नाहन : वैसे तो सरकार, सरकारी स्कूलों (government schools) में बेहतर से बेहतर शिक्षा प्रदान करने के लिए प्रयासरत है. लेकिन कुछ स्कूल प्रबंधन ऐसे भी उदाहरण पेश करते हैं जहां पर बच्चों को कुछ हटकर शिक्षा देने का प्रयास किया जाए. जी हां, कुछ ऐसा ही अनूठा प्रयास हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले (Sirmaur District) में भी एक सरकारी स्कूल प्रबंधन ने किया है. बात पांवटा साहिब तहसील के अंतर्गत आने वाले राजकीय उच्च पाठशाला नौरंगाबाद (Government High School Naurangabad) की हो रही है. यह स्कूल हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) का एक ऐसा पहला स्कूल बना है जहां पर स्कूली बच्चों के लिए मिनी सिनेमाघर (mini cinema house) की सुविधा मुहैया करवाई गई है.
स्कूल के मुख्य अध्यापक संजीव अत्री के प्रयासों से स्कूल में इस अनूठी पहल की शुरुआत की गई है. दरअसल, स्कूल में मिनी सिनेमाघर (mini cinema house) को शुरू करने का खास मकसद यह है कि पढ़ाई के प्रति छात्रों की रुचि को बढ़ाया जा सके और अकसर स्कूल आने से कतराने वाले बच्चों को स्कूल आने के लिए प्रेरित किया जा सके. बता दें कि यह क्षेत्र गुज्जर बहुल इलाका (Gujjar majority area) है. यही वजह है कि बच्चे यहां स्कूल आने से कतराते थे. लिहाजा मिनी सिनेमाघर स्थापित होने के बाद गुज्जर बहुल इलाके के बच्चों की स्कूल आने के लिए रुचि बढ़ने लगी है. स्कूल के एक पुराने कमरे को सिनेमा घर का लुक दिया गया है.
स्कूल के मुख्य अध्यापक संजीव अत्री (Head Teacher Sanjeev Attri) ने बताया कि मिनी सिनेमाघर (mini cinema house) के लिए पाठ्य विषय से जुड़ीं 300 फिल्मों का संग्रह किया गया है. साथ ही करीब 1500 ज्ञानवर्धक विजुअल्स (knowledgeable visuals) भी हैं. सिनेमाघर में परदे लगाए गए हैं. प्रोजेक्टर के माध्यम से बच्चों को फिल्में दिखाई जा रही हैं. सिनेमाघर इस तरह तैयार किया गया है जहां सिनेमा से जुड़े कैमरा, क्रैप बोर्ड, प्रोजेक्टर, रील के साथ फिल्म की टेक्नालॉजी भी बच्चे सीख सकते हैं.
उन्होंने बताया कि पांवटा साहिब के दूरदराज क्षेत्र में स्थापित इस स्कूल में छठी से दसवीं तक 86 विद्यार्थी अध्ययनरत (Studying) हैं. यहां अधिकतर गुज्जर समुदाय (Gujjar community) से जुड़े बच्चे शिक्षारत हैं. संजीव अत्री ने बताया कि सिनेमा का सकारात्मक प्रयोग शैक्षणिक प्रक्रिया में काफी प्रभावी है. उन्होंने बताया कि ये फिल्में नेशनल फिल्म डेवलपमेंट कारपोरेशन (National Film Development Corporation), चिल्ड्रन फिल्म सोसायटी ऑफ इंडिया (Children Film Society of India) और मीडिया सेंटर (Media Center) जैसी संस्थाओं के माध्यम से एकत्रित की गई हैं और कुछ फिल्में खरीदी गई हैं. अधिकतर फिल्में सामग्री पाठ्य विषयों से संबंधित हैं.
संजीव अत्री ने बताया कि स्कूल के इस प्रयास से बच्चों की दैनिक उपस्थिति पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है. विद्यालय का यह सिनेमाघर वर्क स्टूडियो परियोजना (work studio project) के तहत शुरू किया गया है. शुरुआती दौर में बच्चों को हर शनिवार को फिल्म दिखाई जा रही है. सिनेमाघर को सिनेमा से जुड़ीं तस्वीरों से सुसज्जित किया गया है.
दूसरी तरफ स्कूल की अध्यापिका शालिनी वर्मा ने बताया कि स्कूल में तैयार किए गए मिनी सिनेमाघर (mini cinema house) में बच्चों को अलग-अलग विषयों पर महत्वपूर्ण जानकारी दी जाती है. यह फिल्म ज्ञानवर्धक है. इससे बच्चों को जहां शिक्षा में बहुत अधिक फायदा हो रहा है, तो वहीं उनका मनोरंजन भी हो रहा है. साथ ही बच्चे भी ज्यादा से ज्यादा स्कूल आकर आसानी से विषय को समझ रहे हैं. वहीं, स्कूल की अन्य अध्यापिका रजनी ने बताया कि नौरंगाबाद दुर्गम क्षेत्र होने के कारण यहां अधिकतर गुज्जर समुदाय के लोग रहते हैं. लिहाजा अभिभावक व बच्चे शिक्षा को लेकर ज्यादा रुचि नहीं लेते हैं. ऐसे में बच्चों के मनोरंजन के साथ-साथ शिक्षा में रुचि बढ़ाने के लिए यह मिनी सिनेमाघर (mini cinema house) तैयार किया गया है. इसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिल रहे हैं और बच्चे स्कूल आने लगे हैं.
वहीं, नौरंगाबाद स्कूल के बच्चे भी स्कूल परिसर में मिनी सिनेमाघर (mini cinema house) शुरू होने से बेहद उत्साहित हैं. इश दौरान बच्चों ने बताया कि सिनेमाघर शुरू होने से जहां उनका मनोरंजन हो रहा है तो वहीं उनकी शिक्षा भी सरल हुई है. इससे स्कूल आने का भी मन करता है. कुल मिलाकर स्कूल प्रबंधन का प्रयास है कि इस छोटे से मिनी सिनेमाघर में आने वाले दिनों में वह सभी सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाएं जोकि असल सिनेमाघरों में होती है.
पढ़ेंः Rezang La Memorial : सन 1962 के युद्ध के जांबाज को रक्षा मंत्री ने कुछ इस अंदाज में दिया सम्मान