नई दिल्ली: रामभक्त बजरंग बली को कई नामों से जाना जाता है. भगवान हनुमान को हर समस्या का संकटमोचक भी माना जाता है. हनुमान जी के भक्तों पर उनका आशीर्वाद हमेशा बना रहता है. हनुमान जी कलयुग में जागृत देव हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हनुमान जी को प्रसन्न करना काफी आसान होता है. हनुमान जी की कृपा से सभी तरह की मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. हर साल चैत्र शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को हनुमान जी का जन्मोत्सव मनाया जाता है. इसी पावन दिन माता अंजनी की कोख से हनुमान जी ने जन्म लिया था. इस दिन को बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है.
ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि चैत्र माह की पूर्णिमा तिथि 16 अप्रैल को हनुमान जयंती मनाई जाएगी. इस दिन हनुमान भक्त हनुमान जी का जन्मोत्सव मनाएंगे. पूर्णिमा तिथि सुबह 02:25 से शुरू होगी, जो रात्रि 12:24 मिनट पर समाप्त होगी. इसी दिन रवि योग, हस्त व चित्रा नक्षत्र भी रहेगा. रवि योग सुबह 05:55 से शुरू होगा, जो रात्रि 08:40 तक रहेगा, उसके बाद चित्रा नक्षत्र शुरू होगा. हस्त नक्षत्र सुबह 08:40 बजे तक ही रहेगा. इस साल हनुमान जन्मोत्सव कई शुभ योगों और शुभ मुहूर्त में मनाई जाएगी.
ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि बचपन में सूर्य को फल समझकर खा जाने वाले महाबली हनुमान का अवतार शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को हुआ था, यानी रामनवमी के ठीक छह दिन बाद. बड़े-बड़े पर्वत उठाने वाले, समुद्र लांघ जाने वाले, स्वयं ईश्वर का कार्य संवारने वाले संकटमोचन का अवतरण दिवस नजदीक है. ये पर्व विश्वभर में हनुमत भक्तों द्वारा धूमधाम से मनाया जाता है. मान्यता है कि हनुमान जयंती के दिन विधि विधान से बजरंगबली की पूजा अर्चना करने से सभी विघ्न-बाधाओं का अंत होता है और मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है. हनुमानजी के पथ पर चलने वालों को कोई भी संकट नहीं मिलता है. हनुमान जयंती पर भगवान हनुमान की पूजा-आराधना का विशेष महत्व होता है.
मुहूर्त : पंचांग के अनुसार इस साल चैत्र की पूर्णिमा 16 अप्रैल को रात 02.25 बजे शुरू हो रही है. 16 और 17 अप्रैल की मध्यरात्रि 12.24 बजे तिथि का समापन होगा. चूंकि 16 अप्रैल, शनिवार के सूर्योदय को पूर्णिमा तिथि मिल रही है, तो उदयातिथि होने के नाते हनुमान जयंती 16 अप्रैल को मनाई जाएगी. इस दिन ही व्रत रखा जाएगा और हनुमानजी का जन्म उत्सव मनाया जाएगा. इस बार की हनुमान जयंती रवि योग, हस्त एवं चित्रा नक्षत्र में है. 16 अप्रैल को हस्त नक्षत्र सुबह 08:40 बजे तक है, उसके बाद से चित्रा नक्षत्र शुरू होगा. इस दिन रवि योग प्रात: 05:55 बजे से शुरू हो रहा है वहीं इसका समापन 08:40 बजे होगा.
भगवान शिव के अवतार हैं हनुमान : भगवान हनुमान को महादेव शंकर का 11वां अवतार भी माना जाता है. हनुमान जी की पूजा करने और व्रत रखने से हनुमान जी का आर्शीवाद प्राप्त होता है और जीवन में किसी प्रकार का संकट नहीं आता है, इसलिए हनुमान जी को संकट मोचक भी कहा गया है. जिन लोगों की कुंडली में शनि अशुभ स्थिति में हैं या फिर शनि की साढ़ेसाती चल रही है, उन लोगों को हनुमान जी की पूजा विधि करनी चाहिए. ऐसा करने से शनि ग्रह से जुड़ी दिक्कतें दूर हो जाती हैं. हनुमान जी को मंगलकारी कहा गया है, इसलिए इनकी पूजा जीवन में मंगल लेकर आती है.
