हैदराबाद : भाजपा नेताओं ने कार्यकरिणी की बैठक में तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव (केसीआर) पर जमकर हमला बोला. 2023 में तेलंगाना में विधानसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में भाजपा केसीआर सरकार की नाकामियों को उजागर कर अभी से चुनाव की तैयारी में जुट गई है. यही वजह है कि युवाओं और किसानों के मुद्दे के साथ ही भाजपा ने परिवारवाद को भी अपने एजेंडे में रखा.
गृह मंत्री अमित शाह ने तेलंगाना में परिवारवाद का मुद्दा उठाया. शाह ने कहा कि परिवारवाद से अब जनता मुक्ति चाहती है. अलगाववाद, जातिवाद और परिवारवाद की राजनीति अब देश में खत्म हो गई है. देश में सिर्फ विकासवाद की राजनीति होगी और चलेगी भी. केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि तेलंगाना की युवा शक्ति ने तेलंगाना के लिए सुप्रीम सैक्रिफाइस दिया. अपनी जान का बलिदान दिया. बड़े संघर्ष के बाद एक ऐसा राज्य बना, लेकिन आठ सालों में टीआरएस की सरकार ने इसे खत्म कर दिया. उन्होंने कहा कि मैं समझता हूं कि तेलंगाना में चाहे वह किसान हों, या दलित शोषित वंचित सभी की उम्मीदें टिकी थीं. लेकिन वह पूरी नहीं हुईं. तेलंगाना की जनता को पूरे तौर पर ठगा गया. उन्होंने कहा कि उन्हें न तो सुविधाएं दी गईं और न ही नौकरी दी गई. इसलिए सभी वर्गों की उम्मीदें अब भाजपा पर टिकी हैं.
गोयल ने कहा कि हुजूराबाद का उदाहरण आप सबके सामने है. तेलंगाना सरकार ने भाजपा को हराने के लिए पूरी ताकत लगा दी थी, लेकिन जनता ने हमें जीत दिलाई. तेलंगाना की जनता अब डबल इंजन की सरकार के साथ चलेगी. तेलंगाना के प्रदेश अध्यक्ष संजय बंडी ने कहा कि हम सभी लोगों ने लड़ाई लड़कर तेलंगाना राज्य को बनाया था, लेकिन राज्य का विकास जिस तरह से होना चाहिए था, नहीं हुआ और ऐसा तेलंगाना सरकार के परिवारवाद की वजह से हुआ है. एक दिन पहले उन्होंने कहा था कि बाघ आते ही लोमड़ियां भाग जाती हैं. अब जब बाघ आया है तो वह (केसीआर) भाग रहा है, हम नहीं जानते कि वह ऐसा क्यों कर रहे हैं? आने वाले दिनों में यहां भगवा और कमल के झंडे फहराएंगे.
बंडी ने केसीआर पर निशाना साधते हुए कहा कि उनकी सरकार आएगी, तो केसीआर को जेल भेज देंगे. बंडी ने कहा कि ये ऐसे सीएम हैं, जो सीएमओ जाते ही नहीं हैं. उन्होंने आगे कहा कि ये कालेश्वरम प्रोजेक्ट की आड़ में भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहे हैं.
केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने भी सीएम केसीआर पर निशाना साधा था. ईरानी ने कहा था कि, 'आज तेलंगाना परिवारवाद की राजनीति कर रहा है और भारत कभी ऐसा नहीं करेगा. भारत कभी इस मॉडल को स्वीकार नहीं करेगा.' दरअसल भाजपा अभी से यह संदेश देना चाहती है कि तेलंगाना में टीआरएस का विकल्प कांग्रेस नहीं, बल्कि उनकी पार्टी है. पार्टी मोदी सरकार के आठ साल के कामकाज की बदौलत अपना प्रसार करना चाहती है.
दरअसल, भाजपा की इस आक्रामक रणनीति की वजह है. पार्टी को जीएचएमसी में जबरदस्त सफलता मिली थी. वह हुजूराबाद विधानसभा की सफलता से भी उत्साहित है. राज्य के कई बड़े नेताओं को वह साध रही है. इसी क्रम में पार्टी ने एटाला राजेंद्र को शामिल किया. वे केसीआर के काफी करीब थे. लाख विरोध के बावजूद वह चुनाव भी जीत गए. पार्टी एक रणनीति के तहत तेलंगाना की सभी 119 विधानसभा सीटों पर अपने बड़े नेताओं को भेज रही है.
पार्टी कार्यकारिणी की बैठक के बाद भी कई बड़े नेता तेलंगाना में रुकेंगे और वे अलग-अलग विधानसभाओं का दौरा करेंगे. वे कार्यकर्ताओं से मिलेंगे और इस पर एक रिपोर्ट शीर्ष नेताओं को सौंपेगे. उसके बाद पार्टी यह आकलन करेगी कि उसके प्रयास कहां तक आगे बढ़े हैं. पार्टी उसी अनुरूप आगे भी काम करेगी. पार्टी सूत्र बताते हैं कि तेलंगाना में कांग्रेस कमजोर है, इसलिए वह यहां पर राजनीतिक वैक्यूम को भरने का प्रयास कर रही है. उनका मानना है कि केसीआर के प्रशासन से जनता क्षुब्ध है, इसलिए उसका फायदा उठाने के लिए पार्टी को पूरा प्रयास करना चाहिए.
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