न्यूयार्क. ई-सिगरेट पीने वालों की यह धारणा है कि यह आम सिगरेट जैसे सेहत को नुकसान नहीं पहुंचाती है. यही कारण है कि ई-सिगरेट दुनिया भर में युवाओं की पसंद बन रही है. मगर ऐसा सोचना गलत है. अमेरिका की कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी ने ई-सिगरेट के कारण सेहत को होने वाले नुकसानों की स्टडी की है. रिसर्च में यह दावा किया गया है कि पॉड बेस्ड ई-सिगरेट की लत से ब्रेन, हार्ट, लंग्स और आंतों में सूजन आ जाती है. इसके अलावा इम्यून सिस्टम के कमजोर होने से शरीर में संक्रमण से लड़ने की क्षमता भी कम हो जाती है. फ्लेवर के हिसाब से इसका असर भी अलग-अलग पाया गया है.
कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के रिसर्च जनरल के अनुसार, ई-सिगरेट से होने वाले प्रभावों की स्टडी के लिए चूहों को दिन में तीन बार टीम एरोसोल दिया गया. चूहों को तीन महीने तक लगातार फ्लेवर्ड एरोसोल दिया जाता रहा. इसके बाद जब रिसर्चर्स ने उनकी बॉडी की स्टडी को तो उनके दिमाग में सूजन दिखा. इसके अलावा कई अंगों पर भी इसका असर दिखा. कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ मेडिसिन में एसोसिएट प्रोफेसर लौरा क्रॉटी अलेक्जेंडर के अनुसार, जांच के बाद रिसर्चर्स इस नतीजो पर पहुंचे कि ई-सिगरेट की लत चिंता और डिप्रेशन को बढ़ा सकती है. इसके अलावा यह लोगों में नशे की लत को भी और बढ़ा देता है.
सिर्फ एक महीने तक ई-सिगरेट पीने से पेट खासकर आंतों की बीमारियां होने का खतरा बढ़ सकता है. यानी जो लोग लंबे समय से ई-सिगरेट के धुआं रहित नशे का लुत्फ ले रहे हैं, वह इसका शिकार आसानी से हो सकते हैं. इसके अलावा यह कार्डियक टिश्यू को संक्रमण के प्रति संवेदनशील बनाती है, इससे फेफड़े में सूजन आ जाती है. चूंकि सूजन का स्तर हर अंगों के लिए अलग-अलग है, इसलिए इसका असर लंबे समय के बाद भी देखा जा सकता है. प्रयोग के दौरान यह भी सामने आया कि जिन चूहों को पुदीने वाले एरोसोल दिए गए थे, उन पर बैक्टीरियल निमोनिया का असर भी अधिक पड़ा था.
पिछले साल सितंबर में यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) ने ई-सिगरेट और ई-लिक्विड जैसे 946,000 से अधिक फ्लेवर्ड इलेक्ट्रॉनिक निकोटीन प्रोडक्ट की बिक्री रोक दी थी. एफडीए ने इन फ्लेवर्ड निकोटिन प्रोडक्ट को सेहत के लिए नुकसान दायक बताया था. एफडीए के अनुसार, 12 से 17 वर्ष की आयु के 80 प्रतिशत से अधिक युवा ई-सिगरेट के साथ, फ्लेवर्ड तंबाकू का सेवन करते हैं, इसलिए, इसके उपयोग के संभावित प्रभाव का आकलन करना अनिवार्य है.
पढ़ें : स्वीटनर्स के इस्तेमाल से बढ़ता है कई तरह के कैंसर का खतरा: शोध