नई दिल्ली : भारत के मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice of India) एनवी रमना (NV Ramana) ने बुधवार को कहा कि निर्णय लेने की प्रक्रिया कानून के ज्ञान से भी परे है, यह नैतिक साहस (moral courage), अखंडता और निष्पक्षता (integrity and impartialty) से जुढ़ी है. न्यायाधीशों के लिए निष्पक्षता कोई आसान गुण नहीं है, क्योंकि वे अपने खुद के अनुभव के साथ आते हैं, लेकिन एक न्यायाधीश होने के नाते उन्हें निष्पक्ष रहना पड़ता है.
CJI रमना न्यायमूर्ति ने यह बात जस्टिस नवीन सिन्हा (Justice Navin Sinha ) के आभासी विदाई समारोह (virtual farewell ceremony) में कही.
बता दें कि जस्टिस नवीन सिन्हा ने आज उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में अपना पद छोड़ दिया. CJI रमना ने न्यायमूर्ति सिन्हा का हवाला देते हुए कहा कि एक बार उन्होंने कहा था कि सही काम करना समस्या नहीं है, यह जानना चुनौती है कि सही काम क्या है?'
CJI ने कहा कि जज टाइट रोप (tight rope) पर चलते हैं और जस्टिस सिन्हा ने हमेशा कानून के मानवीय पक्ष को संतुलित किया है.
इस अवसर पर न्यायमूर्ति सिन्हा ने प्रधान न्यायाधीश और अधिवक्ताओं का धन्यवाद व्यक्त किया. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायमूर्ति सिन्हा की सेवानिवृत्ति पर कहा, 'कानूनी समुदाय के लिए आज का दिन बड़े दुख का दिन है.'
वहीं, न्यायमूर्ति सिन्हा ने अपने विदाई कार्यक्रम में बोलते हुए कहा कि एक न्यायाधीश का जीवन बेहद कठिन होता है और मेरा मतलब केवल काम का दबाव नहीं है.'
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उन्होंने कहा कि एक न्यायाधीश, चाहे उसने कितनी भी अच्छी तरह से संक्षिप्त पढ़ा हो, उसे अंत तक खुले दिमाग से बैठना पड़ता है. जस्टिस सिन्हा ने 1979 में एक वकील के रूप में अपना करियर शुरू किया.
बाद में उन्हें जज के रूप में पदोन्नत किया गया. उन्होंने राजस्थान, पटना और छत्तीसगढ़ के उच्च न्यायालयों में न्यायाधीश के रूप में कार्य किया है. वे राजस्थान उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice of Rajasthan High Court) रहे.