हैदराबाद: राफेल लड़ाकू विमानों (Rafale Fighter Jets) के भारत आने के बाद से ही चीन और पाकिस्तान में खलबली मची हुई ही थी कि बुधवार को इन पड़ोसी मुल्कों की टेंशन तब और बढ़ गई, जब भारतीय वायु सेना ने पश्चिम बंगाल के हासीमारा एयरबेस पर इस फाइटर जेट की दूसरी स्क्वाड्रन को चालू कर दिया. भारत के इस अचूक 'रामबाण' अस्त्र का काट चीन और पाकिस्तान के पास नहीं है. हालांकि, इसके मुकाबले चीन के जे-20 चेंगदू में पांचवी पीढ़ी का लड़ाकू विमान बताया जाता है. लेकिन, चीन के जे-20 का कोई युद्ध का अनुभव नहीं है, वहीं राफेल कई मिशनों पर सफल प्रदर्शन कर चुका है.
राफेल की युद्ध क्षमता अफगानिस्तान, लीबिया, ईराक और सीरिया में फ्रांसीसी वायु सेना के मिशन में साबित हो चुकी है. गति के मामले में यह पाकिस्तान के बेड़े में शामिल मूल रूप से अमेरिका के लिए जनरल डायनेमिक्स द्वारा विकसित लड़ाकू विमान एफ-16 को भी मात देता है. आइए जानते हैं राफेल विमानों की खासियतों के बारे में...
दरअसल, भारत और फ्रांस के बीच हुए करार के मुताबिक, भारत को फ्रांस से कुल 36 राफेल फाइटर जेट मिलने हैं. पहले पांच राफेल विमानों का पहला बेड़ा 28 जुलाई को भारत पहुंचा था. इन्हें 10 सितंबर 2020 को भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया था. अब तक फ्रांस से मिलने वाली राफेल विमानों की सातवीं खेप में बीती 21 जुलाई को 3 और फाइटर जेट भारत पहुंच गए.
इन विमानों को भारतीय वायु सेना (Indian Air Force) के दूसरे स्क्वाड्रन में शामिल किया जाएगा, जिसे चीन की सीमा के करीब बंगाल के हासिमारा एयरबेस पर बनाया गया है. इसके साथ ही फ्रांस से अब तक 24 राफेल विमान मिल चुके हैं. दोनों देशों के बीच हुए सौदे के तहत भारत को कुल 36 राफेल विमान मिलने हैं. राफेल विमानों का पहला स्क्वाड्रन अंबाला वायु सेना स्टेशन में है. एक स्क्वाड्रन में करीब 18 लड़ाकू विमान होते हैं.
पहली स्क्वाड्रन पाकिस्तानी सीमा पर होगी तैनात
लगभग चार साल पहले भारत ने करीब 59,000 करोड़ रुपये की लागत से 36 विमानों की खरीद के लिए फ्रांस के साथ एक अंतर-सरकारी समझौते पर हस्ताक्षर किया था. वर्तमान में वायु सेना के पास 3 और विमानों के आने से इनकी संख्या 24 हो गई. शेष विमान 2022 तक आने की उम्मीद है. पहली स्क्वाड्रन पाकिस्तान से लगती पश्चिमी सीमा और उत्तरी सीमा की निगरानी करेगी.
दूसरी स्क्वाड्रन भारत के पूर्वी सीमा क्षेत्र की निगरानी करेगी. फ्रांस निर्मित पांच राफेल लड़ाकू विमानों को पिछले साल 10 सितंबर को अंबाला में हुए एक समारोह में वायु सेना में औपचारिक रूप से शामिल किया गया था।.बाद में विमानों की और खेप भी भारत पहुंची थी.
राफेल विमान के बारे में 10 इंटरेस्टिंग फैक्ट्स
- राफेल लड़ाकू विमानों चीनी विमान जे-20 के मुकाबले अधिक ईंधन और हथियार लेकर जाने में सक्षम है. राफेल विमानों की अलग-अलग किस्म के और अलग-अलग मारक क्षमता वाले 14 हथियारों से लैस किया जा सकता है.
- राफेल की टॉप स्पीड 2,130 किमी प्रति घंटा है यही वजह है कि इसका नाम राफेल रखा गया क्योंकि फ्रेंच में राफेल का मतलब होता है हवाओं का झोंका.
- राफेल की रेंज 3,700 किमी है और यह 6 हवा से हवा में आक्रमण करने वाली मिसाइल भी ले जा सकता है.
- राफेल में 5 हार्ड प्वाइंट्स हैं जो 1200 किलोग्राम से ज्यादा का भार उठा सकते हैं.
- राफेल में तीन तरह की मिसाइल लगाई जा सकती है. इनमें हवा से हवा में मार करने वाली मीटियोर मिसाइल, हवा से जमीन पर मार करने वाली स्कैल्प मिसाइल और हैमर मिसाइल.
- राफेल का रेट ऑफ क्लाइंब यानी स्टार्ट होते ही ऊंचाई पर पहुंचने की क्षमता 300 मीटर प्रति सेकेंड है, जो चीन और पाकिस्तान के किसी भी फाइटर जेट को मात देता है.
- राफेल लड़ाकू विमान अभी अंबाला एयरबेस पर तैनात हैं, जो चीन और पाकिस्तान सीमा के पास है. किसी भी परिस्थिति में ये बिल्कुल भारत के लिए फायदेमंद हो सकता है. साथ ही भारतीय वायु सेना (Indian Air Force) के दूसरे स्क्वाड्रन जिसे चीन की सीमा के करीब बंगाल के हासिमारा एयरबेस पर बनाया गया है, वहां अब हाल ही में आए राफेल को रखा जाएगा.
- भारत को मिले राफेल लड़ाकू विमान करीब 24,500 किलोग्राम तक का भार उठाकर ले जाने के लिए सक्षम हैं, साथ ही 60 घंटे अतिरिक्त उड़ान की भी गारंटी है.
- राफेल पर लगी गन एक मिनट में 2500 फायर करने में सक्षम है. राफेल में जितना तगड़ा रडार सिस्टम है, ये 100 किलोमीटर के दायरे में एकबार में एकसाथ 40 टारगेट की पहचान कर सकता है.
- लद्दाख सीमा के हिसाब से देखें तो राफेल लड़ाकू विमान फिट बैठता है. राफेल ओमनी रोल लड़ाकू विमान है. यह पहाड़ों पर कम जगह में उतर सकता है. इसे समुद्र में चलते हुए समुद्र पोत पर लैंड कराया जा सकता है.