हनुमान जी के ये 12 नाम लेने से सभी बिगड़ें काम बन जाते हैं-
ॐ हनुमान ॐ अंजनी सुत ॐ वायु पुत्र ॐ महाबल ॐ रामेष्ठ,
ॐ फाल्गुण सखा ॐ पिंगाक्ष ॐ अमित विक्रम ॐ उदधिक्रमण,
ॐ सीता शोक विनाशन ॐ लक्ष्मण प्राण दाता ॐ दशग्रीव दर्पहा।।
हनुमान जी को प्रसन्न करने के राशि अनुसार मंत्र-
भगवान हनुमान की पूजा विधि : हनुमान जी का जन्म सूर्योदय के समय हुआ था. इसलिए हनुमान जयंती के दिन ब्रह्म मुहूर्त में पूजा करना अच्छा माना गया है. हनुमान जन्मोत्सव के दिन जातक को ब्रह्म मुहूर्त में उठना चाहिए. इसके बाद घर की साफ-सफाई करने के बाद गंगाजल का छिड़काव कर घर को पवित्र कर लें. स्नान आदि के बाद हनुमान मंदिर या घर पर पूजा करनी चाहिए. पूजा के दौरान हनुमान जी को सिंदूर और चोला अर्पित करना चाहिए. मान्यता है कि चमेली का तेल अर्पित करने से हनुमान जी प्रसन्न होते हैं. पूजा के दौरान सभी देवी-देवताओं को जल और पंचामृत अर्पित करें इसके बाद अबीर, गुलाल, अक्षत, फूल, धूप-दीप और भोग आदि लगाकर पूजा करें. सरसों के तेल का दीपक जलाएं. हनुमान जी को विशेष पान का बीड़ा चढ़ाएं. इसमें गुलकंद, बादाम कतरी डालें. ऐसा करने से भगवान की विशेष कृपा आपको मिलती है. हनुमान चालीसा, सुंदरकांड और हनुमान आरती का पाठ करें. आरती के बाद प्रसाद वितरित करें.
महत्व : धार्मिक मान्यता है कि हनुमान जयंती के अवसर पर विधि-विधान से बजरंगबली की पूजा-अर्चना करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है, लेकिन ध्यान रहे हनुमान जी की पूजा करते समय राम दरबार का पूजन अवश्य करें, क्योंकि माना जाता है कि राम जी की पूजा के बिना हनुमान जी की पूजा अधूरी रहती है.
हनुमान जन्म कथा : शास्त्रों में हनुमान जी के जन्म को लेकर कई मान्यताएं प्रचलित हैं. पौराणिक मान्यता के अनुसार, एक बार स्वर्ग में दुर्वासा द्वारा आयोजित सभा में स्वर्ग के राजा इंद्र भी उपस्थित थे. उस समय पुंजिकस्थली नामक अप्सरा ने बिना किसी प्रयोजन के सभा में दखल देकर उपस्थित देवगणों का ध्यान भटकाने की कोशिश की. इससे नाराज होकर ऋषि दुर्वासा ने पुंजिकस्थली को बंदरिया बनने का श्राप दे दिया. यह सुन पुंजिकस्थली रोने लगी, तब ऋषि दुर्वासा ने कहा कि अगले जन्म में तुम्हारी शादी बंदरों के देवता से होगी. साथ ही पुत्र भी बंदर प्राप्त होगा. अगले जन्म में माता अंजनी की शादी बंदर भगवान केसरी से हुई और फिर माता अंजनी के घर हनुमान जी का जन्म हुआ.
एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार, राजा दशरथ ने संतान प्राप्ति के लिए यज्ञ करवाया था. इस यज्ञ से प्राप्त हवि को खाकर राजा दशरथ की पत्नियां गर्भवती हुईं. इस हवि के कुछ अंश को एक गरुड़ लेकर उड़ गया और उस जगह पर गिरा दिया, जहां माता अंजनी पुत्र प्राप्ति के लिए तप कर रही थीं. माता अंजनी ने हवि को स्वीकार कर ग्रहण किया. इस हवि से माता अंजनी गर्भवती हो गईं और गर्भ से हनुमान जी का जन्म हुआ.
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