कासरगोड : केरल के कासरगोड में चिकन से बनी डिश शावरमा (Shawarma) खाने के बाद एक लड़की की मौत और 48 लोगों के गंभीर होने के बाद फूड सेफ्टी डिपार्टमेंट एक्टिव हो गया है. लोगों के गुस्से और पथराव की आशंका के मद्देनजर शावरमा बेचने वाले रेस्टोरेंट 'कूल बार' के बाहर पुलिस को तैनात किया गया है. पुलिस ने रेस्टोरेंट के मालिक के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर उसके दो कर्मचारियों को गिरफ्तार किया है.
इस बीच डॉक्टरों ने बताया कि शवर्मा खाने वाले एक और बच्चे की स्थिति नाजुक बनी हुई है. उसे कोझीकोड मेडिकल कॉलेज में एडमिट कराया गया है. इसके अलावा विभिन्न हॉस्पिटल्स में शवर्मा खाने वाले 48 लोगों का इलाज किया जा रहा है. शनिवार रात में रेस्टोरेंट पर लोगों के पथराव के बाद पुलिस ने इलाके में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी है. इलाके में अभी भी तनाव बना हुआ है.
प्लस वन की स्टूडेंट ई वी देवानंद (16 वर्ष) की कासरगोड के चेरुवथुर स्थित कूल बार से शावरमा खाने से मौत हो गई. उसने अपने दोस्तों के साथ शुक्रवार को आइडियल फूड्स कूल बार से शावरमा खाया था. शनिवार को बच्ची को बुखार आया. उसने पेट दर्द, उल्टी और दस्त की शिकायत भी की. घर के लोगों ने उसे पहले सरकारी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया , जहां से डॉक्टरों ने उसे कान्हागढ़ जिला अस्पताल के लिए रेफर कर दिया. इलाज के दौरान अस्पताल में उसकी मौत हो गई. सोमवार शाम तक शावरमा खाने वाले अन्य तीन बच्चों का इलाज आईसीयू में चल रहा था. डॉक्टरों ने कहा कि उनमें से एक बच्चे के किडनी और अन्य दो में हार्ट संबंधी प्रॉब्लम है.
इस बीच, कासरगोड डिस्ट्रिक्ट मेडिकल अफसर ने उन लोगों से अस्पताल में इलाज कराने की अपील की है, जिन्होंने पिछले दो दिनों में कूल बार में खाना खाया था. डीएमओ ने कहा कि अगर किसी को किसी भी तरह की दिक्कत हो रही हो तो तुरंत अस्पताल जाएं. डिस्ट्रिक्ट मेडिकल अफसर ने आशंका जताई कि सड़े-गले मांस के कारण शावरमा जहरीला हो गया होगा. इसके अलावा खाना पकाने के दौरान या पकाए गए भोजन को स्टोर करते समय लापरवाही से फूड पॉइज़निंग (food poisoning) हो सकती है. शावरमा और बर्गर जैसे फूड प्रोडक्ट स्टोर किए गए मीट से बनाए जाते हैं.
उन्होंने कहा कि खराब टेंपरेटर पर रखे गए फूड प्रोडक्ट भी पॉइजनिंग के कारण बन सकते हैं. म्योनेज आधे पके हुए अंडे का उपयोग करके बनाया जाता है, लेकिन ज्यादातर मामलों में लोग मेयोनेज़ बनाने के लिए कच्चे अंडे का इस्तेमाल करते हैं और इससे साल्मोनेला वायरस का संक्रमण हो सकता है. डॉक्टर ने कहा कि मांस, मछली, दूध, मिल्क प्रोडक्ट और अंडे से बने भोजन में जीवाणु बहुत तेजी से बढ़ते हैं. इनसे बने भोजन को निर्धारित तापमान पर रखना जरूरी है.
क्या हैं फूड पॉइजनिंग के लक्षण (Main Symptoms of food poisoning) : डॉक्टरों के अनुसार, खाना खाने के कुछ घंटे भीतर या 24 घंटे बाद यदि जी मिचलाना, उल्टी, बदन दर्द, पित्त, दस्त और पेट दर्द होता हो इसे फूड पॉइजनिंग के लक्षण मानना चाहिए. फूड पॉइजनिंग का असर दिमाग और नर्व सिस्टम पर पड़ता है और इससे मौत भी हो सकती है. यदि फूड पॉइजनिंग गंभीर नहीं है, तो आमतौर पर इसका इलाज हाइड्रेशन थेरेपी से किया जाता है. ऐसी स्थिति में रोगी को ढेर सारा उबला और ठंडा पानी, नारियल पानी या ओआरएस का घोल पिलाना चाहिए. यदि रोगी को लगातार उल्टी-दस्त हो रहा हो और मल में खून के धब्बे दिखे तो उसे तुरंत हॉस्पिटल में एडमिट करना जरूरी है.
सावधानी ही बचाव है (Prevention is the best cure) : फूड पॉइजनिंग से बचने के लिए साफ सफाई ज्यादा जरूरी है. किचन और आसपास के क्षेत्रों को हमेशा साफ रखना चाहिए. खाना बनाने से पहले हाथों को साबुन से धोना चाहिए. खाना बनाने के लिए साफ बर्तन ही इस्तेमाल जरूरी है. मांस, मछली, अंडे और सब्जियों के अवशेषों को किचन में नहीं रखें. ऐसे भोजन को नहीं खाएं, जो सड़ा-गला हो. सब्जियों को इस्तेमाल करने से पहले नमक और सिरके से धोना भी बेहतर तरीका है. फ्रिज में पुराना और सड़ा हुआ खाना न रखें और न ही खाएं. पैकेज्ड फूड का उपयोग एक्सपायरी डेट के बाद नहीं करें. यात्रा के दौरान वेज खाने को प्रॉयरिटी दें.
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