भोपाल : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मध्य प्रदेश के रायसेन में आयोजित प्रदेश स्तरीय कृषि महासम्मेलन को संबोधन किया. मोदी ने कहा कि देश के किसानों को याद दिलाऊंगा यूरिया की. याद करिए, 7-8 साल पहले यूरिया का क्या हाल था? रात-रात भर किसानों को यूरिया के लिए कतारों में खड़े रहना पड़ता था या नहीं? कई स्थानों पर, यूरिया के लिए किसानों पर लाठीचार्ज की खबरें आती थीं या नहीं?
पीएम ने कहा कि आज यूरिया की किल्लत की खबरें नहीं आती हैं, यूरिया के लिए किसानों को लाठी नहीं खानी पड़तीं. हमने किसानों की इस तकलीफ को दूर करने के लिए पूरी ईमानदारी से काम किया.
उन्होंने कहा कि ये कृषि सुधार कानून रातों-रात नहीं आए. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों कानूनों को लेकर कहा, 'बीते कई दिनों से देश में किसानों के लिए जो नए कानून बने, उनकी बहुत चर्चा है. ये कृषि सुधार कानून रातों-रात नहीं आए. पिछले 20-22 साल से हर सरकार ने इस पर व्यापक चर्चा की है. कम-अधिक सभी संगठनों ने इन पर विमर्श किया है. देश के किसान, किसानों के संगठन, कृषि एक्सपर्ट, कृषि अर्थशास्त्री, कृषि वैज्ञानिक, हमारे यहां के प्रोग्रेसिव किसान भी लगातार कृषि क्षेत्र में सुधार की मांग करते आए हैं.'
प्रधानमंत्री मोदी ने देश में पंजाब और हरियाणा के किसानों के आंदोलन के बीच आयोजित इस अहम सम्मेलन में कहा, 'सचमुच में तो देश के किसानों को उन लोगों से जवाब मांगना चाहिए जो पहले अपने घोषणा-पत्रों में इन सुधारों की बात लिखते रहे, किसानों के वोट बटोरते रहे, लेकिन किया कुछ नहीं. सिर्फ इन मांगों को टालते रहे और देश का किसान, इंतजार ही करता रहा.'
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि अगर आज देश के सभी राजनीतिक दलों के पुराने घोषणापत्र देखे जाएं, उनके पुराने बयान सुने जाएं, पहले जो देश की कृषि व्यवस्था संभाल रहे थे, उनकी चिट्ठियां देखी जाएं, तो आज जो कृषि सुधार हुए हैं, वो उनसे अलग नहीं हैं, जबकि किसानों के लिए समर्पित हमारी सरकार किसानों को अन्नदाता मानती है.
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'हमने फाइलों के ढेर में फेंक दी गई स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट बाहर निकाला और उसकी सिफारिशें लागू कीं, किसानों को लागत का डेढ़ गुना एमएसपी दिया. किसान आंदोलन करते थे, प्रदर्शन करते थे लेकिन इन लोगों के पेट का पानी नहीं हिला. इन लोगों ने ये सुनिश्चित किया कि इनकी सरकार को किसान पर ज्यादा खर्च न करना पड़े. इनके लिए किसान देश की शान नहीं, इन्होंने अपनी राजनीति बढ़ाने के लिए किसान का इस्तेमाल किया है.'
प्रधानमंत्री मोदी ने विपक्ष पर भी इस दौरान निशाना साधते हुए कहा कि किसानों की बातें करने वाले लोग कितने निर्दयी हैं, इसका बहुत बड़ा सबूत है स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट. रिपोर्ट आई, लेकिन ये लोग स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशों को आठ साल तक दबाकर बैठे रहे. हर चुनाव से पहले ये लोग कर्जमाफी की बात करते हैं और कर्जमाफी कितनी होती है? कर्जमाफी का सबसे बड़ा लाभ किसे मिलता था? इन लोगों के करीबियों को.
संबोधन में प्रधानमंत्री की प्रमुख बातें-
- किसान कितनी भी मेहनत कर ले, लेकिन फल-सब्जियां-अनाज का अगर सही भंडारण न हो, सही तरीके से न हो, तो उसका बहुत बड़ा नुकसान होता है.
- देश के व्यापारी जगत, उद्योग जगत से आग्रह करूंगा कि भंडारण की आधुनिक व्यवस्थाएं बनाने में, कोल्ड स्टोरेज बनाने में, फूड प्रोसेसिंग के नए उपक्रम लगाने में अपना योगदान, अपना निवेश और बढ़ाएं, ये सच्चे अर्थ में किसान की सेवा करना होगा, देश की सेवा करना होगा.
