अत्‍याधुनिक अमेरिकी हथियार लग गए हैं. हथियारों के जखीरे में अमेरिका में बनी सैनिक वहान हंबी, विमान, लड़ाकू हेलिकॉप्‍टर, नाइट विजन गॉगल्‍स और ड्रोन शामिल है. तालिबान ने यूएच-60 ब्लैक हॉक्स हेलिकॉप्टर पर भी कब्जा किया है. इसकी कीमत कीमत 90 से 100 करोड़ के बीच होती है. अनुमान है कि अब आतंकियों के पास 2,000 से अधिक बख्तरबंद वाहन, 200 हेलिकॉप्टर, 40 लड़ाकू विमान, एम16 असॉल्ट राइफल, हॉवित्जर तोप भी है. इसका इस्तेमाल वह अब पंजशीर इलाके में कर सकता है.

एक और सच यह है कि अमेरिका अफगानिस्तान में कई अरब रुपये खर्च करने का दावा करता है, मगर आज भी अफगानिस्तान के 90 फीसद से अधिक नागरिक गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करते हैं. अफगानिस्तान की डेमोक्रेटिक सरकार ने दो डॉलर (करीब 150 रुपये) प्रतिदिन की कमाई को गरीबी रेखा मापने का मानक बनाया था. तालिबान राज में लोगों की हालत और खराब होगी.

Last Updated : Aug 20, 2021, 8:34 PM IST

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