भोपाल : मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भोपाल के एक अस्पताल में आग लगने से आठ शिशुओं की मौत के बाद राज्य के सभी सरकारी और निजी अस्पतालों का अग्नि सुरक्षा ऑडिट कराने के आदेश दिए हैं.
मंगलवार को मुख्यमंत्री ने कहा कि राजधानी भोपाल के अस्पताल में सोमवार को लगी आग आपराधिक लापरवाही का नतीजा है और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा.
उन्होंने भोपाल में कैबिनेट की बैठक के पहले मंत्रियों और सरकारी अधिकारियों की बैठक में कहा, 'इन बच्चों को बचाने की जिम्मेदारी हमारी (सरकार) थी क्योंकि वे हमारे संरक्षण में थे. यह एक गंभीर घटना है. यह आपराधिक लापरवाही है, जो भी दोषी होगा उसे बख्शा नहीं जाएगा. हमें भविष्य में ऐसी दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं को रोकने की जरुरत है. ऐसी घटनाओं से बचाने के लिए सभी आवश्यक व्यवस्था की जानी चाहिए.'
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि कोविड-19 महामारी के मद्देनजर विभिन्न अस्पतालों में ऑक्सीजन संयंत्र और उसकी आपूर्ति लाइन स्थापित की गई है, इसलिए अग्नि सुरक्षा अब अधिक महत्वपूर्ण है.
सरकार द्वारा संचालित कमला नेहरु बाल चिकित्सालय भवन की तीसरी मंजिल पर स्थित विशेष नवजात शिशु देखभाल इकाई (एसएनसीयू) में सोमवार रात को भीषण आग लग गई, जिसमें चार शिशुओं की मौत हो गई.
चौहान ने मंगलवार को कहा, मैंने पहले भी अस्पतालों का अग्नि सुरक्षा ऑडिट करने का निर्देश दिया था. अब मैं मुख्य सचिव को एक रिपोर्ट पेश करने के लिए कह रहा हूं कि किन अस्पतालों में अग्नि सुरक्षा ऑडिट किया गया और कौन से छूट गए.
मुख्यमंत्री ने प्रदेश के सभी सरकारी और निजी अस्पतालों का दोबारा अग्नि सुरक्षा ऑडिट कराने के भी आदेश दिए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके. उन्होंने प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग की प्रशंसा की जो सोमवार को आग लगने के तुरंत बाद अस्पताल पहुंचे और राहत कार्यों को संभाला.
मुख्यमंत्री ने कहा, डॉक्टर, नर्स, वार्ड बॉय और अन्य लोगों को जिन्होंने 36 शिशुओं को अपनी जान जोखिम में डालकर बचाया है. उन्हें सम्मानित किया जाएगा.
चौहान ने यह भी कहा कि वह सोमवार की रात को घटनास्थल का दौरा करने के इच्छुक थे लेकिन उन्हें रोक दिया गया ताकि राहत कार्य सुचारु रुप से चल सके. उन्होंने कहा कि वह रात भर अधिकारियों को निर्देश जारी कर स्थिति का जायजा ले रहे थे.
सोमवार को आग लगने के बाद चौहान ने इसकी उच्च स्तरीय जांच कराने के आदेश दिए थे. अतिरिक्त मुख्य सचिव (स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा) मोहम्मद सुलेमान यह जांच करेंगे.
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