- मोदी ने कहा कि भारत की कृषि, भारत का किसान, अब और पिछड़ेपन में नहीं रह सकता.
- दुनिया के बड़े-बड़े देशों के किसानों को जो आधुनिक सुविधा उपलब्ध है, वो सुविधा भारत के भी किसानों को मिले, इसमें अब और देर नहीं की जा सकती.
- उन्होंने कहा कि बीते दिनों से देश में किसानों के लिए जो नए कानून बने, उनकी बहुत चर्चा है. ये कृषि सुधार कानून रातों-रात नहीं आए. पिछले 20-22 साल से हर सरकार ने इस पर व्यापक चर्चा की है। कम-अधिक सभी संगठनों ने इन पर विमर्श किया है.
- उन्होंने कहा कि सचमुच में तो देश के किसानों को उन लोगों से जवाब मांगना चाहिए जो पहले अपने घोषणापत्रों में इन सुधारों की बात लिखते रहे, किसानों के वोट बटोरते रहे, लेकिन किया कुछ नहीं. सिर्फ इन मांगों को टालते रहे और देश का किसान, इंतजार ही करता रहा.
- उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि उनको पीड़ा इस बात से नहीं है कि कृषि कानूनों में सुधार क्यों हुआ. उनको तकलीफ इस बात से है कि जो काम हम कहते थे लेकिन कर नहीं पाते थे, वो मोदी ने कैसे किया, मोदी ने क्यों किया.
- उन्होंने कहा कि मैं सभी राजनीतिक दलों को कहना चाहता हूं कि आप अपना क्रेडिट अपने पास रखिए, मुझे क्रेडिट नहीं चाहिए.
- मुझे किसान के जीवन में आसानी चाहिए, समृद्धि चाहिए, किसानी में आधुनिकता चाहिए. कृपा करके किसानों को बरगलाना, उन्हें भ्रमित करना छोड़ दीजिए.
- अचानक भ्रम और झूठ का जाल बिछाकर अपनी राजनीतिक जमीन जोतने के खेल खेले जा रहे हैं, किसानों के कंधे पर बंदूक रखकर वार किए जा रहे हैं.
- किसानों की बातें करने वाले लोग कितने निर्दयी हैं इसका बहुत बड़ा सबूत है स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट. ये लोग स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशों को 8 साल तक दबाकर बैठे रहे, किसान आंदोलन करते थे, प्रदर्शन करते थे लेकिन इन लोगों के पेट का पानी नहीं हिला.
- किसानों के लिए समर्पित हमारी सरकार किसानों को अन्नदाता मानती है, हमने फाइलों के ढेर में फेंक दी गई स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट बाहर निकाला और उसकी सिफारिशें लागू कीं, किसानों को लागत का डेढ़ गुना MSP दिया.
- उन्होंने कहा कि सरकार बार-बार पूछ रही है, पब्लिक में, मीटिंग में पूछ रही है कि आपको कानून के किस क्लोज में दिक्कत है, तो उन राजनीतिक दलों के पास कोई ठोस जवाब नहीं होता, यही इन दलो की सच्चाई है.
- हमारे देश में किसानों के साथ धोखाधड़ी का बहुत ही बड़ा उदाहरण है, कांग्रेस सरकारों द्वारा की गई कर्जमाफी. जब 2 साल पहले मध्य प्रदेश में चुनाव होने वाले थे तो 10 दिन के भीतर कर्जमाफी का वादा किया गया था. कितने किसानों का कर्ज माफ हुआ?
- मोदी ने कहा कि मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद क्या-क्या बहाने बताए गए. ये मध्य प्रदेश के किसान मुझसे भी ज्यादा अच्छी तरह जानते हैं. राजस्थान के लाखों किसान भी आज तक कर्जमाफी का इंतजार कर रहे हैं.
- किसान सोचता था कि अब तो पूरा कर्ज माफ होगा और बदले में उसे मिलता था बैंकों का नोटिस और गिरफ्तारी का वॉरंट.
- कर्जमाफी का सबसे बड़ा लाभ किसे मिलता था? इन लोगों के करीबियों को.
- मोदी ने कहा कि हमारी सरकार ने जो पीएम-किसान योजना शुरू की है, उसमें हर साल किसानों को लगभग 75 हजार करोड़ रुपये मिलेंगे. यानि 10 साल में लगभग साढ़े 7 लाख करोड़ रुपये. किसानों के बैंक खातों में सीधे ट्रांसफर, कोई लीकेज नहीं, किसी को कोई कमीशन नहीं.