नई दिल्ली: कांग्रेस आलाकमान ने बुधवार को पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह का इस्तीफा स्वीकार कर लिया, लेकिन ऐसा नहीं लगता कि उनके इस्तीफे को स्वीकार करने से पार्टी की राज्य इकाई के बीच लंबे समय से चली आ रही खींचतान खत्म हो जाएगी.
इससे पहले कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अपना इस्तीफा देते हुए कांग्रेस पार्टी को चेतावनी दी थी कि वह उन विधायकों और मंत्रियों की सूची सार्वजनिक करेंगे जो अवैध बालू खनन में शामिल थे.
पार्टी आलाकमान को पत्र में कैप्टन ने लिखा कि जहां तक अवैध रेत खनन के मुद्दे का सवाल है, दुर्भाग्य से इसमें बड़ी संख्या में कांग्रेस के विधायक और मंत्री शामिल थे. अमरिंदर सिंह ने पत्र में लिखा कि मुझे लगा कि इससे पार्टी को शर्मिंदगी उठानी पड़ेगी. उन्होंने लिखा कि अब मैं इन सभी के नाम सार्वजनिक करुंगा क्योंकि यह मुझे पंजाब सरकार (एसआईसी) और राज्य खुफिया द्वारा मिले हैं.
वहीं, कांग्रेस सांसद और अमरिंदर के करीबी माने जाने वाले गुरजीत औजला ने भी उनका समर्थन किया है. उन्होंने ट्वीट किया कि कैप्टन अमरिंदर, मैं ही नहीं, पूरी दुनिया के पंजाबियों को उम्मीद है कि आप मंत्रियों, राजनीतिक लोगों और नौकरशाहों के नामों का खुलासा करेंगे. उन्होंने लिखा कि पुलिस अधिकारी रेत और अन्य माफियाओं द्वारा नशीली दवाओं के प्रसार और लूट के लिए जिम्मेदार हैं और अगर आपको अभी भी आरक्षण मिला है तो स्पष्ट रूप से दूसरी पार्टी न बनाएं.
वहीं, अभी भी 'कैप्टन' और सिद्धू के बीच मनमुटाव जारी है. जिसे पूर्व सीएम ने अपने पत्र में उजागर किया है. उन्होंने अपने पत्र में सिद्धू को 'पाकिस्तानी गहरे राज्य का अनुचर' और 'अस्थिर दिमाग का व्यक्ति' बताया जबकि सिद्धू ने कैप्टन को 'धोखाधड़ी, कायर और खर्चीला कारतूस' कहकर उन पर निशाना साधा. इसके साथ-साथ पंजाब कांग्रेस में भी मतभेद दिखाए दे रहे हैं, राज्य के महाधिवक्ता (एजी) की नियुक्ति को लेकर विचारों के टकराव के मद्देनजर कांग्रेस पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी और पीसीसी प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू के बीच एक असहज संघर्ष देख रही है, जो शायद बिना किसी फैसले के एक बिंदु पर पहुंच गया है.
इससे पहले खबर आई थी कि एएस देओल ने एजी के पद से इस्तीफा दे दिया है. देओल के इस्तीफे की चन्नी की स्वीकृति कथित तौर पर सिद्धू को शांत करने और उन्हें पीसीसी प्रमुख के पद से अपना इस्तीफा आधिकारिक रूप से वापस लेने के लिए मनाने के उस पार्टी के प्रयासों का हिस्सा है, लेकिन इसके बजाय सिद्धू ने एक सार्वजनिक कार्यक्रम में चन्नी और उनकी सरकार की नीतियों पर तीखे हमले भी किए थे. हालांकि अगले ही दिन दोनों नेता पंजाब कांग्रेस प्रभारी हरीश चौधरी के साथ केदारनाथ गए. उन्होंने पंजाब कांग्रेस के पूर्व प्रभारी हरीश रावत के साथ देहरादून स्थित उनके आवास पर एक बैठक भी की.
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इस कदम की खुद पार्टी नेताओं ने आलोचना की थी. पंजाब कांग्रेस सांसद रवनीत बिट्टू ने ट्विटर पर एक तस्वीर साझा करते हुए कहा, 'पंजाब कांग्रेस का 'संयुक्त चेहरा', लेकिन उत्तराखंड में क्यों पंजाब में क्यों नहीं.
पंजाब कांग्रेस के पूर्व प्रमुख सुनील जाखड़ ने भी इस मामले पर ट्वीट करते हुए कहा, राजनीतिक' तीर्थयात्री, लेकिन हर कोई एक अलग देवता को खुश करने की कोशिश कर रहा है.